कहां उठी बेरोजगारी मिटाने स्वरोजगार को बढ़ावा देने की बात
चित्तौड़गढ़Published: Sep 24, 2019 11:53:33 pm
वरिष्ठ नागरिक मंच जिला मुख्यालय चितौडगढ़ की संगोष्ठी सामुदायिक भवन शास्त्री नगर में आयोजित हुई। इसमें जिला अध्यक्ष नवरतन पटवारी,सभापति सुरेश कुमावत व अन्य सदस्यों ने बेरोजगारी की समस्या के कारण,उपाय तथा बेरोजगारी की समस्या के बारे में मंथन किया।
कहां उठी बेरोजगारी मिटाने स्वरोजगार को बढ़ावा देने की बात
वरिष्ठ नागरिक मंच की संगोष्ठी में उठा मुद्दा
चित्तौडग़ढ़. वरिष्ठ नागरिक मंच जिला मुख्यालय चितौडगढ़ की संगोष्ठी सामुदायिक भवन शास्त्री नगर में आयोजित हुई। इसमें जिला अध्यक्ष नवरतन पटवारी,सभापति सुरेश कुमावत व अन्य सदस्यों ने बेरोजगारी की समस्या के कारण,उपाय तथा बेरोजगारी की समस्या के बारे में मंथन किया। पटवारी ने कहा कि बेरोजगारी रोकने के लिए अब तक किए गए उपाय ज्यादा प्रभावी सिद्ध नही हुए। समस्या विकराल रूप से ले इससे पूर्व समाधान करने की जरूरत है। महासचिव आरसी डाड ने कहा कि स्वरोजगार शब्द की परिभाषा की ठीक ढंग से व्याख्या कर युवाओं को किसी भी कार्यशाला में समझाने का कोई प्रयास नही किया गया कि स्वरोजगार भी बेरोजगारी की समस्या का समाधान है। शिक्षित युवक-युवतियां नौकरी के पीछे ही क्यों भाग रहे इस बारे में कभी गंभीरता से विचार नहीं किया गया। पूर्व कालेज प्राचार्य डॉ रमेश दशोरा ने कहा कि बेरोजगारी समस्या के निराकरण के लिए शिक्षा प्रणाली में आमूलचूक परिवर्तन की आवश्यकता है। मंच के प्रवक्ता देवेन्द्र शर्मा ने वर्तमान शिक्षा प्रणाली की खामियों पर चर्चा करते हुए कहा कि इसे बारे में लोगों को जागरूक करने की आवश्यकता है। शिक्षाविद केएल नराणीवाल व मोहनलाल श्योपुरा ने कहा कि शिक्षा समाप्ति की बाद युवा नौकरियों के पीछे नहीं भागे बल्कि स्वरोजगार अपनाए इसके लिए भी मार्गदर्शन केन्द्र स्थापित होने चाहिए। बैठक में केएल पोखरना, केएल खण्डेलवाल, सम्पतलाल कालिया,सभापति सुरेश कुमावत, डीएस जोशी, शंभूलाल शर्मा, महेशदत्त भट्ट, कमलाशंकर मोड, महेन्द्र जैन, अंजना जैन, मदनलाल मेहता, बालूराम रेगर आदि ने विचार व्यक्त किए।
जिला कलक्टर को काम करने के लिए मिले पर्याप्त समय
बैठक में वक्ताओं ने जनसमस्याओं के समाधान के लिए जिला कलक्टर से कुछ दिनों के लिए विभिन्न सामाजिक संगठनों से फीड बेक लेने का भी सुझाव दिया। वरिष्ठों ने यह भी कहा कि जिला कलक्टर कोई भी होए उन्हें जनता की समस्याओं व स्थानीय राजनीति को समझने व उनका समाधान करने का पर्याप्त समय व अवसर मिलना चाहिए। मात्र 9 माह में से आचार सहिता व चुनाव के 2-3 महिने निकाल देने के बाद बचे चंद महिने किसी की कार्यक्षमता आंकलन के लिए अपर्याप्त समय है।