चुरू

15 शराब कारोबारियों ने आवेदन किए सरेण्डर

शराब कारोबारियों को इस बार आबकारी विभाग की नई पॉलिसी रास नहीं आ रही है। जिले की दुकानें अब जाकर पूरी हुई।

चुरूSep 20, 2021 / 11:50 am

Madhusudan Sharma

शराब कारोबारियों को इस बार आबकारी विभाग की नई पॉलिसी रास नहीं आ रही है। जिले की दुकानें अब जाकर पूरी हुई।

कैलाश शर्मा
सुजानगढ़. शराब कारोबारियों को इस बार आबकारी विभाग की नई पॉलिसी रास नहीं आ रही है। जिले की दुकानें अब जाकर पूरी हुई। इस बार कोरोना का ऐसा ग्रहण लगा कि पहले दुकानें लेने नहीं आए कई मिन्नतों के बाद दुकानें ली तो घाटे के सौदे में कई ने सरेंडर के आवेदन करने शुरु कर दिए। जानकारों की माने तो राजस्थान निर्मित शराब (आरएमएल) ठेकेदारों के लिए आफत बन रही है। चूरू जिले में करीब 8 से 10 करोड़ रुपए की शराब दुकानों में पड़ी होने का अनुमान है। यही हॉल अन्य जिलो में भी है। इस शराब के खरीदार कम बताए। इधर, गांरटी नियमों के तहत हर माह इसकी फिक्स मात्रा उठानी जरूरी बताई है। ऐसे में ठेकेदारो के गोदाम शराब से अटे पड़े हैं। अब कुछ ठेकेदार इसे कम दाम में बेचने को मजबूर हो गए हैं। कुछ दुकानें सरकार के ही उपक्रम राजस्थान स्टेट ब्रेवरेज कॉपरेशन लिमिटेड (आरएसबीसीएल) ने चलाने के लिए ली है, लेकिन वह भी घाटे का सौदा होने पर सरेण्डर हो गई। यानि सरकार की दुकानें खुद ही नहीं चला पाई। इसके चलते आबकारी नीति पर ही प्रश्र चिह्न लग गया है।
पॉलिसी बनीं परेशानी का सबब
शराब ठेकेदारों को पॉलिसी के तहत पचास प्रतिशत देशी शराब व पचास प्रतिशत आरएमएल शराब खरीदनी होती है। देशी शराब तो बिक रही है, लेकिन आरएमएल शराब नहीं बिक रही बताई। हर माह इसकी तय मात्रा उन्हें उठानी पड़ रही है। ऐसे में ठेकेदारो के गोदामो में आरएमएल शराब जमा हो रही है। ग्राहकों को भी वह कम दाम में बेच रहे है, इसके बावजूद स्टॉक खत्म नहीं हो रहा।
13वें चरण में मिले ठेकेदार
कभी शराब ठेका खरीदने के लिए भीड़ रहती थी। नीलामी होने के बाद भी बड़े दाम देकर ठेका खरीद लिया जाता था। इस बार ऐसा नहीं हुआ। सरकार ने पहली बार ई-ऑक्सन के जरिए ठेकों की बोली लगाई। लेकिन कड़े नियम व कई शर्तों के चलते शराब ठेके से लोगो का मोह भंग हो गया। चूरू जिले में ऐसी कई दुकानें रही जो नीलामी प्रक्रिया के 13वें चरण आने पर बिकी। इसके पीछे ठेकेदारों की माने तो पहले देशी व अंग्रेजी शराब की अलग-अलग दुकानें हुआ करती थी, तो अच्छा कारोबार माना जाता था। इस बार पहले कोरोना रहा अब सरकार निर्मित शराब नहीं बिकने से दुकाने घाटे का सोदा साबित हो रही है।
दुकानें सरेण्डर करने का ये है प्रमख कारण
अब तक सरेंडर का सबसे बड़ा कारण ग्राहक की मांग नहीं होने के बावजूद 50 प्रतिशत राजस्थान निर्मित शराब की गारन्टी उठाना रहा। इस शराब का अधिकांश दुकानो पर स्टॉक भरा पड़ा बताया। आबकारी विभाग के अधिकारिक सूत्रो ने बताया कि कर्नाटक की तर्ज पर आई नई पॉलिसी में पहली बार ई-नीलामी के जरिए दुकानो को बेचा गया, लेकिन पूरी सफलता नहीं मिली। गारन्टी सिस्टम में ही 100 प्रतिशत उठने वाली दुकाने ई-नीलामी के अनेक प्रयास के बाद भी पूरी नहीं हुई। चूरू जिले में 15 दुकानो के सरेंडर आवेदन पत्र विभाग को मिल चुके। इसमें हालांकि सरकार ने नियामो में कुछ फेरबदल तो किया, लेकिन उसमें भी सरकार ने ऐसा पेच फंसाया कि अगर कोई ठेकेदार दुकाने सरेंडर करे तो उसे वर्ष भर का पूरा पैसा जमा कराना पड़ेगा, उसे 35 प्रतिशत माल उठाना पड़ेगा।

इनका कहना है
अनुज्ञापत्र धारियों की शिकायत पर आरएमएल के प्रतिशत को लेकर राज्य सरकार ने राहत दी है। अब आरएमएल का प्रतिशत 50 से 35 कर दिया है, इसलिए अनुज्ञापत्रधारियों को अब परेशानी नहीं होगी। दुकाने सरेंडर करने के 15 आवेदन मिले जो नियमानुकूल न होने से खारिज कर दिए गए।
संजीव पटावरी, डीईओ आबकारी विभाग, चूरू्

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