भीड़ में प्लास्टिक के थैले में सांसों को बचाए रखने की जद्दोजहद करती बेटी टुकुर-टुकर निहार रही थी, तो न जाने वहां मौजूद कितनों की आह निकल पड़ी। सूचना पर पहुंचे चाइल्ड लाइन कर्मियों ने बच्ची को राजकीय डीबी अस्पताल की एसएनसीयू में भर्ती कराया। पुलिस की ओर से सीसीटीवी फुटेज खंगाले जा रहे हैं।
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक सुबह गाड़ी में सवार होकर कुछ लोग पहुंचे और कुछ क्षणों में ही प्लास्टिक का थैला छोड़कर तेजी से फरार हो गए। माना जा रहा है कि यह लोग पालनाघर में बच्ची को डालने आए थे, लेकिन आवाजाही बढ़ी होने के कारण अथवा किसी वजह से डर जाने के कारण वे बच्ची को गेट पर ही छोड़ कर फरार हो गए। सफाई कर्मी की सूचना पर चाइल्ड लाइन के जिला समन्वयक कपिल भाटी पहुंचे। एसएनसीयू में बच्ची का इलाज कर रहे चिकित्सकों ने बताया कि बच्ची का जन्म 24 घंटे पहले हुआ है। शायद प्रसव भी घर पर ही हुआ है। फिलहाल बच्ची (new born) की हालत स्थिर है। चिकित्सकों की ओर से स्वास्थ्य की लगातार जांच की जा रही है।
अस्पताल के सीसीटीवी खराब
लोगों ने बताया कि मासूम को लावारिस हालत में छोड़कर गए आरोपित आपातकालीन इकाई की तरफ से गाड़ी लेकर आए थे। लोगों ने उन्हें थैला रखते हुए देखा, लेकिन गौर नहीं किया। बाद में मासूम के रोने की आवाज सुनाई देने पर लोग दौड़कर पहुंचे। आपातकालीन इकाई के बाहर लगे सीसीटीवी कैमरे खराब हाने के कारण घटनाक्रम कैद नहीं हो पाया। हालांकि आस-पास लगे दूसरे कैमरों की मदद से गाड़ी व आरोपियों की तलाश की जा रही है।
लोगों ने बताया कि मासूम को लावारिस हालत में छोड़कर गए आरोपित आपातकालीन इकाई की तरफ से गाड़ी लेकर आए थे। लोगों ने उन्हें थैला रखते हुए देखा, लेकिन गौर नहीं किया। बाद में मासूम के रोने की आवाज सुनाई देने पर लोग दौड़कर पहुंचे। आपातकालीन इकाई के बाहर लगे सीसीटीवी कैमरे खराब हाने के कारण घटनाक्रम कैद नहीं हो पाया। हालांकि आस-पास लगे दूसरे कैमरों की मदद से गाड़ी व आरोपियों की तलाश की जा रही है।
40 कदम दूर था पालना गृह
आरोपियों ने जिस जगह पर मासूम को छोड़ा, उससे महज करीब 40 कदम दूर ही पालना गृह बना हुआ था, लेकिन मासूम को पालने में छोडऩे के बजाए रास्ते में छोड़कर भाग गए। जिस जगह बच्ची को छोड़ा, वहां अक्सर श्वानों का झुंड मंडराता रहता है। नजर पड़ जाती, तो जान को खतरा हो सकता था।
आरोपियों ने जिस जगह पर मासूम को छोड़ा, उससे महज करीब 40 कदम दूर ही पालना गृह बना हुआ था, लेकिन मासूम को पालने में छोडऩे के बजाए रास्ते में छोड़कर भाग गए। जिस जगह बच्ची को छोड़ा, वहां अक्सर श्वानों का झुंड मंडराता रहता है। नजर पड़ जाती, तो जान को खतरा हो सकता था।
पहचान पाना आसान
सूत्रों की मानें तो ऐसे आरोपियों को पहचाना जा सकता है। ग्रामीण क्षेत्रों में आशा व एएनएम के पास लगभग सभी गर्भवती महिलाओं का रिकॉर्ड रहता है। गहनता से जांच करने पर आरोपियों तक पहुंचा जा सकता है।
सूत्रों की मानें तो ऐसे आरोपियों को पहचाना जा सकता है। ग्रामीण क्षेत्रों में आशा व एएनएम के पास लगभग सभी गर्भवती महिलाओं का रिकॉर्ड रहता है। गहनता से जांच करने पर आरोपियों तक पहुंचा जा सकता है।