scriptबस्सी वन्यजीव अभयारण्य के दस किमी दायरे में किसने लगा दी खनन पर रोक | who order stop mining activity around 10 km bassi wild life senchtury | Patrika News

बस्सी वन्यजीव अभयारण्य के दस किमी दायरे में किसने लगा दी खनन पर रोक

locationचित्तौड़गढ़Published: Mar 15, 2019 12:37:23 pm

Submitted by:

Nilesh Kumar Kathed

राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) ने चित्तौडग़ढ़ से करीब 25 किलोमीटर दूर स्थित बस्सी वन्यजीव अभयारण्य (वाइल्ड लाइफ सेंक्चुरी) के दस किलोमीटर परिधि को इको सेंसिटव जोन मानते हुए इस क्षेत्र में किसी भी तरह की खनन गतिविधियों पर रोक लगा दी है।

chittorgarh

बस्सी वन्यजीव अभयारण्य के दस किमी दायरे में किसने लगा दी खनन पर रोक



चित्तौडग़ढ़. राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) ने चित्तौडग़ढ़ से करीब 25 किलोमीटर दूर स्थित बस्सी वन्यजीव अभयारण्य (वाइल्ड लाइफ सेंक्चुरी) के दस किलोमीटर परिधि को इको सेंसिटव जोन मानते हुए इस क्षेत्र में किसी भी तरह की खनन गतिविधियों पर रोक लगा दी है। इस सम्बन्ध में 8 मार्च को पारित आदेश के बाद खान विभाग हरकत में आ गया है एवं इस परिधि क्षेत्र में किसी भी तरह की खनन गतिविधियों को रोकने के निर्देश दिए है। चित्तौडग़ढ़ जिले के प्रताप भानूसिंह शेखावत की याचिका पर सुनवाई करते हुए एनजीटी ने बस्सी वन्यजीव अभयारण्य के जीव-जंतुओं को सुरक्षित रखने एवं क्षेत्र के पर्यावरण को किसी तरह के खतरे से बचाने के लिए अभयारणय के 10 किलोमीटर परिधि क्षेत्र में खनन कार्य पर रोक लगा दी है। खान विभाग के कार्यवाहक खनिज अभियंता रामरख मेघवाल के अनुसार आदेश मिलने के बाद परिधि क्षेत्र में खनन कार्य करने वाले बिरला सीमेन्ट वक्र्स को ऐसी गतिविधियां तुरंत रोकने के आदेश दिए गए है। विभाग के फोरमेन को भी क्षेत्र में सर्र्तक किया गया है जो ये सुनिश्चित करेगा कि परिधि क्षेत्र में किसी तरह की खनन गतिविधि नहीं हो पाए। इधर, एनजीटी के इस आदेश से खनन गतिविधियां थम जाने से उद्योग जगत में हलचल तो है लेकिन सार्वजनिक रूप से कोई प्रतिक्रिया देने से बचा जा रहा है। गौरतलब है कि बस्सी फोर्ट पैलेस से पांच किलोमीटर दूर १५ हजार २९० हैक्टयर क्षेत्र में फैले बस्सी वन्य जीव अभयारण्य स्थापना १९८८ में की गई थी। इस अभयारण्य में पेंथर, भालू, चिता सहित कई तरह के वन्य जीव मौजूद है।
…………….
चित्तौड़ दुर्ग के दस किमी परिधि में खनन पर पहले से रोक
गौरतलब है कि यूनेस्को की विश्व विरासत में शामिल चित्तौैड़ दुर्ग से दस किलोमीटर की परिधि क्षेत्र में खनन कार्य पर पिछले पांच वर्ष से अधिक समय से रोक लगी हुई है। माना गया था कि परिधि क्षेत्र में खनन गतिविधियों से दुर्ग के संरक्षित स्मारकों को खतरा हो सकता है। इस रोक के बावजूद परिधि क्षेत्र में अवैध खनन की शिकायते भी मिलती रहेती है।
………………
वायू प्रदूषण आंकने चित्तौड़ शहर का ड्रोन से सर्वेक्षण के आदेश
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने एतिहासिक चित्तौड़ शहर में खनन की वजह से हो रहे वायु प्रदूषण के नुकसान के आकलन के लिए ड्रोन से सर्र्वेक्षण कराने का भी आदेश दे रखा है। एनजीटी ने नागरिक उड्डयन विभाग के महानिदेशक को निर्देश दिया है कि वो सर्वेक्षण (सर्वे) महानिदेशक देहरादून को ड्रोन से सर्वेक्षण की अनुमति प्रदान करे। एनजीटी ने भारत के सर्वेक्षण महानिदेशक को ड्रोन से चित्तौडग़ढ़ का सर्वेक्षण कर एक जुलाई तक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है।
………………
शहर के आसपास चार हजार हैक्टयर से अधिक क्षेत्र में खनन के लीज
चित्तौडग़ढ़ शहर के 15 किलोमीटर के दायरे में स्टोन और खनिजों का खनन होता है। शहर के आसपास करीब 4 हजार 6 00 हेक्टेयर खनन के लीज है जिसमें 11.22 मिलीयन टन का सालाना उत्पादन होता है। शहर में छोटे-छोटे खनिजों का खनन इलाका 26 0 हेक्टेयर है जिसमें से 5.2 मिलियन टन का उत्पादन हर साल होता है।
………………………
एनजीटी के आदेश के बाद बस्सी वन्यजीव अभयारण्य के दस किलोमीटर परिधि क्षेत्र में खनन पर रोक लगाई गई है। इस क्षेत्र में केवल बीसीडब्लयू का खनन कार्य होने से उन्हें बंद करने के आदेश दिए। फोरमेन को भी इसके लिए पाबंद किया गया है।
रामरख मेघवाल, कार्यवाहक खनिज अभियंता, चित्तौडग़ढ़
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो