Arjun Rath ; रोहिड़े की लकड़ी पर हरीश ने उकेरा महाभारतकालीन अर्जुन का रथ
चुरूPublished: Jun 24, 2019 01:09:57 pm
कस्बे के वार्ड 14 निवासी हरीश जांगिड़ ने बिना किसी विशेष शिक्षा व किसी से प्रशिक्षण लिए हरीश ने लकड़ी पर उम्दा नक्काशी की है। उनकी काष्ठकला को देखर हर कोई उनका कायल हो जाएगा।
सरदारशहर. prepared Arjun’s chariot करत-करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान। रसरी आवत जात ते सिल पर पड़त निशान। रीतिकालीन नीतिकार कवि वृंद के एक दोहे को अपने जीवन में चरितार्थ कर दिखाया है कस्बे के वार्ड 14 निवासी हरीश जांगिड़ ने। बिना किसी विशेष शिक्षा व किसी से प्रशिक्षण लिए हरीश ने लकड़ी पर उम्दा नक्काशी
(Carving) की है। उनकी काष्ठकला को देख हर कोई उनका कायल हो जाएगा। इस काष्ठ कला को सीखने के लिए हरीश किसी विद्यालय एवं महाविद्यालय में दाखिला नहीं लिया। बल्कि स्वयं की मेहनत से उसमें महारथ हासिल की। वे अपनी कला को ईश्वरीय वरदान मानते हैं। लम्बे संघर्ष के बाद उन्होंने रोहिड़े की लकड़ी (Rohida Wood) पर महाभारतकालीन अर्जुन का रथ तैयार किया है। अब उनकी तमन्ना पीएम मोदी (Primeminister Narendra Modi) की तस्वीर को उकेरना है।
मेडिकल स्टोर चलाने वाले हरीश के मन में 30 वर्ष की आयु में कुछ नया करने की ललक जागी। उन्होंने लकड़ी पर हाथ चलाते हुए नक्काशी करना शुरू किया। देखते ही देखते उन्हे इस काम में महारत हासिल हो गई। हरीश के दादा फर्नीचर बनाने का काम करते थे। वहीं पिता ओमप्रकाश मेडिकल लाइन में थे। लेकिन हरीश को बचपन से ही कुछ अलग करने तमन्ना थी। हरीश ने सबसे पहले लकड़ी का चाकू बनाया जिसमें देवी-देवताओं की आकृतियां उकेरी। ऐसी कारीगरी दिखाई जिसे देखकर हरीश का परिवार ही नहीं पूरा जांगिड़ समाज अंचभित हो गया।
लोगों ने हरीश की कारीगरी की तारीफ की तो उनका हौसला बुलन्द हो गया और पीछे मुड़कर नहीं देखा। इसके बाद कई आकृतियों के साथ लकड़ी का शिवलिंग बनाया। शिवलिंग इतना आकर्षक था कि तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे () ने भी सम्मान किया। हरीश मेडिकल स्टोर में जब भी समय मिलता अपनी कला को उकेरने में लग जाता है। हरीश ने 12 महीने पहले महाभारत के समय का भगवान कृष्ण और अर्जुन का रथ बनाने की मन मे ठान ली (Lord Krishna And Arjun Rath Chariot)। सुबह-शाम मेडिकल से फ्री होकर हरीश रथ बनाने में लग गया। एक साल बाद रथ बनाकर तैयार कर दिया। रथ की कारीगरी देखकर हर कोई तारीफ कर रहा है। इस रथ में इतना बारीकी से काम किया गया है कि हर कोई प्रशंसा करते नहीं थकता। हरीश ने बताया कि उसने किसी लालच से रथ नहीं बनाया। अब वह इस रथ को बेचकर उस पैसे को समाजसेवा में लगाएगा। आडम्बर और तामझाम से बचने के कारण अंचल की यह प्रतिभा अब तक छिपी हुई है। इस कलाकार ने कई कलाकृतियां बनाई है।