भाजपा ने जहां इस मुद्दे पर हमलावर रुख अख्तियार करने का फैसला किया है, वहीं सभापति पायल सैनी यह कहते हुए अपने रुख पर कायम हैं कि राजनीतिक कारणों से बजट को अटकाने का प्रयास किया जा रहा है, लेकिन वे ऐसा होने नहीं देंगी और विधिसम्मत तरीके से बजट को पारित करवाने का प्रयास करेंगी, ताकि शहर के विकास कार्यों को कोई अवरोध का सामना न करना पड़े।
ऐसे चली राजनीतिक रस्साकशी
जानकारी के मुताबिक, छह फरवरी को बजट मीटिंग के बारे में पहली बार सभी पार्षदों और विधायक होने के नाते विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ को 13 फरवरी को नगर परिषद के बजट प्रस्तावों पर चर्चा करने के लिए आमंत्रित किया था। कांग्रेस सूत्रों का दावा है कि इस पर विधायक राजेंद्र राठौड़ की ओर से कोई जवाब नहीं आया। सभापति के मुताबिक, उन्होंने इस संदर्भ में अपनी विधिक सेल से राय ली, जिन्होंने बताया कि मौन रहना भी एक तरह की सहमति की श्रेणी में आता है। लिहाजा उन्होंने यह मान लिया कि विधायक इस बैठक में आएंगे और इस कारण वे बैठक की तैयारी में लगी रहीं।
…कलक्टर को आए आदेश से उड़े तोते
राजनीतिक दांव-पेंचों के इस सिलसिले में तीखा मोड़ तब आया, जब 11 फरवरी को जिला कलक्टर के पास सीधे विधानसभा की ओर से नगर परिषद की बैठक स्थगित करने का आदेश आया। बताया जाता है कि आदेश में सदन की कार्रवाई का जिक्र था, जिसमें यह कहा गया था कि उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ( Rajendra Rathod ) ने सदन चलने के दौरान नगर परिषद की बजट बैठक आहूत करने पर सवाल उठाते हुए यह अनुरोध किया था कि उनका क्षेत्र का विधायक होने के नाते नगर परिषद की बोर्ड मीटिंग में जाना जरूरी है, लिहाजा विधानसभा सत्र के दौरान नगर परिषद की बजट से संबंधित बैठक को स्थगित करने का आदेश दिया जाए। जानकारी के मुताबिक कलक्टर ने सभापति पायल सैनी (Payal Saini )को इस बारे में जानकारी दी।
यूं ही गुजर गई 15 फरवरी की डेडलाइन
बिना चर्चा के बजट पास होने की कोशिशों की बात गत 14 फरवरी से ही राजनीतिक हलके में तैरने लगी थी। लेकिन अंतिम समय में किसी चमत्कार की उम्मीद के चलते सभी ने 15 फरवरी तक चुप्पी साधे रखी। 15 फरवरी का भी निकल गई और म्युनिसिपल एक्ट के अनुसार बजट पर बैठक करने की नियत सीमा भी पार हो गई। सलाहकारों की रणनीति पर अमल कर सभापति ने यह फैसला किया कि वह अपने अधिकारों का प्रयोग करते हुए और नियम के दायरे में रहते हुए बजट को सीधे स्वायत्त शासन विभाग को भेजेंगी, साथ ही यह निवेदन भी करेंगी कि वे मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए बजट को शीघ्र पारित करें, ताकि चूरू शहर के विकास कार्यों को गति दी जा सके।
125 करोड़ से ज्यादा के हैं बजट प्रस्ताव
नगर परिषद ने चर्चा के लिए जो बजट प्रस्ताव तैयार किया था, वह 105.6 0 करोड़ का था। लेकिन अब जब बजट को सीधे डीएलबी को भेजने की तैयारी हो रही है, तो अब 28 फरवरी तक के मिले समय को बजट के संशोधित प्रस्तावों के साथ भेजने की तैयारी हो रही है।
10 करोड़ गाजसर गैनाणी के लिए अलग से
इसमें 10 करोड़ की लागत से गाजसर गैनाणी प्लांट में फिल्टर समेत दूसरी व्यवस्था करने के अलावा पांच करोड़ की लागत से नगर परिषद में नया भवन बनाने का भी प्रस्ताव शामिल किया जाएगा। इसमें परिषद के पार्क के सौंदर्यीकरण का प्रस्ताव भी शामिल है। इसके अलावा ड्रेनेज और सीवर लाइन का अधूरा पड़ा काम पूरा करवाने के लिए भी कुछ धनराशि की जरूरत बजट में बताई गई है। इसके लिए करीब पांच करोड़ राशि का प्रस्ताव बजट में किए जाने की संभावना है। कुल मिला कर करीब सवा सौ करोड़ के बजट प्रस्ताव भेजे जाने की संभावना है।
यह नई परिपाटी डालने की कोशिश, दुखद हैः राठौड़
उपनेता प्रतिपक्ष और स्थानीय विधायक राजेंद्र राठौड़ का कहना है कि बजट बैठक में मेरा होना जरूरी था। यह मेरा अधिकार भी है। मुझे इस बैठक से दूर रखने के लिए ही विधानसभा सत्र के दौरान बैठक रखी गई। यह राजनीतिक षडय़ंत्र है। एक नई परिपाटी भी डाली जा रही है, जो दुखद है।
जवाब नहीं आया, तो हमने मौन सहमति मानीः सभापित
नगर परिषद सभापति पायल सैनी का कहना है कि हमने छह फरवरी को बजट बैठक का आमंत्रण भेज दिया था। जवाब नहीं आया, तो मौन सहमति मानी गई। हमें तो कलक्टर साहब के पास विधानसभा से आए आदेश से पता चला कि विधायक जी ने बैठक के समय को लेकर सवाल उठाए हैं। हमने बाद में भी कोशिश की उनसे बात करके समय तय करने की, लेकिन संभव नहीं हो सका। हमारी मजबूरी है कि हमें अब बजट प्रस्तावों को डीएलबी में भेजना पड़ रहा है।