शोभासर के सदस्य लक्ष्मीनारायण स्वामी ने कहा कि जब बाड़ ही खेत को खा रही है तो समिति की उन्नति संभव नहीं है। कुछ सदस्यों ने तो समिति को खत्म (अवसायन) करने की सलाह तक दे डाली। जिस पर चूरू इफको प्रबंधक सोहनलाल सारण ने कहा कि सदस्य किसानों के हित में सकारात्मक सोच के साथ काम करें। समिति के मजबूत होने से किसानों का भला होगा। क्योंकि संस्था खत्म हो जाने पर निजी दुकानदार डीएपी, खाद व बीज की मनमानी कीमत लेंगे।
मुख्य व्यवस्थापक मंजू गोदारा ने कहा कि मूंगफली खरीद की अनेक स्तर पर विभागीय जांच हो चुकी है। पुलिस में दर्ज प्रकरणों में जांच विचाराधीन है। समिति को कितना नुकसान हुआ। यह साफ नहीं है। इसलिए पुलिस को मेरी ओर से क्लीन चिट नहीं दी गई है। उन्होंने कहा कि संचालन मंडल सजग रहकर निगरानी रखेंगे तो कार्मिक गड़बड़ी नहीं कर सकेंगे। मुख्य व्यवस्थापक ने कहा कि समिति के सेल्समैन बसंत भोजक ने वित्तीय गड़बड़ी की है। इसकी सूचनाएं राशन डीलरों से मिल रही है। मगर कार्मिक की मृत्यु होने के कारण पुष्टि नहीं हो रही है। भोजक ने दो लाख रुपए कृषि मंडी में देना बताया।
मंडी में यह राशि जमा नहीं है। झींझा ने एक कार्मिक को हटाने पर नाराजगी जताई। इस दौरान मामूली तकरार हुई। शोभासर सरपंच सुरेंद्र राव ने कहा कि गांव में व्यवस्थापक कभी-कभी आते हैं और राशन वितरण भी ठीक नहीं करते। इस पर मुख्य व्यवस्थापक मंजू ने कहा कि बार-बार बुलाने पर भी शोभासर का व्यवस्थापक नहीं आ रहा है। कई जीएसएस में एक करोड़ 35 लाख रुपए बकाया पड़े हैं।
जिन्हें दो-दो नोटिस देने के बावजूद भुगतान नहीं मिल रहा है। सदस्यों ने इसके लिए कानूनी कार्रवाई करने पर सहमति जताई। इसी प्रकार दो मृत कार्मिकों में पांच लाख रुपए बकाया की जानकारी दी। मुख्य व्यवस्थापक ने आय-व्यय का ब्यौरा दिया। कई सदस्यों ने आरोप लगाया कि पहले रहे मुख्य व्यवस्थापक व कार्मिकों ने उपरी अधिकारियों की सांठगांठ से आर्थिक नुकसान पहुंचाया और जांच के नाम से बच भी गए। बैठक में तीन दर्जन सदस्य मौजूद थे।