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चित्तौड़गढ़

पर्यूषण में कहां बह रही धर्म की गंगा

जैैन श्वेताम्बर समाज के पर्यूषण पर्व के तहत शहर में विभिन्न स्थानों पर धर्र्मसभाओं का आयोजन किया जा रहा है। मंदिरों में भी पूजा हो रही है।

चित्तौड़गढ़Sep 08, 2018 / 10:56 pm

Nilesh Kumar Kathed

chittorgarh

पर्यूषण में कहां बह रही धर्म की गंगा


चित्तौडग़ढ़ में पर्यूषण पर्व के तहत विभिन्न स्थानों पर धर्र्मसभाएं
चित्तौडग़ढ़. जैैन श्वेताम्बर समाज के पर्यूषण पर्व के तहत शहर में विभिन्न स्थानों पर धर्र्मसभाओं का आयोजन किया जा रहा है। मंदिरों में भी पूजा हो रही है। सेंती में शांतिभवन में धर्मसभा में साध्वी चारूप्रज्ञा ने कहा कि माँ से बेहतर किसी को भी नहीं माना जा सकता है। हर एक के जीवन में माँ एक अनमोल इंसान के रुप में होती है जिसके बारे शब्दों से बयाँ नहीं किया जा सकता है। ऐसा कहा जाता है कि भगवान हर किसी के साथ नहीं रह सकता इसलिए उसने माँ को बनाया। एक माँ हमारे जीवन की हर छोटी बड़ी जरुरतो का ध्यान रखने वाली होती है। दुनिया में उससे अनमोल कोई नहीं है। उन्होंने कहा कि हमारे जीवन में माँ की भूमिका हमेशा अलग होती है और वो हमेशा अपने बच्चों को सही राह पर आगे बढऩे के लिये मार्गदर्शन करती है। वो व्यक्ती पहली अध्यापक होती है जो जीवन के हर कदम पर नयी नयी सीख देती है और सही गलत का अंतर बताती है।जीवन में सबसे महत्वपूर्ण इंसान हमारी माँ होती है। साध्वी चारूप्रज्ञा ने कहा कि किसी के भी जीवन में एक माँ पहली, सर्वश्रेष्ठ और सबसे अच्छी व महत्त्वपूर्ण होती है क्योंकि कोई भी उसके जैसा सच्चा और वास्तविक नहीं हो सकता। इससे पुर्व साध्वी जयप्रज्ञा.ने अन्तकृतदशा सुत्र का वांचन किया।पर्यूषण पर्र्व के दौरान महिलाओ मे पचरंगी तपस्या भी जारी है। सभा का संचालन ऋषभ सुराणा ने किया।
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जप-तप साधना से होता कर्म क्षय
महावीर भगवान का कर्म सिद्धान्त कहता है कि हमारे जीवन में हमारे साथ जो कुछ भी घटता है उसकी सारी जिम्मेदारी हमारी स्वयं की होती है। क्योंकि पूर्व में हमने जैसे कर्म किये हैं वैसा ही आज हमें फल, भोग मिलता है। हमने पूर्व में किसी का अपमान या नुकसान किया है तो आज हमारा नुकसान हो रहा है। ये विचार मुनि नवीनप्रज्ञ ने खातर महल में आयोजित धर्मसभा में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि भूतकाल में किये कर्म को भोगने में समभाव रखें एवं भविष्य में कष्टों से बचने के लिये वर्तमान में सावधान हो जाएं। प्रवचन के प्रारम्भ में जाागृत मुनि ने अंतगढ़दसा सूत्र का वाचन किया। प्रेमलता लोढ़ा ने बाईस उपवास के प्रत्याख्यान ग्रहण किए। सामूहिक तेले तप आराधना में अनेकों तपस्वियों ने बेला एवं तेला तप का प्रत्याख्यान लिया। साधुमार्गी शांत-क्रांति जैन श्रावक संघ के अध्यक्ष गम्भीरसिंह शिशोदिया ने बताया कि रविवार को बड़े कल्प पर सजोड़े नमोत्थुणं जाप दोपहर दो बजे से प्रारम्भ होगा।रविवार को ही बच्चों को संस्कार देने हेतु प्रात: साढ़े आठ बजे से ग्यारह बजे तक संस्कार शिविर का आयोजन होगा। सभा का संचालन नरेन्द्र खेरोदिया ने किया।
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साधना से ही जान सकते आत्मस्वरूप
किला रोड़ स्थित आचार्य नानेश-रामेश साधना भवन में साधुमार्गी संघ की साध्वी हर्षिताश्री ने धर्मसभा में कहा कि यदि आत्म स्वरूप को जानना चाहते हो तो श्रद्धापूर्वक धर्म आराधना कर अन्तरज्योति को जगाए। श्रद्धापूर्वक की गई साधना से ही आत्मस्वरूप और परमात्म स्वरूप को जाना जा सकता है। उन्होंने कहा कि व्यक्ति के रोम-रोम में धर्म के प्रति अटूट श्रद्धा, निष्ठा होगी तो ही आत्म जागृति करा सकेगा। साधक जो भी व्रत-प्रत्याख्यान लेता है और उनका पूर्ण श्रद्धा से पालन करता है, आत्मा कल्याण करते हैं। साध्वी निष्ठाश्री ने अन्तकृतदशाश्रुत का वाचन कर तप के महत्व को समझाया। साध्वी अनुप्रेक्षा ने साधुमार्गी संघ के पूर्वाचार्यो के संमकीय जीवन के महत्व को समझाया। धर्मसभा में सामूहिक तेले, दयावृत एवं अन्य तपस्याओं के प्रत्याख्यान हुए। आशु भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। संचालन संघ अध्यक्ष सोहनलाल पोखरना ने किया।
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मंदिर में प्रतिमाओं पर मनमोहक आंगी रचना
सेंती स्थित जैन मंदिर पर पूर्यषण पर्व के तहत शनिवार को भगवान महावीर व अन्य की प्रतिमाओं पर मनमोहक आंगी रचना की गई। इस अवसर पर समाज के लोगों ने सजावट के दर्शन कर आनन्द पूर्वक भक्ति की। आदिनाथ मंदिर में आदिनाथ भगवान के मंदिर पर अरिहंत नवयुवक मण्डल के सदस्यों ने सजावट की
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