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चित्तौड़गढ़

बेटे ने बिसराया तो सीआई ने निभाया अपना धर्म

जननी और जनक जीवन में दूसरी बार नहीं मिलते। इनका आशीर्वाद जीवन की डूबती नैय्या को भी पार लगा देता है। कलियुग में इनकी बेकद्री का आलम क्या है, किसी से छिपा हुआ नहीं है। बेटे द्वारा मां को घर से निकाल देने का ऐसा ही एक मामला कपासन में सखी समूह की बैठक में सामने आया तो सीआई ने अपना धर्म निभाते हुए उसी के मकान में एक कमरा दिलवा दिया। खुशी से छलकती बूढी आंखों ने दुआ दी तो हर किसी की आंखें नम हुए बिना नहीं रह सकी।

चित्तौड़गढ़Aug 04, 2021 / 03:11 pm

jitender saran

बेटे ने बिसराया तो सीआई ने निभाया अपना धर्म

बेटे ने बिसराया तो सीआई ने निभाया अपना धर्म

चित्तौडग़ढ़
मामला कपासन थाना क्षेत्र से जुड़ा हुआ है। पुलिस की ओर से चलाए जा रहे सखी समूह अभियान के तहत मंगलवार को कपासन की एक वाटिका में बैठक का आयोजन हुआ, जिसमें पुलिस और महिलाओं में आपसी संवाद भी हुआ। इसी दौरान देवली मंगरी गांव से वहां पहुंची पचहत्तर वर्षीय भगवानी रेगर ने छलकती आंखों के साथ अपना दर्द बयां किया तो एक बारगी बैठक में वीरानी सी छा गई। भगवानी रेगर का कहना था कि पति की मौत हो चुकी है। जीवन के ७५ बसंत पूरे हो चुके। उम्र के इस पड़ाव पर बेटे ने उसे घर से निकाल दिया है। अब उसके पास न तो रहने का ठिकाना है और न ही दो वक्त की रोटी का जुगाड़ है। बैठक में मौजूद कपासन थाना प्रभारी हिमांशु सिंह राजावत ने मामले को संवेदनशील मानते हुए अपना धर्म निभाया। वह भगवानी को अपने साथ लेकर उसके घर पहुंचे और बेटे से मकान का एक कमरा खाली करवाकर हाथों-हाथ भगवानी को सौंप दिया। यही नहीं उसके लिए कमरे में पंखा भी अपने स्तर पर लगवा दिया। आशियाना मिलते ही भगवानी भावुक हो गई। वह सीआई राजावत का हाथ चूमकर दुआएं देने लगी। खुशी के मारे एक बार फिर उसकी आंखें छलकी तो वहां मौजूद लोगों की भी आंखें नम हो गई।

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