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एसीबी की नजर में क्यों रहेगा हर गांव का मुखिया, आप भी जानिए खास वजह

locationचित्तौड़गढ़Published: Dec 02, 2020 11:24:51 am

Submitted by:

jitender saran

नई अफीम नीति जारी होने के साथ ही मेवाड़ और मालवा क्षेत्र में तस्करों की आवाजाही अब बढने वाली है। क्यों कि अफीम की बुवाई के साथ ही खेतों पर ही अफीम और डोडा चूरे के सौदे पैदावार होने से पहले ही तय हो जाते हैं। पिछले सालों में मुखिया की तस्करों तक पहुंच का खुलासा होने के बाद अब भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की टीमें नारकोटिक्स विभाग के अधिकारियों के साथ ही मुखियाओं की गतिविधियों पर भी चौकस नजरें रखेगी।

एसीबी की नजर में क्यों रहेगा हर गांव का मुखिया, आप भी जानिए खास वजह

एसीबी की नजर में क्यों रहेगा हर गांव का मुखिया, आप भी जानिए खास वजह

चित्तौडग़ढ़
मेवाड़ और मालवा में हर साल बड़ी मात्रा में अफीम की पैदावार होती है। तय मापदण्ड के अनुसार नारकोटिक्स विभाग में अफीम जमा करवाने के बाद भी किसानों के पास बड़ी मात्रा में अफीम बच जाती है। अधिकांश मामलों में दलालों के मार्फत या फिर सीधे तस्करों के साथ पहले ही इसके सौदे तय हो जाते हैं। मेवाड़ और मालवा क्षेत्र से अफीम और डोडा चूरा तस्करी के जरिए मारवाड़ सहित पंजाब और हरियाणा ले जाया जाता रहा है। केन्द्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो की ओर से तस्करी की रोकथाम के लिए निवारक एवं सूचना प्रकोष्ठ सेल बना हुआ है। जो मुख्य रूप से अफीम तस्करी की रोकथाम के लिए ही कार्य करता है। हर साल अफीम की बुवाई के साथ ही गांवों में तस्करों की आवाजाही शुरू हो जाती है, जो डोडों के चीरे लगने तक जारी रहती है। यही वह अवधि है, जब तस्कर और उनके दलाल बे-रोक टोक गांवों तक पहुंचकर सौदे आसानी से तय कर लेते हैं। अब पट्टे जारी होने के साथ ही अफीम की बुवाई शुरू हो जाएगी। जिले के सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों मेंं जहां अफीम उत्पादन क्षेत्र है वहां लग्जरी वाहनों की आवाजाही शुरू हो जाएगी। विशेष तौर पर इस अवधि में रात के समय बाहरी राज्य एवं जिलों के वाहन गांवों की ओर रुख करतेे हैं। मारवाड़ और पंजाब, हरियाणा जाने के लिए चित्तौडग़ढ़ से सीधा मार्ग है, ऐसे में मध्यप्रदेश से भी बड़ी मात्रा में मादक पदार्थों की तस्करी चित्तौडग़ढ़ के रास्ते होती रही है।
सूचना तंत्र होगा मजबूत
इधर मादक पदार्थों की तस्करी रोकने और ग्रामीण इलाकों में बाहरी लोगों पर नजर रखने के लिए पुलिस और नारकोटिक्स विभाग ने तस्करों के मार्ग को चिह्नित कर विशेष नाकाबंदी करने की तैयारी शुरू कर दी है। पुलिस ने तस्करी रिकॉर्ड वाले अपराधियों पर भी निगरानी रखनी शुरू कर दी है। पिछले सालों में नारकोटिक्स विभाग के अधिकारियों की मुखियाओं से सांठगांठ और मुखियाओं के तस्करों से संपर्क के मामले सामने आने के बाद भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के अधिकारियों की भी अब मुखियाओं और नारकोटिक्स विभाग के अधिकारियों पर विशेष नजर रहेगी।
बुवाई होते ही गढ जाती नजरें
अफीम की खेती सरकारी एजेंसी सेंट्रल ब्यूरो ऑफ नारकोटिक्स की देखरेख में होती है, लेकिन बुवाई होने के साथ ही तस्कर और भी ज्यादा सक्रिय हो जाते हैं। खेत में तैयार अफीम पर सबसे पहले सरकार का हक होता है, लेकिन सरकार को तय स्टॉक देने के बाद कई किसान बची हुई अफीम तस्करों के हवाले कर देतेे हैं। कई जगह अफीम को खेतों में ही जमीन में छिपाकर भी रखा जाता है।
तस्करों से मिलते हैं ज्यादा दाम
सरकार की ओर से अफीम की खेती के लिए जो पट्टे जारी किए जाते हैं उनमें 10 आरी के पट्टे पर साढ़े सात किलो अफीम सरकार को जमा करानी होती है। नहीं देने पर संबंधित किसान का पट्टा निरस्त करने का प्रावधान है। सरकार की ओर से किसानों को औसत के आधार पर भुगतान किया जाता है। इसके हिसाब से किसान को डेढ से दो हजार रूपए प्रतिकिलो अफीम के प्राप्त होते हैं। इससे अधिक होने वाली पैदावार सीधे किसान या दलालों के मार्फत तस्करों तक पहुंच जाती है।
हमारा मुखबीर तंत्र मजबूत
मादक पदार्थों की तस्करी रोकने के लिए हमारा मुखबीर तंत्र मजबूत है। जिले में इस बार भी एनडीपीएस की बहुत कार्रवाइयां की गई है। संदिग्ध लोगों से पूछताछ भी की जाती है। मजबूत सूचना तंत्र तस्करों की धर-पकड़ में और अधिक कामयाबी दिलाएगा। ग्रामीण क्षेत्रों में आने वाले बाहरी लोगों और वाहनों पर नजर रखी जाएगी।
दीपक भार्गव
पुलिस अधीक्षक चित्तौडग़ढ़
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