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चुरू

आयुष चिकित्सकों को एमआर जितनी भी पगार नहीं

होने को तो डॉक्टर पर पगार मेडिकल एग्जीक्यूटिव जितनी भी नहीं। काम पूरा पर हालात यह हैं कि तीन, पांच व आठ साल से अधिक समय हो गया, अब तक स्थाई नहीं हो पाए।

चुरूAug 03, 2020 / 10:27 am

Madhusudan Sharma

आयुष चिकित्सकों को एमआर जितनी भी पगार नहीं

आयुष चिकित्सकों को एमआर जितनी भी पगार नहीं

सुजानगढ़. होने को तो डॉक्टर पर पगार मेडिकल एग्जीक्यूटिव जितनी भी नहीं। काम पूरा पर हालात यह हैं कि तीन, पांच व आठ साल से अधिक समय हो गया, अब तक स्थाई नहीं हो पाए। विरोध भी खूब किया, पर सिर्फ आश्वासनों के, उनके हिस्से अब तक कुछ भी नहीं आ पाया है। यह हकीकत है संविदा पर कार्यरत आयुष चिकित्सकों की। चूरू जिले में 80 समेत प्रदेश में इनकी संख्या करीब दो हजार है। सूत्रों के अनुसार ना इनका मानदेय बढ़ रहा है, ना ही नियमितिकरण हो रहा है। कोरोना काल में भी फ्रंट लाइन पर देवदूत बनकर कार्य कर रहे आयुष चिकित्सक आन्दोलन की राह पर फिर चलने वाले हैं। इसको लेकर पांच अगस्त को जयपुर में प्रदेश कार्यसमिति की बैठक होगी। अप्रेल में 7 दिन तक काली पट्टी बांधकर कार्य किया तो एक दिन का कार्य बहिष्कार भी। इसके बाद कोरोना महामारी और फिर अधिकारी मंत्री के आश्वासन के बाद अपने काम में लग गए। अब फिर से मांग उठने लगी है। आंदोलन की रणनीति तैयार की जा रही है। सूत्रों का कहना है कि होम्योपैथी, आयुर्वेदिक, यूनानी आदि चिकित्सक संविदा पर हैं। इनका मानदेय इतना कम है कि सुनते ही लोग आश्चर्यचकित रह जाते हैं। चूरू जिले में 80 आयुष चिकित्सक करीब 3, 5,8 वर्ष से कार्यरत हैं। इनके मानदेय पर नजर डालें तो मुश्किल से 20 हजार रुपए इनके हाथ में आते हैं। कहने को तो डॉक्टर हैं, हर काम में आगे भी रहते हैं। बावजूद इसके इन पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। इसके चलते इनका रोष निरन्तर बढ़ता जा रहा है।

बात हुई लेकिन बेनतीजा रही
जानकार सूत्रों का कहना है कि आयुष चिकित्सकों का मानदेय बढ़ाने व उन्हे स्थाई करने की बात पर चिकित्सा मंत्री डा. रघु शर्मा से चार दिन पहले ही बातचीत हुई। विरोध-कार्य बहिष्कार के बाद हुई वार्ता में जल्द ही सहानुभूति पूर्वक कार्रवाही का भरोसा मिला, पर अब तक कुछ नहीं हुआ। चूरू जिला संयोजक डॉ. अजीत मारोठिया ने बताया कि बैठक में आगामी 10 अगस्त के आन्दोलन की रूपरेखा पर विचार किया जाएगा।

काम है ज्यादा
आयुष चिकित्सकों का कहना है कि अल्प मानदेय भोगी होने के बाद भी वे बहुत जिम्मेदारी निभा रहे हैं। कोरोना में फं्रट लाइन में रहकर स्क्रीनिंग की, संक्रमित को क्वॉरंटीन कराने, सेनेटाइज करवाना, टोल नाकों पर स्क्रीनिंग, मोबाइल ओपीडी वैन में भी इलाज करने से पीछे नहीं हटे। पीपीई किट पहनकर हर हॉटस्पॉट पर काम किया। यही नहीं उनको कोई काम सौंपा गया, उसे पूरा किया। यहां तक की अन्य लोगों के हिस्से का कार्य करने में भी वे आगे रहते हैं।

इनका कहना है
मानदेय बढ़ाने और स्थाई करने की मांग कई महीनों से विचाराधीन है। सरकार जल्द ही इस पर निर्णय ले। अन्यथा आयुष चिकित्सक पुन: आंदोलन पर मजबूर होंगे। इसे लेकर 5 अगस्त को होने वाली जयपुर बैठक में जाऊंगा।
-डॉ. अजीत मारोठिया, जिला संयोजक व प्रदेश कार्यसमिति सदस्य आयुष संघर्ष समिति

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