किसने कहा कि ईश्वर और मौत को हमेशा याद रखो
चित्तौड़गढ़Published: Aug 24, 2019 03:50:44 pm
चित्तौडग़ढ़. आज हमें जो याद रखना होता है उसे ही हम भूल जाते है। व्यक्ति को ईश्वर और मौत को हमेशा याद रखना चाहिए। जीवन बड़ी मुश्किल से मिलता है इसलिए इसे सत्कर्म में लगाएं और हर परिस्थिति को सहन करना सीखें।
किसने कहा कि ईश्वर और मौत को हमेशा याद रखो
जो हमें याद रखना होता है उसे हम भूल जाते हैं
चित्तौडग़ढ़. आज हमें जो याद रखना होता है उसे ही हम भूल जाते है। व्यक्ति को ईश्वर और मौत को हमेशा याद रखना चाहिए। जीवन बड़ी मुश्किल से मिलता है इसलिए इसे सत्कर्म में लगाएं और हर परिस्थिति को सहन करना सीखें। श्रीमद् भागवत् अलौकिक शास्त्र है जिसका शुकदेव मुनि से पूर्व किसी को ज्ञान नहीं हुआ। यह विचार बूंदी रोड स्थित रामद्वारा परिसर में चातुर्मास सत्संग के तहत आयोजित श्रीमद् भागवत सप्ताह के दूसरे दिन रामस्नेही संत दिग्विजय राम महाराज ने व्यक्त किए। उन्होंने कपिल देवहुति प्रसंग तथा ध्रुव चरित्र पर चर्चा की।
संत दिग्विजय राम ने बताया कि सत्संग बड़ी मुष्किल से मिलता है और हरि नाम एक महान औषधि है। संसार में सब सुलभ है लेकिन मानव तन, सौभाग्य और संतों की संगति ये तीन चीजे दुर्लभ है। अपने विवेक का इस्तेमाल करते हुए अपने परिवार, समाज और राष्ट्र का हित सोचकर व्यक्ति को कार्य करना चाहिए। उन्होने भागवत श्रवण से पूर्व इसके द्वादष मंत्र का सात बार उच्चारण करने पर बल देते हुए कहा कि साधन को आराधना के लिए मन शुद्धि करना आवश्यक है। उन्होंने बताया कि भागवत में तीन बार मंगला चरण का उल्लेख है जिनका संकेत है कि सत्य का ध्यान करे, धर्म को अंगीकार करे और भागवत रसमालय माने क्योंकि संसार में मृत्यु एक शाष्वत सत्य है जो सप्ताह के किसी भी दिन आ सकती है और ऐसे में भागवत हमें जीने और मरने की कला सिखाती है। उन्होने बताया कि भूख व्यक्ति को पाप की ओर अग्रसर करती है और जिस दिन भूखवाद समाप्त हो जायेगा उस दिन भ्रष्टाचार स्वत: ही समाप्त हो जाएगा। भक्ति के मार्ग पर बढऩे के लिए मन का नियंत्रण जरूरी है। चाहे लाख परिस्थिति बदले लेकिन मन की स्थिति नही बदलनी चाहिए। इस मौके पर संत रमताराम महाराज भी मंच पर मौजूद थे।