गांधी नगर में रहने वाले प्रकाश पुरी ने अपने मकान की छत पर मात्र 22 हजार रुपए की लागत से जलीय खेती के लिए स्ट्रेक्चर तैयार करने में सफलता प्राप्त की है। पुरी ने चार माह पहले जलीय खेती शुरू की थी। इसे मूलत: इजराइल की खेती कहते है, जिसे हाइड्रोपॉलिक पद्धति के नाम से जाना जाता है। इस खेती में पानी की खपत दस फीसदी भी नहीं होती। पौधों को जितने पानी की जरूरत होती है, उतना पानी ही काम आता है, शेष पानी पुन: ड्रम में एकत्रित हो जाता है। पुरी की माने तो पूरा मार्गदर्शन मिलने पर इस खेती को और अधिक बढ़ावा मिल सकता है।
तारीफ तो मिली प्रेरणा
पुरी का कहना है कि पिछले दिनों प्रधानमंत्री इजराइल गए थे तो उन्होंने जलीय खेती को लेकर इजराइल की तारीफ की थी। इससे प्रेरणा लेकर उन्होंने ठान लिया कि वे भी जलीय खेती करेंगे।
पुरी का कहना है कि वे बाजार से बीज लेकर आए थे, लेकिन एक ही थैली में चार तरह की बीज निकले। कृषि विभाग के अधिकारियों से भी इस बारे में बात की, लेकिन नकली बीज बेचने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई किसान बुवाई करता है और तीन माह में परिणाम मिलते है तब तक हजारों रुपए खर्च हो चुके होते हैं।
नारियल बुरादे में बुवाई
सब्जियों के बीजों की बुवाई नारीयल के बुरादे और छोटे-छोटे कंकड़ में की, लेकिन एक जैसे परिणाम मिलने के बाद पुरी ने नारियल के बुरादे के बजाय कंकड़ में तनें लगाकर सब्जियां उगाना शुरु किया। नारियल बुरादे में फफूंद की शिकायत हो सकती है।