इधर मादक पदार्थों की तस्करी रोकने और ग्रामीण इलाकों में बाहरी लोगों पर नजर रखने के लिए पुलिस और नारकोटिक्स विभाग ने तस्करों के मार्ग को चिह्नित कर विशेष नाकाबंदी करने की तैयारी शुरू कर दी है। पुलिस ने तस्करी रिकॉर्ड वाले अपराधियों पर भी निगरानी रखनी शुरू कर दी है। पिछले सालों में नारकोटिक्स विभाग के अधिकारियों की मुखियाओं से सांठगांठ और मुखियाओं के तस्करों से संपर्क के मामले सामने आने के बाद भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के अधिकारियों की भी अब मुखियाओं और नारकोटिक्स विभाग के अधिकारियों पर विशेष नजर रहेगी।
अफीम की खेती सरकारी एजेंसी सेंट्रल ब्यूरो ऑफ नारकोटिक्स की देखरेख में होती है, लेकिन बुवाई होने के साथ ही तस्कर और भी ज्यादा सक्रिय हो जाते हैं। खेत में तैयार अफीम पर सबसे पहले सरकार का हक होता है, लेकिन सरकार को तय स्टॉक देने के बाद कई किसान बची हुई अफीम तस्करों के हवाले कर देतेे हैं। कई जगह अफीम को खेतों में ही जमीन में छिपाकर भी रखा जाता है।
सरकार की ओर से अफीम की खेती के लिए जो पट्टे जारी किए जाते हैं उनमें 10 आरी के पट्टे पर साढ़े सात किलो अफीम सरकार को जमा करानी होती है। नहीं देने पर संबंधित किसान का पट्टा निरस्त करने का प्रावधान है। सरकार की ओर से किसानों को औसत के आधार पर भुगतान किया जाता है। इसके हिसाब से किसान को डेढ से दो हजार रूपए प्रतिकिलो अफीम के प्राप्त होते हैं। इससे अधिक होने वाली पैदावार सीधे किसान या दलालों के मार्फत तस्करों तक पहुंच जाती है।
मादक पदार्थों की तस्करी रोकने के लिए हमारा मुखबीर तंत्र मजबूत है। जिले में इस बार भी एनडीपीएस की बहुत कार्रवाइयां की गई है। संदिग्ध लोगों से पूछताछ भी की जाती है। मजबूत सूचना तंत्र तस्करों की धर-पकड़ में और अधिक कामयाबी दिलाएगा। ग्रामीण क्षेत्रों में आने वाले बाहरी लोगों और वाहनों पर नजर रखी जाएगी।
दीपक भार्गव
पुलिस अधीक्षक चित्तौडग़ढ़