scriptआखिर ये आरओबी कैसे बन गया दुविधा | After all, how did this ROB become a dilemma? | Patrika News

आखिर ये आरओबी कैसे बन गया दुविधा

locationचुरूPublished: May 17, 2022 12:18:27 pm

Submitted by:

Madhusudan Sharma

चूरू को जयपुर से जोडऩे वाले आरओबी का नाम तो आपने सुना ही होगा। ये वहीं आरओबी है। जिसका लोकार्पण चूरू जिले की जनता के लिए उस उस समय के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने किया था।

आखिर ये आरओबी कैसे बन गया दुविधा

आखिर ये आरओबी कैसे बन गया दुविधा

चूरू. चूरू को जयपुर से जोडऩे वाले आरओबी का नाम तो आपने सुना ही होगा। ये वहीं आरओबी है। जिसका लोकार्पण चूरू जिले की जनता के लिए उस उस समय के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने किया था। करोड़ों रुपए इस आरओबी के निर्माण पर खर्च किए लेकिन कुछ समय बाद इसका नीचला हिस्सा गिर गया। इसके बाद इसे कुछ समय के लिए अनुपयोगी साबित करते हुए बंद कर दिया गया। इसके लिए जांच कमेटी बनाई, जांच हुई लेकिन दोषियों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। इतना जरूर हुआ कि प्रशासन ने इस आरओबी पर से बड़े वाहनों के आवागमन पर रोक लगा दी और मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया। अब हालत ऐसे हैं कि जिस स्थान से भारी वाहन आ रहे हैं। वह अग्रसेन कॉलोनी है। इस कॉलोनी में इन भारी और वाहनों के कारण कई हादसे हो चुके हैं। कुछ एक तो अपनी जान भी गंवा चुके हैं। इस मसले को लेकर कॉलोनी के लोगों ने धरना-प्रदर्शन किया लेकिन किसी के कानों तक जूं नहीं रेंगी। गौरतलब है कि इस आरओबी का निर्माण करने वाली एजेंसी ने भी इस पर ध्यान नहीं दिया। जानकारी के अनुसार वर्ष 2007-08 में आरयूआईडीपी की ओर से इस आरओबी का निर्माण 21 अप्रेल 2013 को किया गया था। इस आरोबी की सुपुर्दगी की कारवाई किए जाने के बाद 26 सिंतबर 2018 में इसका कुछ हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया। इसके बाद विभाग के अधिकारियों ने इसको बड़े वाहनों के लिए बंद कर दिया। यहां से बड़े वाहन ना गुजरे। इसलिए लोहे के एंगल लगा दिए। मामले में जांच-दर-जांच चलती रही लेकिन ठोस निर्णय फिर भी नहीं किया जा सका।
कंपनी ने करवाई मरम्मत
इसके क्षतिग्रस्त होने की शिकायत पर संबंधित कंपनी ने 11 अक्टूबर 2018 को इसकी मरम्मत करवाई गई। इस दौरान कुछ समय के लिए सभी प्रकार के वाहनों के लिए इस आरओबी को बंद कर दिया गया था। जिला कलक्टर के निर्देश पर इसकी जांच करवाई गई तो इसमें छोटे वाहनों के आवागमन के लिए इस आरओबी को खोल दिया लेकिन लेकिन बड़े वाहनों के आवागमन पर पूर्णत प्रतिबंध लगा दिया गया।
रूड़की के इंजीनियरों से भी करवाई जांच
जांच के नाम पर प्रशासनिक स्तर पर पत्र चलाए गए लेकिन परिणाम सुखद नहीं आ सके। इस आरओबी की आईआईटी रूड़की से इसकी जांच करवाने का निर्णय किया गया था। रूड़की के सिविल इंजीनियरिंग विभागाध्यक्ष बीके माहेश्वरी से वार्ता भी की गई। उनकी टीम ने 20-21 मार्च 2021 को आरओबी का निरीक्षण किया। इसकी रिपोर्ट बना 30 मार्च को मुख्य अभियंता जयपुर प्रेषित की। इस रिपोर्ट के आधार पर काम नहीं किया। फिर इसकी जांच स्वतंत्र एजेंसी से कराने का निर्णय किया। ऐसे में जांच दर जांच हुई लेकिन निर्णय नहीं हुआ।
आरयूआईडीपी ने जिम्मेदारी से झाड़ लिया पल्ला
चूरू को जयपुर से जोडऩे वाले आरओबी की जांच के लिए मुख्य अभियंता(पथ) सानिवि जयपुर ने 28 सितंबर 2018 को आदेश जारी किया। इसमें एक कमेटी गठित कर ब्रिज की कंकरीट की गुणवत्ता की जांच के लिए सुझाए गए टेस्ट, ब्रिज कंसलटेंट की सर्विस लेने के लिए आरयूआईडीपी को निर्देशित किया था। लेकिन आरयूआईडीपी ने इस हस्तांतरित सड़क को सानिवि खण्ड चूरू के स्तर से कार्रवाई करवाने की बात लिख अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया।
कंकरीट को भी संदेह के घेरे में किया शामिल
इस आरओबी के निर्माण में उपयोग की गई कंकरीट को संदेह के घेरे में लिया गया है। जानकारी के मुताबिक अतिरिक्त मुख्य सचिव ने 17 जनवरी 2019 को मीटिंग हुई। जिसमें इस आरओबी की क्वालिटी की टेस्टिंग कराने का निर्णय किया गा। जयपुर की फर्म ने इसकी जांच कर 5 अगस्त 2019 को रिपोर्ट पेश की। जिसमें आरओबी की कंकरीट को संदेहास्पद घोषित किया गया। लेकिन इसके बावजूद भी सरकार की ओर से संंबंधित ठेकेदार और फर्म पर किसी प्रकार कार्रवाई नहीं की गई।
इनका कहना है
जयपुर आरोबी के लिए सरकार को लिखा गया है। इस संबंध में इसकी जांच करवाई जानी है। आरओबी को लेकर सरकार से संपर्क में उच्चाधिकारियों को भी आमजन की समस्याओं से अवगत कराया गया है। जांच के बाद ही तय किया जाएगा कि इस आरओबी को भारी वाहनों के लिए खोला जाए या नहीं।
शीशपालसिंह, अधीक्षण अभियंता, सानिवि, चूरू

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो