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इस बार दीपक ही आस

locationचित्तौड़गढ़Published: Oct 29, 2020 11:47:54 pm

Submitted by:

Avinash Chaturvedi

चित्तौडग़ढ़. दीपाोत्सव पर अंधकार मिटाने में लगे कुम्भकारों को त्योहार पर उजास की उम्मीद है। कोरोना महामारी के बाद लॉकडाउन में छह माह तक फूटी कौड़ी भी नहीं कमा पाए कुम्हार परिवार को अब कमाई की आस है। इस आस में वह चैत्रीय नवरात्र, करवां चौथ और दीपावली की तैयारी में जुट गए है।

इस बार दीपक ही आस

इस बार दीपक ही आस

चित्तौडग़ढ़. दीपाोत्सव पर अंधकार मिटाने में लगे कुम्भकारों को त्योहार पर उजास की उम्मीद है। कोरोना महामारी के बाद लॉकडाउन में छह माह तक फूटी कौड़ी भी नहीं कमा पाए कुम्हार परिवार को अब कमाई की आस है। इस आस में वह चैत्रीय नवरात्र, करवां चौथ और दीपावली की तैयारी में जुट गए है। दीपक बनाने से लेकर करवां और मिट्टी के कलात्मक चीजें बनाई जा रही है। नवरात्र पर ज्वारे के कुंडे भी तैयार किए जा रहे है। पूरा परिवार ही अब काम-धंधे पर जुट गया है। हालांकि इस बार मांग कम होने से चेहरे पर थोड़ी मायूसी का आलम है।
छह माह तक झेला आर्थिक संकट
चित्तौडग़ढ़ में पावटा चौक के पास रहने वाले राधेश्याम प्रजापत ने बताया कि परिवार और उनके समाज के लोगों ने लॉकडाउन होने से छह माह तक आर्थिक संकट झेला है। इस दौरान एक रुपए की भी कमाई नहीं हुई। जैसे-तैसे घर का गुजारा चलाया। अब त्योहार नजदीक है। एेसे में मांग के अनुरूप दीपक, कलश, करवां और अन्य मिट्टी से बने कलात्कार चीजें बना रहे है। ताकी कुछ आमदनी हो सकें। औरों की तरह ही उनका परिवार भी त्योहार अच्छी तरह मना सकें। डेढ़ माह पहले से कुम्हार समाज दीपक बनाने का काम शुरू कर देता है। इस बार मांग कम होने से काम देरी से शुरू किया।
खुशियां बिखेर सकते है आप, सजावट में मिट्टी के दीए जलाए
कोविड-१९ ने आमजन को झकझोर दिया है। माली हालत पतली कर दी। एेसे में लोग घरों में सजावट में चाइनिज लाइटिंग की बजाए मिट्टी से बने दीपक खरीद कर कई घर में उजियारा करें। इससे उन परिवारों के घर में खुशियां बिखेर सकेंगे जिन्होंने इन्हें बनाया है।
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