समझा मानवता का दर्द
शहर के रेलवे स्टेशन एवं अन्य स्थानों पर रहकर जीवन यापन करने वाले परिवारों का दर्द शहर की एक संस्था साईं ऐस्ट्रो विजऩ सोसायटी के पदाधिकारियों को समझ में आया। इसी दर्द को समझ कर सोसायटी के अध्यक्ष संजय गील ने कोरोना को लेकर लगे लॉकडाउन में ऐसे परिवार वालों को भूखा नहीं सोने देने का संकल्प लिया। इसी कारण उन्होंने अपने टीम के अन्य सदस्यों से इस बात चर्चा करते हुए अपनी इच्छा जाहिर की। इसके बाद सभी ने गील की प्रेरणा से दोनों समय ऐसे करीब ४०० परिवारों को प्रतिदिन दोनों समय भोजन पहुंचाया ही नहीं उन्हें पूरे सम्मान के साथ भोजन करवाया। साथ ही कोरोना से बचाव के लिए उन्हें मास्क एवं सेनेटाइजर भी उपलब्ध करवाए। डॉ. संजय गिल ने बताया कि जब उन्होंने साईं ऐस्ट्रो विजऩ सोसायटी का गठन किया और चितौडग़ढ़ इकाई स्थापना की प्रारम्भिक स्तर पर जनकल्याण किये जा रहे थे। चुनोती इस बात की थी बडे लक्ष्य ओर कार्य प्रारंभ करना जितना आसान है वही इन कार्यो को निरंतर जारी रखना उतना ही मुश्किल। बहुत ही छोटी टीम जिसमे अध्यक्ष डॉ.संजय गील, हरदीप कौर, विपिन शर्मा, पुष्कर सोनी, सतपाल दुआ, चंद्रप्रकाश मालाणी, भगवान तड़बा आदि सम्मिलित थे जब एक सर्द रात को जरूरतमंदों को कम्बल वितरित कर रहे थे तो पाया कि सर्दी के कहर से ज्यादा दर्द भूखे पेट सोना है । इसी से एक संकल्प के साथ प्रारंभ हुआ जरूरतमंदों के लिए नि:शुल्क भोजन उपलब्ध कराने का महाअभियान । कोरोना संकट की विपरीत परिस्थितियों में जन सेवा का अवसर मिला और सोसायटी द्वारा साईं प्रसादम ने स्थानीय जन के दिलों में जगह ऐसी बनाई की आज 700 से अधिक मेवाड़वासी समर्पण और सहयोग की भावना के साथ जुड़ चुके है और एक कारवाँ बन चुका है।वर्तमान में सोसायटी द्वारा रक्तप्रदाता समूह, अनाथों को सम्बल और सहायता, नि:शुल्क ज्योतिष परामर्श, नि:शुल्क भोजन, गीत संगीत में नवोदित प्रतिभाओं को अवसर प्रदान करने के साथ ही नारी पुनरुत्थान, पर्यावरण संरक्षण आदि कार्य भी किये जा रहे है।