चित्तौडग़ढ़ में पावटा चौक के पास रहने वाले राधेश्याम प्रजापत ने बताया कि परिवार और उनके समाज के लोगों ने लॉकडाउन होने से छह माह तक आर्थिक संकट झेला है। इस दौरान एक रुपए की भी कमाई नहीं हुई। जैसे-तैसे घर का गुजारा चलाया। अब त्योहार नजदीक है। एेसे में मांग के अनुरूप दीपक, कलश, करवां और अन्य मिट्टी से बने कलात्कार चीजें बना रहे है। ताकी कुछ आमदनी हो सकें। औरों की तरह ही उनका परिवार भी त्योहार अच्छी तरह मना सकें। डेढ़ माह पहले से कुम्हार समाज दीपक बनाने का काम शुरू कर देता है। इस बार मांग कम होने से काम देरी से शुरू किया।
कोविड-१९ ने आमजन को झकझोर दिया है। माली हालत पतली कर दी। एेसे में लोग घरों में सजावट में चाइनिज लाइटिंग की बजाए मिट्टी से बने दीपक खरीद कर कई घर में उजियारा करें। इससे उन परिवारों के घर में खुशियां बिखेर सकेंगे जिन्होंने इन्हें बनाया है।