
चित्तौड़गढ़।सेहत के लिए पौष्टिक माने जाने वाले सिंगाड़े को कैमिकल युक्त रंग में उबालकर बेचा जा रहा है। इससे सेहत को नुकसान की आशंका मण्डरा रही है। केमिकल वाले रंग में उबालने से सिंघाड़े के पौषक तत्व भी समाप्त हो जाते हैं। शहर सहित जिले में कई स्थानों पर रंग में उबले सिंघाड़ों की जमकर बिक्री हो रही है। सिंघाड़े की पैदावार पानी में होती है। यह एक ऐसा फल है। जो त्रिकोण आकार का और दो सिंग वाला होता है।
इसे अपने आकार और अनगिनत फायदों के लिए जाना जाता है। इसमें कई तरह के विटामिन और मिनरल्स पाए जाते हैं। जो सेहत के लिए फायदेमंद होते हैं। सिंघोड़े की सर्वाधिक आवक सर्दी में ही होती है। इन दिनों शहर के सभी बाजार और गली-मोहल्लों में ठेले वाले इन्हें बेच रहे हैं। प्रदेश के अधिकांश हिस्सों में हरे व लाल सिंघाड़े को कच्चा छीलकर खाया जाता है। जब उसका छिलका सूख जाता है तो इसे उबालकर बेचा जाता है।
इससे कारण हरे और लाल रंग के सिघाड़े काले हो जाते हैं। इन्हें बीच में काटकर बेचा जाता है। इन्हें काटने वाले के हाथ भी पूरी तरह से काले हो जाते हैं और कई दिनों तक हाथ से रंग नहीं छूटता है। ऐसे में जाहिर सी बात है कि ऐसे सिंघाड़े खाने से सेहत पर क्या असर पड़ता होगा।
बाजार में काले सिंघाड़ों की बिक्री हो रही है। इसकी प्रोसेसिंग करने के नाम पर कपड़े रंगने के रंग का उपयोग किया जाता है। उबालने के दौरान यह रंग छिलके के साथ कुछ मात्रा में फल तक भी पहुंच जाता है जो कि कैंसर कारक भी हो सकता है। सामान्य हरे और लाल सिंघाड़े जल्दी खराब हो जाते हैं। जबकि काले सिंघाड़े कई दिनों तक सुरक्षित रखा जा सकते हैं। एक भ्रांति लोगों में है कि काले रंग के सिंघाड़े पके हुए होते हैं इसलिए वो काले सिंघाड़े खरीदना पसंद करते है। जबकि फायदेमंद साधारण सिंघाड़े होते हैं।
जानकारों के अनुसार सिंघाड़ा फल पोषक तत्वों से भरपूर होता है। इसमें विटामिन ए, विटामिन सी, मैंगनीज कार्बोहाइड्रेट, सिट्रिक एसिड, मैंगनीज, थायमाइन, बीटा एमिलेज, प्रोटीन और निकोटेनिक एसिड पाया जाता है। इनके अलावा भी सिंघाड़े में कई विटामिंस और मिनरल्स होते हैंए जिससे स्वास्थ्य को कई तरह से लाभ मिलता है।
Published on:
02 Dec 2024 03:33 pm
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