scriptखदान में डूबने से बुझ गए दो घरों के चिराग | The lamps of two houses were extinguished due to drowning in the mine | Patrika News

खदान में डूबने से बुझ गए दो घरों के चिराग

locationचित्तौड़गढ़Published: Oct 26, 2021 10:44:23 pm

Submitted by:

jitender saran

जिले में शंभूपुरा थानान्तर्गत अरनिया पंथ गांव में मंगलवार सायं शौच के लिए गए दो बच्चों की खदान में डूबने से मौत हो गई। दोनों बच्चे परिवार में इकलौते थे। इनमें से एक के पिता की मौत पहले ही हो चुकी है।

खदान में डूबने से बुझ गए दो घरों के चिराग

खदान में डूबने से बुझ गए दो घरों के चिराग

चित्तौडग़ढ़
जिले में शंभूपुरा थानान्तर्गत अरनिया पंथ गांव में मंगलवार सायं शौच के लिए गए दो बच्चों की खदान में डूबने से मौत हो गई। दोनों बच्चे परिवार में इकलौते थे। इनमें से एक के पिता की मौत पहले ही हो चुकी है।
शंभूपुरा थाना प्रभारी सुनील कुमार ने बताया कि अरनिया पंथ गांव में रहने वाले भोजराज (१०) पुत्र स्व. उदयलाल सालवी व हिमांशु (८) पुत्र रतनलाल मेघवाल मंगलवार सायं करीब साढ़े चार बजे शौच के लिए खदान क्षेत्र में गए थे। इस दौरान पैर फिसलने से दोनों पानी से भरी खदान में गिर गए। काफी देर तक दोनों बच्चे घर नहीं लौटे पर परिजनों ने तलाश शुरू की। इस दौरान एक खदान के बाहर दोनों की चप्पल पड़ी दिखी। अनहोनी की आशंका को लेकर मौके पर ग्रामीण एकत्रित हो गए और खदान में दोनों बच्चों की तलाश शुरू की। बाद में दोनों को खदान से निकालकर चित्तौडग़ढ़ के सांवलिया जी अस्पताल पहुंचाया, जहां जांच के बाद चिकित्सकों ने दोनों को मृत घोषित कर दिया। सूचना मिलने पर जिला कलक्टर ताराचंद मीणा व उपखण्ड अधिकारी श्यामसुंदर विश्नोई तथा शंभूपुरा थाना प्रभारी सुनील कुमार, सहायक उप निरीक्षक बलवंत सिंह अस्पताल पहुंचे और घटना के बारे में जानकारी ली। पुलिस ने पोस्टमार्टम के बाद दोनों बच्चों के शव परिजनों को सौंप दिया। बाद में गमगीन माहौल में दोनों का अंतिम संस्कार कर दिया गया।
दोनों बच्चे परिवार में थे इकलौते
मृतक भोजराज व हिमांशु अपने परिवार में इकलौते थे। भोजराज के पिता की पहले ही मृत्यु हो गई थी। दोनों की डूबने से मौत के चलते दोनों घरों के चिराग बुझ गए।
अरनियापंथ में शोक व कोहराम
दोनों बच्चों की मौत की खबर से अरनिया पंथ गांव में शोक की लहर छा गई, वहीं दोनों के परिवार में कोहराम मच गया। हर तरफ रूदन और क्रंदन ही सुनाई दे रहा था। ग्रामीण बच्चों के परिजनों को बार-बार संभाल रहे थे, लेकिन उनकी रूलाई नहीं रूक पा रही थी। गांव में जिसने भी इस हादसे के बारे में सुना, वह अपने आंसू नहीं रोक पाए।
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