चूरू से जली थी आजादी की अलख
भंवर सिंह सामोर ने ऐतिहासिक घटनाओं ( Churu History ) का हवाला देते हुए कहा कि कांग्रेस की स्थापना 1885 में बनी थी और उसके 20 साल बाद चूरू की सर्वहितकारिणी सभा का गठन हुआ था। यह वह समय था, जब महात्मा गांधी का भारत आगमन भी नहीं हुआ था। उस समय चूरू से स्वामी गोपालदास वह शख्स थे, जिन्होंने आजादी की अलख जगाने का काम किया। भंवर सिंह ने ऐसी महान हस्तियों के बारे में लोगों को बताने के लिए किताबों को उपयुक्त बताया और उन्हें घर-घर पहुंचाने की जरूरत पर बल दिया, ताकि लोग संत गोपालदास और उनकी मंडली के कृतित्व के बारे में जान सकें कि किस तरह से उन्होंने सर्व हितकारिणी सभा नाम को सार्थक किया था।
बचपन से ही बच्चों को सुनाएं महात्माओं की कहानी
नगर परिषद सभापति पायल सैनी ने जनभावनाओं और स्मृतिसभा में कई बार स्वामी गोपालदास और चंदनमल बहड़ के नाम पर सडक़ मार्गों का नाम रखे जाने की मांग उठने पर आश्वासन दिया कि अपना कार्यकाल पूरा होने से पहले वे चूरू के हर गली मोहल्ले का नाम पुण्यात्माओं के नाम पर करने की कोशिश करेंगी। साथ ही उन्होंने इस बात की भी आवश्यकता बताई कि हम सभी को चाहिए कि हम अपने बच्चों में बचपन से ही महात्माओं की कहानियां सुना कर उनमें अच्छे संस्कारों का बीजारोपण करें।
इतिहास नया नहीं हो सकता
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी चंदनमल बहड़ के पुत्र और समाजसेवी रामगोपाल बहड़ ने पिता को मरणोपरांत मिल रहे सम्मान का आदर करते हुए अपनी तरफ से घोषणा की कि वे इस 11हजार की रकम में अपनी तरफ से 10 हजार और जोड़ कर सर्वहितकारिणी सभा में अर्पण करने की घोषणा करते हैं, ताकि सामाजिक उत्थान के कार्यक्रमों को गति मिल सके। साथ ही उन्होंने अपने संबोधन में स्वामी गोपालदास के कार्यों को याद करते हुए कहा कि यह स्वामी जी ही थे, जिनकी दूरदृष्टि से हमें आज पायल सैनी के रूप में एक शिक्षित चेयरमैन मिली। उन्होंने तंज भरे अंदाज में कहा कि आज हर तरफ कुछ नया करने की होड़ है, लेकिन यह नहीं भूला जा सकता कि नया तो सिर्फ निर्माण हो सकता है, इतिहास नया नहीं हो सकता।
नसीहत भी…
रामगोपाल बहड़ ने चेयरमैन पायल सैनी का जिक्र करते हुए कहा कि संत गोपालदास कितने दूरदर्शी थे कि उन्होंने सौ साल पहले भी उस दौर में यह देख लिया था कि महिलाओं की समाजोत्थान में क्या भूमिका हो सकती है।
तभी तो उन्होंने सारे लांछन अपने दामन पर झेलते हुए पत्थर खाने के बावजूद पुत्री शिक्षा का बीजारोपण किया। उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्य है कि उस दौर में जब एक लंबे संघर्ष के बाद नगरपालिका में मनोनीत की जगह चुन कर आई स्वामी जी की शिष्य मंडली ने जो ऐतिहासिक प्रस्ताव रखे थे, उनका कोई रिकॉर्ड अपने पास नहीं है।
उन्होंने पायल सैनी को सुझाव दिया कि अब आप चूरू की पहली नागरिक हैं। आप चूरू की संस्कृति, उसके इतिहास और गलियों से वाकिफ हों। पार्टी पॉलिटिक्स से इतर उनसे प्रेरणा लें, जिन्होंने समाजहित के कार्य किए फिर चाहे वे स्वामी जी हों, मोहर सिंह हों, चंदनमल बहड़ या अन्य कोई।