जिसमें थानेदार उसके भाई मामाराज के पास आए तथा कहा कि टायर चोरी करने वालों की लोकेशन आपके कांटे की आ रही है, आपने चोरो से टायर लिए हैं। इसके बाद राजलदेसर थानेदार ने रामचन्द्र स्वामी के साथ संदेश भेजा कि अगर मामराज 50 हजार खर्चे के देता है तो आरोपी नही रखेगें नहीं तो गिरफतार करेंगे। इस पर रामचन्द्र स्वामी ने परिवादी से सम्पर्क कर 25 हजार रुपए रिश्वत की मांग की। इस पर रिश्वत की मांग का सत्यापन करवाया गया तो आरोपी रामचन्द्र दास ने उक्त मुकदमें में उसके भाई मामराज का नाम निकालने के लिए 17,500 रुपए तत्कालीन थानेदार राजलदेसर के लिए रिश्वत की मांग की। इस पर बाद सत्यापन 12 अप्रेल को ट्रेप का आयोजन किया गया। आरोपी रामचन्द्र दास की लोकेशन के संबंध में परिवादी से सम्पर्क करवाया गया तो उसने शंका होने की वजह से परिवादी को पहचानने से इन्कार कर दिया। इस पर ट्रेप कार्यवाही नहीं कर पैण्डिग रखा गया।
22 अप्रेल को परिवादी ने बताया कि रामचन्द्र स्वामी के द्वारा उससे सम्पर्क नहीं किया गया है तथा टायर चोरी के मुकदमें का चालान भी पेश कर दिया गया है। लेकिन आरोपी रामचन्द्र दास स्वामी द्वारा परिवादी हंसराज नाथ से 17,500 रुपए की रिश्वत राशि थानाधिकारी राजलदेसर के लिए मांग करने पर 16 जून को ब्यूरो मुख्यालय जयपुर में नियमित प्रकरण दर्ज किया गया है। तत्कालीन थानाधिकारी राम प्रताप गोदारा की संदिग्ध भूमिका के सम्बधं में अनुसंधान के दौरान स्थिति स्पष्ट की जाएगी।