मक्का पसंद, सोयाबीन ने किया लक्ष्य पार
खरीफ की बुवाई को लेकर हालाकि इस बार भी किसानों की पहली पसंद मक्का की बुवाई बनी हुई है। कृषि विभाग ने इस बार जिले मेें १.४१ लाख हैक्टेयर क्षेत्र में मक्का की बुवाई का लक्ष्य तय किया था। इसके मुकाबले जिले में अब तक १ लाख १५ हजार ९९२ हैक्टेयर क्षेत्र में किसान मक्का की बुवाई कर चुके हैं, जो लक्ष्य के मुकाबले ८२.२६ प्रतिशत है। मक्का की बुवाई का रकबा भले ही ज्यादा है पर सोयाबीन भी किसानों के बीच अपना वजूद बनाए हुए हैं। विभाग ने इस बार ८८ हजार हैक्टेयर क्षेत्र में सोयाबीन की बुवाई का लक्ष्य तय किया है। इसके मुकाबले जिले में अब तक ९० हजार ४३२ हैक्टेयर क्षेत्र में सोयाबीन की बुवाई की जा चुकी है। यह लक्ष्य के मुकाबले १०२.७६ फीसदी है।
खरीफ की बुवाई को लेकर हालाकि इस बार भी किसानों की पहली पसंद मक्का की बुवाई बनी हुई है। कृषि विभाग ने इस बार जिले मेें १.४१ लाख हैक्टेयर क्षेत्र में मक्का की बुवाई का लक्ष्य तय किया था। इसके मुकाबले जिले में अब तक १ लाख १५ हजार ९९२ हैक्टेयर क्षेत्र में किसान मक्का की बुवाई कर चुके हैं, जो लक्ष्य के मुकाबले ८२.२६ प्रतिशत है। मक्का की बुवाई का रकबा भले ही ज्यादा है पर सोयाबीन भी किसानों के बीच अपना वजूद बनाए हुए हैं। विभाग ने इस बार ८८ हजार हैक्टेयर क्षेत्र में सोयाबीन की बुवाई का लक्ष्य तय किया है। इसके मुकाबले जिले में अब तक ९० हजार ४३२ हैक्टेयर क्षेत्र में सोयाबीन की बुवाई की जा चुकी है। यह लक्ष्य के मुकाबले १०२.७६ फीसदी है।
तिल को नहीं तवज्जो, मूंगफली पर है जोर
तिलहनी फसलों में इस बार भी किसानों ने तिल की बुवाई को इतना महत्व नहीं दिया है। इसकी अपेक्षा किसान मूंगफली की बुवाई को लेकर उत्साहित है। जिले में विभाग ने इस बार एक हजार हैक्टेयर क्षेत्र में तिल की बुवाई का लक्ष्य तय किया था। इसके मुकाबले सोमवार तक सिर्फ २६३ हैक्टेयर क्षेत्र यानी २६.३० प्रतिशत बुवाई ही हुई है। जबकि मूंगफली का लक्ष्य २७ हजार हैक्टेयर क्षेत्र है और इसके मुकाबले अब तक २५ हजार ३७९ हैक्टेयर यानी ९४ प्रतिशत बुवाई हो चुकी है।
तिलहनी फसलों में इस बार भी किसानों ने तिल की बुवाई को इतना महत्व नहीं दिया है। इसकी अपेक्षा किसान मूंगफली की बुवाई को लेकर उत्साहित है। जिले में विभाग ने इस बार एक हजार हैक्टेयर क्षेत्र में तिल की बुवाई का लक्ष्य तय किया था। इसके मुकाबले सोमवार तक सिर्फ २६३ हैक्टेयर क्षेत्र यानी २६.३० प्रतिशत बुवाई ही हुई है। जबकि मूंगफली का लक्ष्य २७ हजार हैक्टेयर क्षेत्र है और इसके मुकाबले अब तक २५ हजार ३७९ हैक्टेयर यानी ९४ प्रतिशत बुवाई हो चुकी है।
वाणिज्कि फसल में कपास आगे, गन्ना दूसरे नंबर पर
खरीफ की वाणिज्यिक फसलों में सर्वाधिक बुवाई कपास की हुई है। कृषि विभाग ने इस बार दस हजार हैक्टेयर क्षेत्र में कपास की बुवाई का लक्ष्य तय किया है। इसके मुकाबले अब तक ४ हजार ३४१ हैक्टेयर क्षेत्र में कपास की बुवाई हो चुकी है, जो लक्ष्य के मुकाबले ४३.४१ प्रतिशत है। इसी तरह गन्ने की बुवाई का लक्ष्य एक हजार हैक्टेयर क्षेत्र तय किया गया था। जिले में लक्ष्य के मुकाबले अब तक ९९१ हैक्टेयर क्षेत्र में गन्ने की बुवाई हो चुकी है। यह लक्ष्य के मुकाबले ९९.१० प्रतिशत है।
