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किसानों के चेहरे पर किस लिए चिंता की लकीरे, खेतों में क्यो पहुंचे अधिकारी

locationचित्तौड़गढ़Published: Sep 07, 2018 12:50:33 pm

Submitted by:

Nilesh Kumar Kathed

चित्तौडग़ढ़. जिले में खरीफ की फसलों पर एक साथ कई प्रजाति के कीटों ने हमला बोल दिया है। विशेष रूप से सोयाबीन की फसल इसकी चपेट में है।

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चित्तौडग़ढ़ के पास खेतों में फसलों पर कीटों के प्रकोप की जांच करते कृषि अधिकारी।



चित्तौडग़ढ़. जिले में खरीफ की फसलों पर एक साथ कई प्रजाति के कीटों ने हमला बोल दिया है। विशेष रूप से सोयाबीन की फसल इसकी चपेट में है। केन्द्र व राज्य सरकार के अधिकारियों ने चित्तौडग़ढ़ पहुंचकर सर्वे शुरू कर दिया है। सर्वे में भी इस बात की पुष्टि हो गई है।
सहायक निदेशक कृषि विस्तार चित्तौडग़ढ़ डॉ. शंकरलाल जाट, केन्द्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन केन्द्र दुर्गापुरा जयपुर तथा कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय केन्द्र सरकार के सहायक वनस्पति संरक्षण अधिकारी राजेश जैन, डॉ. सूरज करण चौधरी, बृजेश गौड़, सहायक कृषि अधिकारी जालमपुरा महावीर प्रसाद पारीक ने सोयाबीन, मक्का आदि में कीट व्याधि प्रकोप को लेकर बुधवार को चित्तौडग़ढ़ पंचायत समिति के ओरड़ी व जालमपुरा गांव में सर्वे किया। सर्वे के दौरान जालमपुरा गांव में किसान नगजीराम के खेत पर सोयाबीन की फसल में तंबाकू की इल्ली, गर्डल बिटल, सेमीलूपर व सफेद मक्खी का प्रकोप दिखाई दिया। हालाकि अब तक यह आर्थिक क्षति स्तर से कम है, लेकिन समय पर नियंत्रण नहीं हुआ तो हालात आर्थिक क्षति स्तर से भी अधिक खराब होने की आशंका है।
नमूने मंगवाकर बताए उपाय
सहायक कृषि अधिकारियों व कृषि पर्यवेक्षकों को अपने-अपने क्षेत्र में सघन निरीक्षण कर कीट प्रकोप के नमूने लाने के निर्देश दिए गए थे। इस पर बुधवार को हुई मासिक तकनीकी बैठक में पंचायत समिति चित्तौडग़ढ़, बड़ीसादड़ी, डूंगला, भदेसर व निम्बाहेड़ा के सहायक कृषि अधिकारी व कृषि पर्यवेक्षक कीट प्रकोप के नमूने लेकर पहुंचे। केन्द्र सरकार के अधिकारियों ने कीटों की पहचान करते हुए इन पर नियंत्रण के उपाय बताए। उप निदेशक कृषि विस्तार भूपेन्द्रसिंह राठौड़ ने निर्देश दिए कि सहायक कृषि अधिकारी व कृषि पर्यवेक्षक क्षेत्र में सजग रहकर खरीफ की फसलों का निरंतर निरीक्षण करते हुए किसानों को नियंत्रण के उपाय बताएं। कृषि अधिकारी मुकेश धाकड़ व अंशु चौधरी ने समीक्षा की।
तना खोखला कर देती है गर्डल बिटल
सहायक निदेशक डॉ. जाट ने बताया कि गर्डल बिटल की पूर्ण विकसित लटें २ से ३ सेमी लम्बी तथा ४ से ५ मिमी मोटी होकर गहरे पीले रंग की होती हैं, जो तने के गुदे को खाकर खोखला कर देती है।
ऐसे करें नियंत्रण
डॉ. जाट ने बताया कि इसके नियंत्रण के लिए ट्राईजोफॉस ४० ईसी एक मि.ली. प्रति लीटर, एसीफेट ७५ प्रतिशत एस.पी. एक ग्राम प्रति लीटर व क्यूनॉलफॉस २५ ईसी दो मि.ली. प्रति लीटर या १० से ११ ग्राम इमामेक्टीन बैंंजोएट ५ एस.सी. के सक्रिय तत्व या ५० से ६० मि.ली. इन्डोक्साकार्ब १४.५ एस.सी. के सक्रिय तत्व या ७५० ग्राम थायोडिकार्ब ७५ डब्ल्यू.पी. के सक्रिय तत्व या प्रोफेनोफॉस ५० ईसी १.२५ लीटर प्रति हैक्टेयर की दर से छिड़काव करना चाहिए।
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