चुरूPublished: Jun 01, 2023 10:37:39 am
Madhusudan Sharma
राज्य के सबसे बड़े शिक्षा विभाग में एक बार फिर नियमों के जाल उलझाते हुए नियमित पदोन्नति के स्थान पर रिक्त पदों को भरने के लिए तदर्थ (पातेय वेतन) पदोन्नति का सहारा लेने का प्रयास किया जा रहा है।
मधुसूदन शर्मा
चूरू. राज्य के सबसे बड़े शिक्षा विभाग में एक बार फिर नियमों के जाल उलझाते हुए नियमित पदोन्नति के स्थान पर रिक्त पदों को भरने के लिए तदर्थ (पातेय वेतन) पदोन्नति का सहारा लेने का प्रयास किया जा रहा है। इसको लेकर माध्यमिक शिक्षा राजस्थान बीकानेर के निदेशक गौरव अग्रवाल ने संयुक्त शासन सचिव शिक्षा( ग्रुप-2) विभाग राजस्थान सरकार जयपुर को पत्र लिखकर तृतीय श्रेणी शिक्षको की नई भर्ती के लिए पद खाली करने, विभिन्न न्यायालयों में दर्ज प्रकरणों का हवाला देते तृतीय श्रेणी शिक्षक से वरिष्ठ अध्यापक के पद पर तदर्थ पदोन्नति करने की स्वीकृति/मार्गदर्शन मांगा है। इस प्रकार से पदोन्नति पिछली कांग्रेस सरकार में भी ऐसा ही किय गया था। वैसा ही इस बार निदेशक द्वारा लिखे पत्र में है की है। इसमें छह माह या नियमित पदोन्नति होने तक या छह माह ओर बढ़ाए जा सकने वाले कार्यकाल तक यह पदोन्नति की जाती है। पूर्व में कांग्रेस सरकार में हुए एक आदेश ने प्रदेश के सभी राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत करीब 23 हजार प्रधानाध्यापकों को न केवल पदोन्नति से वंचित कर दिया बल्कि अब पातेय वेतन प्रधानाध्यापक के अलावा एक भी पदोन्नति बिना राजकीय सेवा से सेवानिवृत्त हो रहे हैं। जबकि शिक्षा विभाग के नियमों के मुताबिक उन्हें कम से कम दो पदोन्नति मिलनी चाहिए थी।
नियमों के विरूद्ध किया संशोधन
आरटीई एक्ट 2009 जिसे प्रदेश में एक अप्रेल 2010 से लागू किया गया। उस अवधि में बने नियमों को नॉन राइट टू एजुकेशन एक्ट 2008 से लागू करना केंद्रीय अधिनियम की 38 धाराओं का उल्लघंन है। जो राज्य के अधिकार क्षेत्र से बाहर है। केंद्र सरकार के आरटीई अधिनियम जिसमें राज्यों को केवल धारा 3 में ही सीमित अधिकार है। शेष 37 धाराओं में राज्यों को फेरबदल का अधिकार नहीं है। फिर भी शिक्षा विभाग ने 2013 में बने नियम को संशोधन कर बैक डेट में लागू कर दिया। 2008 में रिक्त पदों की सीनियरिटी का लाभ उन शिक्षकों को दिया जो मार्च 2016 में और उसके बाद तृतीय श्रेणी शिक्षक से वरिष्ठ अध्यापक में पदोन्नत हुए थे। जबकि 2008 से 2013 व 2016 तक पदोन्नति की सीनियरिटी के लाभ के हकदार वह शिक्षक थे, जो पुरानी नियमावली वरिष्ठता सह योग्यता पदोन्नति नियमावली 1971 से पदोन्नति प्राप्त करते। 2008 से 2016 की सीनियरिटी का लाभ नवीन नियमावली योग्यता सह वरिष्ठता पदोन्नति और मंडल स्तर की वरीयता से 2016 में पदोन्नत हुए सैकेंड ग्रेड शिक्षकों को 2008 से बिना पद और सेवाएं दिए प्रदान की जो नियम के विरूद्ध है। सरकार व विभाग को इन 23 हजार शिक्षकों की पीड़ा को समझते हुए इन्हे इसी सत्र में इन्हें नियमानुसार पदोन्नति और वेतन का लाभ देना चाहिए।
बिना पदोन्नत हो रहे सेवानिवृत
पातेय वेतन पर सेवानिवृत्त हो रहे वेतन पदोन्नत ये अध्यापक वरिष्ठता के आधार पर पदोन्नत हुए थे। जिनमें 1981 से 1990 के आसपास नियुक्ति वाले अधिक होने से पातेय वेतन पर ही सेवानिवृत्त हो रहे हैं। पूरे सेवाकाल में न्यूनतम दो पदोन्नतियां देना शिक्षा संहिता के अनुसार जरूरी है, लेकिन पातेय पदोन्नति को 2016 में छीन लेने के आधार पर पातेय वेतन वालों को बिना एक भी पदोन्नति पाए सेवानिवृत्त हो रहे हैं। राज्य में 2009-10 पातेय वेतन में पदोन्नत 23 हजार शिक्षकों को 12 वर्ष बाद पदोन्नति का लाभ नहीं मिला और शिक्षा विभाग दुबारा से इसी आधार पर तदर्थ पदोन्नति करने जा रहा है। अगर विभाग को पदोन्नति करनी है तो स्थायी करे नहीं तो करें ही नहीं।
ये है पातेय वेतन शिक्षको का मामला
शिक्षक नेता मोहरसिंह सलावद ने बताया की राज्य के शिक्षा विभाग में 2009-10 में करीब 23 हजार उच्च प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापकों को पातेय वेतन पर पदोन्नति दी गई थी। लेकिन वर्तमान में 13 वर्ष से भी अधिक का समय होने पर भी इन्हें वरिष्ठ अध्यापक व आगामी वरिष्ठता का लाभ नहीं मिल पा रहा है। दरअसल विभाग ने इन शिक्षकों को तृतीय श्रेणी शिक्षक से वरिष्ठ अध्यापक पद पर पातेय वेतन पर पदोन्नति कर दी। इसके बाद उन सभी के पदनाम और स्कूल बदल दिए, क्योंकि यह पदोन्नति सक्षम स्तर के अधिकारी शिक्षा उपनिदेशक संभाग के लिखित आदेशों से हुई थी। प्रदेश में शिक्षा विभाग के लिए 29 एवं 30 मार्च 2011 को गजट नोटिफिकेशन जारी किया गया। 2013 में स्टेट एजुकेशन के रूल्स बनाए गए। उनमें तृतीय श्रेणी से वरिष्ठ अध्यापक में पदोन्नति के लिए जिलेवार मेरिट बनाकर जिलेवार ही पदोन्नति दी जाती थी। जिसे मार्च 2016 में बदलकर जिला मेरिट के बजाय मंडल के चार-पांच जिलों को मिलाकर वरिष्ठता सूची बनाई जाने लगी। इसी फेरबदल को पातेय वेतनधारी उच्च प्राथमिक विद्यालय प्रधानाध्यापकों पर पुरानी तिथि में लागू कर दिया गया।