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किसी की मुस्कुराहटों पर हो निसार…

locationचुरूPublished: Jun 14, 2021 09:50:40 am

Submitted by:

Madhusudan Sharma

किसी की मुस्कुराहटों पर हो निसार किसी का दर्द मिल सके तो ले उधार, किसी के वास्ते हो तेरे दिल में प्यार, जीना इसी का नाम है। फिल्म अनाड़ी का ये गाना उन रक्तदाताओं पर सटीक बैठता है, जिन्होंने रक्तदान को लेकर समाज में फैले मिथकों को तोड़कर कई बार अनजान लोगों की जानबचाई है।

किसी की मुस्कुराहटों पर हो निसार...

किसी की मुस्कुराहटों पर हो निसार…

चूरू. किसी की मुस्कुराहटों पर हो निसार किसी का दर्द मिल सके तो ले उधार, किसी के वास्ते हो तेरे दिल में प्यार, जीना इसी का नाम है। फिल्म अनाड़ी का ये गाना उन रक्तदाताओं पर सटीक बैठता है, जिन्होंने रक्तदान को लेकर समाज में फैले मिथकों को तोड़कर कई बार अनजान लोगों की जानबचाई है। सबसे बड़ी बात यह है कि आज भी किसी मुसीबत में फंसे लोगों की सिर्फ एक कॉल पर बिना समय गंवाए दिन हो या रात रक्तदान करने के लिए पहुंच जाते हैं। ये लोग आज समाज के लिए मिसाल बन गए हैं। एक समय था जब किसी बीमार को रक्त की आवश्यकता पड़ती थी, स्वयं को अपना बताने वाले रिश्तेदार, परिचित व दोस्त भी कन्नी काटने से बचते थे। रक्त की कमी के कारण पहले कई लोग जान भी गंवा चुके हैं। बदलते समय के साथ अब लोगों में जागरुकता आई है। ऐसे कई मौके आए हैं, जब जिले के सबसे बड़े राजकीय डीबी अस्पताल स्थित ब्लड बैंक में रक्त की कमी महसूस की गई तो रक्तवीरों इस कमी को पूरा किया है। दिलचस्प बात यह है कि बिना किसी सुर्खियों के केवल अस्पताल पहुंचकर रक्तदान कर दैनिक क्रिया-कलापों में जुटे रहते हैं। विश्व रक्तदान दिवस पर विशेष रिपोर्ट।
बड़े भाई की जेब में दिखे पोस्टर से हुए प्रेरित
भाजपा नेता डा. वासुदेव चावला अबतक 57 बार रक्तदान कर चुके हैं। उन्होंने बताया कि एक दिन बड़े भाई की जेब में ब्लड व आई डोनेशन का पोस्टर देखा तो उसी दिन रक्तदान करने की ठान ली। चावला ने बताया कि लोहिया कॉलेज में एक बार रक्तदान शिविर लग रहा था, इस दौरान वहां व्या याता छात्रों ने रक्तदान के लिए पूछ रहे थे। इस पर उन्होंने इच्छा जाहिर की, उन्होंने बताया कि उस समय केवल चार छात्र तैयार हुए, जिसमें वो भी शामिल रहे। उन्होंने बताया कि वर्ष 1999 से लेकर अबतक लगातार रक्तदान कर रहे हैं। भाजपा नेता ने बताया कि जब रक्तदान करने जाते तो दोस्तों से फोटो नहीं खींचने के लिए कहते, इसके पीछे कारण बताया कि घरवालों के डांटने का डर लगता था। लेकिन धीरे-धीरे घरवाले उनके इस काम के लिए प्रशंसा करने लगे।
खुशी है कि खून किसी के काम आया
शहर निवासी नवाब खां (52) की इलेक्ट्रानिक्स की दुकान है, वे बताते है कि उनकी मां बीमार हो गई थी। उनके पिता रक्तदान किया करते थे, उन्होंने देखा कि रक्तदान के बाद भी पूरी तरह से स्वस्थ्य हैं। उस दिन से उन्होंने भी लगातार रक्तदान करने लगे, उन्होंने बताया कि जब 50 वीं बार रक्तदान किया तो इसे बढ़ाने का मन हुआ। ऐसे में अबतक करीब 53 बार रक्तदान कर चुके हैं। खां ने बताया कि उन्हें खुशी है कि उनका रक्त किसी बीमार की जिन्दगी बचाने के लिए काम आया। उन्होंने बताया कि पहली बार 1991 में रक्तदान किया था, उस समय केवल क्रॉस मैच होता था। ऐसे कभी किसी को जरूरत होती तो सुबह-शाम जाकर रक्तदान किया करते थे।
डिलीवरी से पीडि़त महिला को दिया खून
रक्तदाता सुरेन्द्र पीपलवा (43) ने बताया कि उनकी मोबाइल शॉप है, एक दिन बैठे थे एक व्यक्ति उनके पास आया। उसने बताया कि पत्नी को डिलेवरी होनी है, उसे खून चढ़ाने की आवश्यकता है, उसकी बात सुनते ही व्यक्ति के साथ खून देने के लिए चल पड़े। अबतक 44 बार रक्तदान कर चुके हैं, उन्होंने बताया कि रक्तदान करके घर आते तो परिजन बोलते आपमें खून ज्यादा है क्या जो जाते हो। लेकिन जब उन्हें पता चलता कि किसी की जान बची है तो घरवालों को काफी खुशी महसूस होती है। उन्होंने बताया कि अक्सर अनजान लोगों के संकट के समय मदद करने के लिए आभार जताने के लिए फोन आते हैं।
29 साल की उम्र में ही 30 बार रक्तदान
आरजे ब्लड हैल्प लाइन फाउंडेशन से जुड़े आसिफ टीपू 29 साल की उम्र में ही 30 बार ब्लड डोनेशन कर चुके हैं। टीपू ने बताया कि जयपुर में यूनिवर्सिटी में पढ़ते समय पहली बार रक्तदान किया तो स्वयं को काफी खुशी महसूस हुई। तब से लगातार समय-समय पर रक्तदान करते हैं। उन्होंने बताया कि इसके बाद मिशन बनाकर फाउंडेशन से जुड़कर समय-समय पर लोगों को रक्तदान के लिए प्रेरित करते हैं। इसके अलावा सोशल मीडिया पर गु्रप बनाया हुआ है, जहां किसी जरुरतमंद का संदेश मिलते ही टीम के सदस्यों के साथ मिलकर पीडि़त व्यक्ति की मदद करते हैं। फाउंडेशन की टीम में शामिल युवा इमरान खोखर भी अभी तक 29 बार रक्तदान कर चुके हैं। साथ ही लोगों को रक्तदान को लेकर फैली भ्रांतियों को दूर कर लोगों को रक्तदान करने के लिए प्रेरित करने में जुटे हुए हैं। जन्मदिन सहित अन्य मौकों पर रक्तदान करने साथियों के साथ पहुंचते हैं।

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