खरीफ की वाणिज्यिक फसलों में सर्वाधिक बुवाई कपास की हुई है। कृषि विभाग ने इस बार दस हजार हैक्टेयर क्षेत्र में कपास की बुवाई का लक्ष्य तय किया है। इसके मुकाबले अब तक ४ हजार ३४१ हैक्टेयर क्षेत्र में कपास की बुवाई हो चुकी है, जो लक्ष्य के मुकाबले ४३.४१ प्रतिशत है। इसी तरह गन्ने की बुवाई का लक्ष्य एक हजार हैक्टेयर क्षेत्र तय किया गया था। जिले में लक्ष्य के मुकाबले अब तक ९९१ हैक्टेयर क्षेत्र में गन्ने की बुवाई हो चुकी है। यह लक्ष्य के मुकाबले ९९.१० प्रतिशत है।
यूरिया की पर्याप्त उपलब्धता का दावा
कृषि विभाग के सहायक निदेशक डॉ. शंकरलाल जाट ने बताया कि जिले में करीब ३५ हजार मैट्रिक टन यूरिया की मांग है। अब तक किसानों को करीब छह हजार मैट्रिक टन यूरिया उपलब्ध करवाई जा चुकी है और विभाग के पास २१ हजार ९८५ मैट्रिक टन यूरिया अभी भी उपलब्ध है। उन्होंने बताया कि यूरिया की एक और खेप चित्तौडग़ढ़ पहुंचने वाली है। यूरिया को लेकर किसानों को कोई परेशानी नहीं आएगी। साथ ही डॉ. जाट ने किसानों से यह भी अपील की है कि वे तय मापदण्ड के अनुसार ही यूरिया का उपयोग करें। आवश्यकता से अधिक यूरिया के उपयोग से फसल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। जिले में पिछले साल १०२८.५० मिमी. बारिश हुई थी। जिले में बारिश का औसत ७५० मिमी. है।
कृषि विभाग के सहायक निदेशक डॉ. शंकरलाल जाट ने बताया कि जिले में करीब ३५ हजार मैट्रिक टन यूरिया की मांग है। अब तक किसानों को करीब छह हजार मैट्रिक टन यूरिया उपलब्ध करवाई जा चुकी है और विभाग के पास २१ हजार ९८५ मैट्रिक टन यूरिया अभी भी उपलब्ध है। उन्होंने बताया कि यूरिया की एक और खेप चित्तौडग़ढ़ पहुंचने वाली है। यूरिया को लेकर किसानों को कोई परेशानी नहीं आएगी। साथ ही डॉ. जाट ने किसानों से यह भी अपील की है कि वे तय मापदण्ड के अनुसार ही यूरिया का उपयोग करें। आवश्यकता से अधिक यूरिया के उपयोग से फसल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। जिले में पिछले साल १०२८.५० मिमी. बारिश हुई थी। जिले में बारिश का औसत ७५० मिमी. है।
खेतों में जुटे किसानों के परिवार
जिले में बारिश का दौर शुरू होने के बाद खरीफ फसलों की बुवाई को लेकर किसानों के परिवार अब खेतों पर कृषि कार्य में जुट गए हैं। ऐसे में दिन में गांवों की चौपालें भी सूनी नजर आने लगी है। इसके अलावा खाद-बीज की दुकानों पर भी किसानों की आवाजाही बढने लगी है।
जिले में बारिश का दौर शुरू होने के बाद खरीफ फसलों की बुवाई को लेकर किसानों के परिवार अब खेतों पर कृषि कार्य में जुट गए हैं। ऐसे में दिन में गांवों की चौपालें भी सूनी नजर आने लगी है। इसके अलावा खाद-बीज की दुकानों पर भी किसानों की आवाजाही बढने लगी है।