scriptCORONA- LOCK-DOWN- लॉकडाउन में बदली ग्रामीण दिनचर्या, खान-पान में भी बदलाव | Changed rural routine in lockdown, change in food and drink too | Patrika News

CORONA- LOCK-DOWN- लॉकडाउन में बदली ग्रामीण दिनचर्या, खान-पान में भी बदलाव

locationचुरूPublished: May 05, 2020 07:15:54 pm

Submitted by:

Vijay

लॉक डाउन के बाद ग्रामीणों की दिनचर्या काफी बदल गई है। शहर समेत ग्रामीण क्षेत्रों में इन दिनों परिवार का कोई सदस्य बाहर काम के लिए नहीं जा रहा है। ऐसे में सभी मिल-जुलकर घर के कामकाज में एक-दूसरे का हाथ बंटा रहे हैं। अधिकांश किसान फसल कटाई से निवृत हो चुके हैं और अभी घरों में सफल की छंटनी के साथ ही गेहूं बीनने में लगे हुए हैं। गेहूं को बीनकर ड्रम में भरना व दालों की सफाई समेत अन्य काम में महिलाओ के साथ पुरुष भी जुटे हुए हैं।

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CORONA- LOCK-DOWN- लॉकडाउन में बदली ग्रामीण दिनचर्या, खान-पान में भी बदलाव

सुजानगढ़ (चूरू). लॉक डाउन के बाद ग्रामीणों की दिनचर्या काफी बदल गई है। शहर समेत ग्रामीण क्षेत्रों में इन दिनों परिवार का कोई सदस्य बाहर काम के लिए नहीं जा रहा है। ऐसे में सभी मिल-जुलकर घर के कामकाज में एक-दूसरे का हाथ बंटा रहे हैं। अधिकांश किसान फसल कटाई से निवृत हो चुके हैं और अभी घरों में सफल की छंटनी के साथ ही गेहूं बीनने में लगे हुए हैं। गेहूं को बीनकर ड्रम में भरना व दालों की सफाई समेत अन्य काम में महिलाओ के साथ पुरुष भी जुटे हुए हैं। वहीं लॉक डाउन में बुजुर्ग भी घर बैठे रस्सी कातने व चारपाई तैयार करने जैसे कार्य कर रहे हैं। बच्चे स्कूलों की छुट्टियां होने से दादा-दादी के साथ बैठकर समय व्यतीय करते दिखाई दे रहे हैं। कुछ बच्चे एसे भी हैं जो इन दिनों दिसवार से लौटे परिवार के अन्य लोगों के साथ पुराने खेल खेलने में व्यस्त हैं। इसके अलावा बड़े-बुजुर्गों ने भी बच्चों को घर से बाहर नहीं निकलने के लिए पूरी तरह पाबन्द कर रखा है। बम्बू गांव में ढेरिए से सूत कात रहे बीरबल मेघवाल ने बताया कि पशु चराने, खेत की रखवाली करने के साथ रोजाना 50 से 100 फुट लम्बी डोरी कात (बना) लेते हैं। लॉक डाउन के बाद शहरी क्षेत्रों के साथ-साथ ग्रामीण इलाकों में भी लोगों के खान-पान में काफी बदलाव आया है। घर पर महिलाएं खाने में सूखी सब्जियां, मेथी, दाल, दही व कढ़ी जैसी सब्जियां बना रही हैं। महिलाओं का कहना है कि बाजार में आने वाली हरी सब्जियों से कोरोना संक्रमण फैलने की आंशका के चलते घरों में सूखी सब्जियों का ही प्रयोग किया जा रहा है। धातरी गांव की बुजुर्ग महिला शांतिदेवी ने बताया कि हरी सब्जियों की बजाय पत्थर की शिला पर पिसी हुई लाल मिर्च व काचरी की चटनी को छोटे-बड़े चाव से खाते हैं।
घर पर तैयार कर रहे स्टॉक
घरों में अक्सर हरी सब्जियां नहीं होने के कारण लोग पहले से तैयार की गई सूखी सब्जियों का इस्तेमाल करते हैं। ऐसे में अब घरों में इन सूखी सब्जियों का भी स्टॉक किया जा रहा है। मूंग दाल से बनने वाली बड़ी, बिलोने की छाछ और बेसन समेत मसालों से तैयार सिरावड़ी और गूंद भी उबाल कर सुखाए जा रहे हैं। ये सब्जियां किसी भी सीजन में बनाई जा सकती हैं और इसका जायका भी स्वाद से भरपूर होता है। दिसावरी लोग भी अक्सर शेखावाटी से ही इन सब्जियों को पैक कर बाहर ले जाते हैं।
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