ग्रामीणों के नवाचार से तीन सौ मवेशियों मिला आशियाना और भोजन
चित्तौड़गढ़Published: Jan 24, 2022 10:37:19 pm
आवारा घूमते मवेशियों को पकडऩे के लिए कभी नगर परिषद की जिम्मेदारी तो कभी पंचायतों पर इसका भार, फिर भी समस्या जस की तस। इन सब से हटकर सेमलिया गांव के लोगों ने जो नवाचार करके दिखाया है, वह शहर और गांवों में निवास कर रहे अन्य लोगों के लिए भी प्रेरणादायी है।
ग्रामीणों के नवाचार से तीन सौ मवेशियों मिला आशियाना और भोजन
चित्तौडग़ढ़
आवारा घूमते मवेशियों को पकडऩे के लिए कभी नगर परिषद की जिम्मेदारी तो कभी पंचायतों पर इसका भार, फिर भी समस्या जस की तस। इन सब से हटकर सेमलिया गांव के लोगों ने जो नवाचार करके दिखाया है, वह शहर और गांवों में निवास कर रहे अन्य लोगों के लिए भी प्रेरणादायी है। सेमलिया गांव के लोगों ने गांव में आवारा घूमते करीब तीन सौ गोवंश को सिर्फ गोशाला ही नहीं पहुंचा, बल्कि उनके चारे-पानी का इंतजाम भी खुद के स्तर पर करके अच्छा उदाहरण पेश किया है।
दरअसल निकटवर्ती सेमलिया गांव के लोग गांव में घूम रहे आवारा मवेशियों से परेशान थे। यह मवेशी खेतों में घुसकर फसल को भी नुकसान पहुंचा रहे थे। पूरे गांव के लिए पैदा हुई इस परेशानी को देखते हुए एक दिन गांव के अधिकांश लोग एकत्रित हुए और आवारा घूम रहे मवेशियों से हो रही परेशानी से छुटकारा पाने के लिए कुछ उपाय खोजने के लिए आपस में सलाह की। बाद में ग्रामीणों ने नवाचार करते हुए गांव में आवारा घूम रहे करीब तीन सौ मवेशियों को अभयपुर घाटा क्षेत्र के पचुंडल में बनी गोशाला तक पहुंचाया। गोशाला के प्रबंधकों ने ग्रामीणों को बताया कि उन्हें गोशाला में गोवंश को रखने में कोई परेशानी नहीं है, लेकिन उनके लिए खाने की व्यवस्था करने में वह समर्थ नहीं है। इसके बाद ग्रामीणों ने गोशाला प्रबंधकों को सहयोग का भरोसा दिलाया। सेमलिया गांव के हर घर से ग्रामीणों ने ढाई सौ रूपए की सहायता राशि एकत्रित की। राशि एकत्रित करने के बाद इस राशि से दस ट्रॉली खाखला, दो ट्रॉली ज्वार और दो ट्रॉली गन्ने गोशाला पहुंचाए। ग्रामीणों ने भविष्य में भी अपने स्तर पर सामथ्र्य के अनुसार मदद करने का भरोसा दिलाया। इसके बाद गोशाला प्रबंधन में इन मवेशियों को गोशाला में संरक्षण प्रदान कर दिया। सेमलिया गांव के लोगों की ओर से किए गए इस नवाचार की हर तरफ सराहना की जा रही है। सेमलिया के ग्रामीणों की ओर से किया गया यह नवाचार जिले के अन्य गांवों और शहर में रहने वाले लोगों के समक्ष उदाहरण बन गया है। इसी तर्ज पर यदि चित्तौडग़ढ़ शहर के लोग भी मदद के लिए आगे आ जाए तो शहर में घूम रहे आवारा मवेशियों की परेशानी से निजात भी मिल जाएगी और मवेशियों को भी गोशालाओं में रहने के ठिकाने के साथ ही चारा-पानी भी मिल जाएगा।