मनरेगा में कार्यरत मेट भालसिंह घुवॉ ने बताया की पानी के लिए एक महिला को लगा रहा जो पानी की व्यवस्था करती है। ग्राम विकास अधिकारी भीमसाना राजकुमार वर्मा ने बताया कि मनरेगा पर श्रमिकों के लिए एक महिला को पानी पहुुंचाने के लिए पाबन्द कर रखा है। छाया के लिए टेन्ट की मांग कर रखी है जो की अभी तक उपलब्ध नहीं हुआ। सामाजिक कार्यकर्ता भूपसिंह पूनिया ने बताया कि मनरेगा पर पानी के लिए एक महिला कार्यरत है, लेकिन एक-एक मटके के लिए 7-8 चक्कर रोज लगाना बहुत मुश्किल काम है। पेयजल के लिए उचित व्यवस्था होनी चाहिए।
सादुलपुर. गांव नीमा में सामाजिक दूरी बनाकर नरेगा कार्मिकों ने तपती दोपहरी में भी काम कर रहे हैं। कमल बजाड़ ने प्रशासन को ज्ञापन भेजकर बताया कि भीषण गर्मी में काम करने के कारण मजदूरों को परेशानी उठान पड़ रही है। तथा गांव से जोहड़ की दूरी भी दो से तीन किमी है। उन्होंने सुबह सात बजे से दोपहर 11 बजे तक का समय करने की मांग की है।
सरदारशहर. क्षेत्र में 50 डिग्री तापमान पहुंच चुका है और नरेगा श्रमिक है वो कड़ी धूप के अंदर कार्य करने पर विवश हैंए नरेगा स्थल पर ना तो कोई पीने के पानी की व्यवस्था है और ना ही टेंट की व्यवस्थाए सूरज की तपिश के बीच वह कार्य करने पर मजबूर हैं। ऐसे में 50 डिग्री तापमान के अंदर ये नरेगा कर्मी कार्य कर रहे हैंए नरेगा कर्मी गांव से 3 किलोमीटर दूर दोपहर 1 बजे तक काम कर पैदल गांव आते हैं। वही प्रशासनिक अधिकारी है वो इन नरेगा कर्मियों की सुध नहीं ले रहे हैं। जब हमने विकास अधिकारी संतकुमार मीणा से बात की तो उन्होंने बताया कि राज्य सरकार को टेंट के लिए लिखा गया है। शीघ्र ही छांव की व्यवस्था की जाएगी।
घांघू. इन दिनों गांव के तीन जोहड़ों में मनरेगा के तहत मिट्टी खुदाई का काम किया जा रहा है। इस कार्य में महिलाएं-पुरुष तपती दुपहरी में कार्य कर रहे हैं। श्रमिकों के लिए यहां न तो छाया और ना ही ठण्डे पानी की व्यवस्था है। वहीं प्राथमिक दवाइयों का भी अभाव है। सुखलाणीय जोहड़ में काम कर रहे श्रमिकों ने बताया कि सुबह 10 बजे ही झुलसा देने वाली धूप के बीच काम करना पड़ रहा है। काम करने के बाद महिलाएं और बुजुर्ग छांव की तलाश में पेड़ की छांव तलाश रहे थे। जोहड़ के पास छाया के लिए टैंट की व्यवस्था नहीं थी, पानी के लिए ऊंट गाड़ी पर लोहे की टंकी में पानी भरा था उसे ही मजदूर पी रहे थे।
दो मटके थे पानी के लिए जो लभगभ 80 लोगों के लिए पर्याप्त नहीं थे। महिला श्रमिक सावित्री देवी ने बताया की दवाई की कोई व्यवस्था नहीं है और ठण्डे पानी के लिए भी पर्याप्त मटके भी नहीं है। छाया के लिए टैंट की व्यवस्था नहीं है। तेज गर्मी काम का समय सुबह 6 से 10 बजे करना चाहिए। मखनी देवी ने बताया कि पर्याप्त छाया और ठंडे पानी की व्यवस्था होनी चाहिए। एक दूसरे जोहड़ धानकानी में कार्य कर रहे मनरेगा श्रमिक नोरतसिंह ने बताया कि धानकानी जोहड़ के पास न तो पर्याप्त पेड़ पौधे हैं और ना ही टेण्ट की व्यवस्था है।
पानी भी प्लास्टिक के ड्रम में ले जाते है जो गर्म हो जाता है ठण्डे पानी के लिए मटके नही हैं और दवाई की भी कोई व्यवस्था नहीं है। सुखलाणिया जोहड़ के मेट विक्रम भाकर ने बताया कि मनरेगा का समय सुबह 6 बजे से दोपहर 1 बजे तक का है, तेज गर्मी को देखते हुए इसे सुबह 6 से 10 बजे तक किया जाए। मेट ने बताया कि दो मटके और एक पानी की टंकी है।