चुरूPublished: May 18, 2022 11:26:32 am
Madhusudan Sharma
चूरू. पिछले लंबे समय से भारी वाहनों के लिए बंद आरओबी के लिए सरकार के स्तर पर प्रयास किए जाने हैं। इसको लेकर विभाग ने 23 लाख 60 हजार रूपए सीआरआरआई (सेंटर रोड रिसर्च इंस्टीटयूट) नई दिल्ली को जमा करवा दिए हैं।
23 लाख 60 हजार जमा करवाए, जांच का इंतजार
चूरू. पिछले लंबे समय से भारी वाहनों के लिए बंद आरओबी के लिए सरकार के स्तर पर प्रयास किए जाने हैं। इसको लेकर विभाग ने 23 लाख 60 हजार रूपए सीआरआरआई (सेंटर रोड रिसर्च इंस्टीटयूट) नई दिल्ली को जमा करवा दिए हैं। अब इस टीम के आने का इंतजार है। ये रूपए जमा करवाने के बाद काफी समय हो गया लेकिन अभी तक इसकी जांच नहीं हो पाई है। ऐसे में भारी वाहनों को चूरू-जयपुर रोड पर पहुंचने के लिए अग्रसेन नगर से होकर गुजरना पड़ रहा है। भारी वाहनों का कॉलोनी में से आवागमन होने के कारण लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। 26 सितंबर 2018 को इसके महत्वपूर्ण भाग के क्षतिग्रस्त हो जाने के कारण भारी वाहनों का दबाव सहने की क्षमता संदिग्ध के घेरे में आ गई है। विभाग के अधिकारियों को अनेक बार आरओबी की क्षमता जांच एवं आवश्यक मरम्मत के लिए लिखा जा चुका है लेकिन अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की गई है। उस समय तत्कालीन जिला कलक्टर संदेश नायक ने पीडब्ल्यूडी की अतिरिक्त मुख्य सचिव वीनू गुप्ता को पत्र लिखकर जिला मुख्यालय पर स्थित रेलवे ओवरब्रिज (एलसी 168 सी) की आवश्यक मरम्मत कर भारी वाहनों का आवागमन शुरू कराने का आग्रह किया है। उन्होंने ने पत्र में लिखा था कि आरयूआईडीपी की ओर से यह ओवरब्रिज बनाकर सानिवि को सुपुर्द किया जा चुका है। इसलिए अभियंताओं को आवश्यक कार्यवाही एवं भारी वाहनों के लिए इसकी उपयुक्तता 30 करोड़ रूपए की लागत से बना था आरओबी
बता दें कि शहर का पहला आरओबी जब से बना है तब से विवादों के घेरे में रहा है। तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने साल 2013 में करीब 30 करोड़ की लागत से बने शहर के इस पहले आरओबी की शहरवासियों को सौगात दी थी। महज पांच साल बाद ही यह आरओबी इस कदर क्षतिग्रस्त हो गया कि बड़े और भारी वाहनों के लिए इसे बंद करना पड़ गया। तब से जांच के नाम पर अधिकारी इस शहर की सबसे बड़ी समस्या पर टालमटोल करते आ रहे हैं लेकिन समस्या जस की तस बरकरार है।