scriptसमिद्धेश्वर महादेव के शिवलिंग में होते है ब्रह्मा विष्णु महेश के दर्शन | There is a darshan of Brahma Vishnu Mahesh in the Shivling of Samidhes | Patrika News

समिद्धेश्वर महादेव के शिवलिंग में होते है ब्रह्मा विष्णु महेश के दर्शन

locationचित्तौड़गढ़Published: Jul 31, 2021 11:03:34 pm

Submitted by:

Avinash Chaturvedi

चित्तौडग़ढ़. चित्तौडग़ढ़ दुर्ग पर विजय स्तंभ परिसर के समीप स्थित समिद्धेश्वर महादेव मंदिर में महादेव की त्रिमूर्ति में एक साथ ब्रह्मा, विष्णु, महेश शिव के दर्शन होते हैं। इस तरह की मूर्ति महाराष्ट्र में मुंबई के एलिफेंटा के अलावा और कहीं नहीं है।

समिद्धेश्वर महादेव के शिवलिंग में होते है ब्रह्मा विष्णु महेश के दर्शन

समिद्धेश्वर महादेव के शिवलिंग में होते है ब्रह्मा विष्णु महेश के दर्शन

चित्तौडग़ढ़. चित्तौडग़ढ़ दुर्ग पर विजय स्तंभ परिसर के समीप स्थित समिद्धेश्वर महादेव मंदिर में महादेव की त्रिमूर्ति में एक साथ ब्रह्मा, विष्णु, महेश शिव के दर्शन होते हैं। इस तरह की मूर्ति महाराष्ट्र में मुंबई के एलिफेंटा के अलावा और कहीं नहीं है।
महाराष्ट्र के मुंबई एलिफेंटा के बाद चित्तौडग़ढ़ दुर्ग पर ही एक साथ तीन प्रतिमा के दर्शन होते हैं। समिद्धेश्वर महादेव मंदिर भगवान शिव की प्रतिमा त्रिमूर्ति है। जहां देश के सैकड़ों भक्तजन इस मूर्ति के दर्शन के लिए पहुंचते हैं। मंदिर के प्रवेश द्वार पर काला पत्थर लगाया गया है।
मंदिर के बाहर पश्चिम दिशा में भगवान शिव का गणक नन्दी विराजमान है, जिसकी आखें प्रतिमा की आंखों के समान है।
मंदिर की स्थापत्य कला राजपूतकालीन बने हिंदू मंदिरों के निर्माण के दौरान काम ली जाने वाली प्राचीन निर्माण शैली है, मंदिर की बनावट बहुत ही आकर्षक एवं खूबसूरत है मंदिर के बाहर परिसर से चित्तौडग़ढ़ शहर का पूरा नजारा दिखाई देता है, इस मंदिर के सामने ही गौमुख कुंड है, पत्थर से पत्थर को जोड़कर प्राचीन समय में जिस तरह से मंदिरों का निर्माण किया जाता था, उसी शैली में समिद्धेश्वर महादेव मंदिर को बनाया गया है। 900 वर्षों बाद भी मंदिर उनता ही आकर्षक है।
यह मंदिर राजपूतकालीन वैभवशाली साम्राज्य एवं हिंदू संस्कृति की रक्षा करने वाले राजपूत राजाओं की याद दिलाता है।
चित्तौडग़ढ़ के महाराणा कुंभा ने इसी तरह कई युद्ध लड़े और जीते साथ साथ में कुंभा ने चित्तौडग़ढ़ व उदयपुर में कई मंदिरों का निर्माण भी करवाया जिनमें अधिकतर मंदिर भगवान शिव के हैं।
राजा भोज ने 11वीं शताब्दी में बनवाया समिधेद्श्वर महादेव मंदिर
भोपाल के परमार वंश के राजाभोज ने यह मंदिर 11 शताब्दी में बनाया, चालुक्य राजा कुमार पाल ने अजमेर में राजा अरण पर विजय प्राप्त कर इस मंदिर में पूजा अर्चना की, मंदिर वास्तुशास्त्र के हिसाब से बना हुआ है। मंदिर की नींव कमल के फूल की भांति नक्शे पर रखी गई है। मूर्ति की स्थापना पहले हुई एमंदिर बाद में बनाए। गर्भगृह की दीवार 9 फीट आकार के एक ही पत्थर में बनी है। पहले मंदिर का निर्माण होता तो मूर्ति का निर्माण संभव नहीं था। मुगलो के आक्रमण के समय चित्तौडग़ढ़ दुर्ग के कई मंदिरों की प्रतिमाओं को खंडित किया गया जिसमें समिद्धेश्वर महादेव मंदिर के बाहर और अंदर की मूर्तियों को भी खंडित किया गया । महाराणा मोकल ने 1428 में मंदिर का जीर्णोद्धार करवाकर प्रतिष्ठा की। इसके बाद से ही मंदिर की सेवा पूजा होती आ रही है। मंदिर के अंदर पश्चिम द्वार के दोनों और दो शिलालेख हैं। जिनसे इस मंदिर के 11वीं शताब्दी के होने की पुष्टि होती है। मंदिर में पहला शिलालेख 11वीं शताब्दी व दूसरा शिलालेख 1150 का लगा हुआ है।
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