scriptपढ़ाने के लिए शिक्षक नहीं थे, मेहनत और जज्बे से हासिल की सफलता | The teachers were not to teach, the success of hard work and hard work | Patrika News

पढ़ाने के लिए शिक्षक नहीं थे, मेहनत और जज्बे से हासिल की सफलता

locationचित्तौड़गढ़Published: Jun 12, 2019 11:22:13 pm

Submitted by:

Nilesh Kumar Kathed

राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने कक्षा १२वीं व १०वीं के परिणाम जारी कर दिए है। परिणामों में कई सरकारी स्कूलों ने अच्छा प्रदर्शन किया तो कई स्कूलों का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है। शिक्षा विभाग द्वारा स्कूलों में पदस्थापन की ठोस नीति नहीं होने की सजा छात्रों को भुगतनी पड़ रही है।

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पढ़ाने के लिए शिक्षक नहीं थे, मेहनत और जज्बे से हासिल की सफलता


चित्तौडग़ढ़. राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने कक्षा १२वीं व १०वीं के परिणाम जारी कर दिए है। परिणामों में कई सरकारी स्कूलों ने अच्छा प्रदर्शन किया तो कई स्कूलों का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है। शिक्षा विभाग द्वारा स्कूलों में पदस्थापन की ठोस नीति नहीं होने की सजा छात्रों को भुगतनी पड़ रही है। कहीं स्कूलों में शिक्षकों का पूरा स्टाफ होने के बााद भी परिणाम बहुत खराब रहा, तो कहीं शिक्षकों के नाममात्र होने के बाद भी छात्रों ने स्वयं मेहनत करने के बाद श्रेष्ठ अंक हासिल किए।
जिले में शहरी क्षेत्र में स्थित स्कूलों में लगभग सभी पद भरे हुए है, उसके बाद भी शहरी कई स्कूलों का परिणाम औसत से कम रहा।कई स्कूलों ने औसत से भी कम परिणाम दिया। बच्चे कम होने के बाद भी उनकों पड़ा कर परीक्षा पास नहीं करा सके।वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में कई स्कूलों तो एक-दो शिक्षकों के भरोसे चल रहे उसके बाद भी अच्छा परिणाम दे रहे है। ऐसे स्कूलों में शिक्षक कम होने के बाद भी शत प्रतिशत परिणाम दिया है। जिले में बानसेन, भादसोड़ा, खोडीप, गरदाना, आक्या, नपावली, सुखवाड़ा, कंथारिया सहित जिले के कई स्कूलों ने शिक्षकों की कमी के बावजूद शत प्रतिशत परिणाम दिया।
गणित-विज्ञान के साथ-साथ संस्कृत ने भी डूबाया
जानकारी के अनुसार कक्षा १० में जहां बच्चे अधिकांश गणित और विज्ञान विषय में फेल या पुरक आती है लेकिन इस बाद गणित और विज्ञान के साथ संस्कृत विषय में कई बच्चें पास नहीं हो पाए।
इन उदाहरणों ने समझे पूरी हकीकत
केस-१: राशमी ब्लॉक के राउमावि पहुंना स्कूलों में १२ बच्चे थे जिसमें पांच प्रथम श्रेणी, सात द्वितीय श्रेणी से पास हुए। एक बच्चे ने ८२.६० अंक हासिल कर जिले में बालक वर्ग में दूसरा स्थान हासिल किया।यहां पर वाणिज्य वर्ग में स्टाफ नहीं होने पर संस्था प्रधान ने अपने स्टाफ लगाने के साथ अन्य शिक्षकों ने पढ़ाया और बच्चों ने स्वयं अध्ययन कर यह मुकाम हासिल किया।
केस-२: निम्बाहेड़ा ब्लॉक में राउमावि कनेरा में वाणिज्य वर्ग में आठ बजे थे जिसमें सात प्रथम श्रेणी व एक द्वितीय श्रेणी से उत्तीर्ण हुआ।यहंा पर वाणिज्य वर्ग में पूरा स्टाफ नहीं था, उसके बाद भी शत प्रतिशत परिणाम हासिल किया।
केस-३: भदेसर ब्लॉक में राउमावि कनौज ने १२वीं कला व वाणिज्य वर्ग में शत प्रतिशत परिणाम रहा जिसमें अंग्रेजी, भूगोल अर्थशास्त्र, राउमावि आकोला कलां का १०वीं शत प्रतिशत परिणाम जबकि यहां विज्ञान, अंग्रेजी का पद रिक्त, राउमावि मंडफिया का शत प्रतिशत जबकि यहां पर बहीखाता, अर्थशास्त्र व गणित के पद रिक्त थे।
कई स्कूल ऐसे थे जहां पर स्टाफ की काफी समस्या थी उसके बाद भी अच्छा परिणाम दिया। स्टाफ के अभाव में कई बच्चे स्वयं भी अध्ययन कर मेहनत करते है तो संस्थाप्रधान भी अपने स्तर पर व्यवस्था कर कोर्स पूरा करवाते है। संसाधनों के अभाव में संस्थाप्रधान के साथ-साथ स्टाफ और बच्चों ने अच्छी मेहनत की।
शंातिलाल सुथार, जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक चित्तौडग़ढ़
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