एक अनुमान के मुताबिक, तकरीबन चार से पांच हजार ऐसे लोग चूरू में भी आ चुके हैं, जिनकी स्क्रीनिंग बहुत जरूरी है। कुछ लोग मेडिकल टीम की निगाहों से छूट भी गए हैं। इसे देखते हुए जिला कलक्टर संदेश नायक ने कॉम्बिंग ऑपरेशन चलाने का फैसला किया है। इसके तहत ऐसे लोगों की पहचान कर उन्हें होम आइसोलेशन में रखने अथवा बीमार होने की स्थिति में अस्पताल में आईसोलेट करने का इंतजाम किया जाएगा।
बाहर से आए लोगों की तीन कैटेगरी बनाई
गौरतलब है कि दो दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से 21 दिनों का लॉक डाउन घोषित करने के बाद मची अफरा-तफरी के बीच अहमदाबाद, पुणे, मुंबई, बेंगलूरू, कोयंबटूर आदि से आने वाले यात्रियों की संख्या बढ़ गई थी। ट्रेन बसें बंद हो जाने के बाद लोग अपने साधनों से ही इन इलाकों से चूरू की ओर कूच कर गए थे। एक अनुमान के मुताबिक पिछले तीन दिनों में ही ऐसे लोगों की संख्या तकरीबन डेढ़ हजार को पार करती बताई जा रही है। जिला प्रशासन की सलाह पर स्वास्थ्य विभाग की टीम ने बाहर से आए इन लोगों को ट्रैक करके इनको तीन वर्गों में बांट कर जांच पड़ताल करने का फैसला किया है।
किस तरह होगी जांच
जिला प्रशासन को गांवों-कस्बों में लोगों की सतर्कता से भी लाभ मिल रहा है। इसके अलावा अपने सूचना तंत्र से मिली जानकारी के आधार पर गांवों में जाने वाली टीम ए श्रेणी वाले ऐसे लोगों को अलग करेगी, जिन्हें खांसी-जुकाम और सांस लेने में दिक्कत है। लाज की व्यवस्था करने के बाद इन्हें उनके घरों में ही आईसोलेट कर दिया जाएगा। बी श्रेणी में ऐसे लोगों को रखा गया है, जो किडनी, लीवर की बीमारी और अन्य समस्याओं से जूझ रहे हैं। इन्हें कोरेंन्टाइन किया जाएगा। सी श्रेणी में बाहर से आए लोगों की सामान्य तौर पर स्क्रीनिंग और स्वास्थ्य परीक्षण कर उन्हें घरों में ही आईसोलेट रहने को कहा जाएगा। 24 घंटे के दौरान ऐसे करीब 500 लोगों को टीम ट्रैक कर चुकी है।
कॉम्बिंग ऑपरेशन में हर ब्लॉक में लगेंगी 6-6 टीमें
बाहर से आए लोगों की पहचान के लिए चलाए जा रहे इंटेसिव कॉम्बिंग ऑपरेशन में छह-छह गाडिय़ां हर ब्लॉक में दी गई हैं। इनमें डॉक्टर के अलावा राष्ट्रीय बाल सुरक्षा कार्यक्रम से जुड़े प्रतिनिधि, पटवारी, सरपंच और एएनएम शामिल होंगे। इन लोगों को सात स्क्रीनिंग मशीनें उपलब्ध कराई गई हैं, बुधवार को ही चूरू जिला प्रशासन को मिली हैं।