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चित्तौड़गढ़

किसने कराया भाजपा जिलाध्यक्ष पर धोखाधड़ी का मामला दर्ज

भाजपा जिलाध्यक्ष रतनलाल गाडरी के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला सदर थाने में दर्ज हुआ है, वहीं गाडरी ने भी मां-बेटे पर ७० लाख रूपए के गबन का आरोप लगाते हुए मामला दर्ज कराया है। दोनों ही मामले न्यायालय के आदेश पर शनिवार देर रात सदर थाने में दर्ज हुए हैं।

चित्तौड़गढ़Mar 18, 2019 / 01:03 pm

Nilesh Kumar Kathed

chittorgarh

किसने कराया भाजपा जिलाध्यक्ष पर धोखाधड़ी का मामला दर्ज

न्यायालय के आदेश पर सदर थाने में दर्ज हुए परस्पर मामले
चित्तौडग़ढ़. भाजपा जिलाध्यक्ष रतनलाल गाडरी के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला सदर थाने में दर्ज हुआ है, वहीं गाडरी ने भी मां-बेटे पर ७० लाख रूपए के गबन का आरोप लगाते हुए मामला दर्ज कराया है। दोनों ही मामले न्यायालय के आदेश पर शनिवार देर रात सदर थाने में दर्ज हुए हैं।
भाजपा जिलाध्यक्ष धीरजी का खेड़ा निवासी रतनलाल पुत्र पृथ्वीराज गाडरी की ओर से न्यायालय में पेश किए गए इस्तगासे में बताया गया कि प्रार्थी की अध्यक्षता में शिक्षण संस्थान का गठन कर इसका नाम न्यू श्री सांवरिया शिक्षण संस्थान रखा गया। संस्थान का विधिवत पंजीयन कराया गया। प्रार्थी को संस्थान का अध्यक्ष बनाया गया। इसके बाद सीकर एकेडमी सेंती चितौडगढ के नाम से विद्यालय का संचालन प्रारंभ किया गया। इसके बाद आरोपी गीतादेवी को सचिव तथा प्रहलाद शर्मा को कोषाध्यक्ष बनाया गया। आरोपियों ने संस्थान के रोकड़ खाते हिसाब पुस्तको एंव अन्य लेखा रिकार्ड गायब कर दिए व ७० लाख रूपए का गबन किया है।
इधर प्रहलाद शर्मा ने भी न्यायालय में भाजपा जिलाध्यक्ष रतनलाल गाडरी सहित पीयूष कुमार, कुलदीप झांझडिय़ा तथा विकास मील पर धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए न्यायालय में इस्तगासा पेश किया कि आरोपी गाडरी के साथ न्यु श्री सांवलिया शिक्षण संस्थान सीकर एकेडमी विद्यालय का संचालन शुरू किया, जिसमें आरोपी गाडरी व प्रार्थी ने बराबर पूंजी लगाई। बैंक खाते का संचालन भी दोनों करते थे। भागीदारी के साथ वर्किंग भागीदार के रूप मेें प्रार्थी का मानदेय प्रतिमाह चालीस हजार रूपए तय किया गया। इसके बाद प्रार्थी को रूपए की आवश्यकता हुई तो संस्थान के सीए सुशील शर्मा से हिसाब मांगा तो उन्होंने कहा कि हिसाब सीए पीयूष कुमार को दे दिया है। आरोपी गाडरी से पूछा तो वह लड़ाई-झगड़े पर उतारू हो गए। गाडरी व सीए पीयूष ने मिलकर संस्थान के खाते में हेराफेरी के इरादे से सीए बदलवा लिया और कहा कि ३५ लाख रूपए और जमा करवाओ। जबकि प्रार्थी ने स्कूल के सामन पर ७० लाख रूपए खर्च किए।
संस्थान को सवा दो करोड़ रूपए की आय हुई, लेकिन आरोपी गाडरी व सीए पीयूष ने मिलकर आयकर से बचने के लिए धोखाधड़ी के इरादे से दस्तावेज में फेरबदल कर हिसाब तैयार कर लिया।
प्रार्थी से पांच सौ रूपए का स्टांप क्रय करवाकर खाली स्टांप व पचास चेक पर हस्ताक्षर करवा लिए। आरोपियों ने धमकाया कि हिसाब मांगा तो छेड़छाड़ का मामला दर्ज करवाकर बंद करवा देंगे। भागीदारी स्टांप लिखने के दिन ही प्रार्थी और उनकी मां को कोषाध्यक्ष व सचिव पद से हटा दिया। न्यायालय के आदेश पर सदर थाना पुलिस ने परस्पर मामले दर्ज कर जांच
शुरू की है।
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