मुख्य टक्कर भाजपा व कांग्रेस के प्रत्याशियों में
चित्तौडग़ढ़ में ६० वार्डो के लिए १०१ बूथ, निम्बाहेड़ा में ४५ वार्डो के लिए ५२ एवं रावतभाटा में ४० वार्र्डो के लिए ४० बूथ स्थापित किए गए है। तीनों क्षेत्रों में सुबह ७ से शाम ५ बजे तक ईवीएम के माध्यम से मतदान होगा।मतगणना १९ नवंबर को सुबह ८ बजे से होगी। तीनों ही जगह मुख्य टक्कर भाजपा व कांग्रेस के प्रत्याशियों में मानी जा रही है हाालांकि कुछ जगह निर्दलीय भी मुकाबले को त्रिकोणीय बना रहे है। निम्बाहेड़ा नगरपालिका के वार्ड-१५ से पूर्व विधायक अशोक नवलखा भाजपा ्रप्रत्याशी है। चुनाव क्षेत्रों में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए करीब ९०० पुलिसकर्मी व अधिकारी तैनात किए गए है। राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से नियुक्त पर्यवेक्षक भगवतीप्रसाद कलाल ने शुक्रवार को तीनों निकाय क्षेत्रों का दौरा कर मतदान संबंधी तैयारियों का जायजा लिया।
भूल जो मत, माकों ध्यान राख जो सा
मतदान दिवस से एक दिन पहले भी प्रत्याशी मतदाता का मन जीतने के लिए हर जोड़-तोड़ में लगे रहे। घर-घर पहुंच मतदाताओं को ये विश्वास दिलाते रहे कि वे ही क्षेत्र के विकास के उनके सपनों को साकार कर सकते है। बड़े बुर्जुगों से हाथ जोड़ प्रत्याशी भूल मत जाना, ध्यान रखना की गुहार भी लगाते रहे। महिला प्रत्याशी भी स्वयं को मां,बहन, बेटी, भाभी समान बता मतदाता से वोट की गुहार लगाती रही।
कुछ वार्डो में निर्दलीयों ने बनाया मुकाबला त्रिकोणीय
शहर के ६० में से ३७ वार्डो में भाजपा व कांग्रेस प्रत्याशियों में सीधी टक्कर है। शेष वार्डो में से कुछ वार्डो में निर्दलीयोंं ने पूरी ताकत झोंक मुकाबला त्रिकोणीय बना दिया है। माना जा रहा है कि वार्ड-४७ में अक्षांश नाहटा, वार्ड-५१ में मुकेश वाघेला, वार्ड १६ में निलेश बल्दवा, वार्ड ५४ से जगदीश तेली, वार्ड ५५ से सूरजसिंह भाटी उस वार्ड के भाजपा व कांग्रेस प्रत्याशियों को कड़ी टक्कर दे रहे है। मुकाबले में लग रहे अधिकतर निर्दलीय प्रत्याशी भाजपा समर्थन माने जाने से पार्टी को वोटों का नुकसान होने की चिंता सता रही है।
मतदान होते ही प्रत्याशियों की बाड़बंदी की तैयारी
मतदान समाप्त होने से पहले ही कांग्रेस व भाजपा नेताओं ने अपने पार्षद प्रत्याशियों की बाड़ाबंदी की तैयारी कर ली है। सभापति चुनाव २६ नवंबर को होने से माना जा रहा है कि दोनों ही दल तब तक अपने प्रत्याशियों को स्वतंत्र छोडऩे के मूड में नहीं है। समय अधिक होने से चर्चा है कि प्रत्याशियों को बाड़बंदी अवधि में दूरस्थ स्थानों पर घूमाने ले जाया जा सकता है। मतगणना में १९ नवंबर को हार जाने वाले प्रत्याशियों को उस दिन बाड़बंदी से छोड़ दिए जाने की भी संभावना है। ये भी माना जा रहा है कि परिणाम एकतरफा रहने पर बाड़बंदी पर जोर कम हो सकता है।
पार्षद बनने से पहले ही निगाह सभापति पद पर
मतदान शनिवार को पार्षद पद के लिए हो रहा है लेकिन कई प्रत्याशियों की नजर सभापति पद पर टिकी है। सामान्य श्रेणी का पद होने से इस बार भाजपा व कांग्रेस में सभापति पद के लिए कई दावेदार माने जा रहे है। कांग्रेस की तुलना में भाजपा में इस पद के लिए अधिक होड़ मानी जा रही है। माना जा रहा है कि स्वयं को सभापति पद का प्रत्याशी मान रहे कुछ नेता स्वयं पार्षद चुनाव जीतने के साथ अन्य वार्डो में समर्थक प्रत्याशियों को जीताने का प्रयास कर रहे है ताकि बाद में सभापति नाम तय करते समय लामबंदी में स्थिति मजबूत रहे।
नोटा को मिलने वाले वोट बिगाड़ सकते समीकरण
चित्तौड़ शहर के तीन दर्जन वार्डो में भाजपा-कांग्रेस प्रत्याशियों में सीधी टक्कर होने से मतदाता के सामने अन्य कोई विकल्प के रूप में केवल नोटा है। ऐसे में माना जा रहा है कि इस बार नोटा में पहले से अधिक वोट मिल सकते है। कड़े त्रिकोणीय संघर्ष वाले वार्डो में नोटा को मिलने वाले मत किसी भी प्रत्याशी की जीत-हार का समीकरण बिगाड़ सकते है।