पहली बार हुआ ऐसा
राजेंद्र राठौड़ ने आरोप लगाया कि पहली बार ऐसा हुआ है कि कोई मुख्यमंत्री जिस रैली में शामिल हो रहा था, उसी को लेकर उसी का पुलिस कमिश्नर यानी प्रशासन उस दिन शांति भंग की आशंका में इंटरनेट बैन कर चुका था। राठौड़ ने आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि 1947 में आजादी के समय पाकिस्तान में अल्पसंख्यक भारतीयों की तादाद 23 फीसदी थी, जो पाकिस्तान में 2011 की जनगणना में महज 3.7 फीसदी रह गई। राठौड़ ने बांग्लादेश के भी आंकड़े दिए, जो 1947 में (1971 के विभाजन से पहले ) 27 फीसदी से 2011 में 8 .1 फीसदी तक गिर गए। राठौड़ ने कांग्रेस से ही सवाल किया कि उन्होंने कभी सोचा है कि पाकिस्तान-बांग्लादेश से यह लाखों-करोड़ों अल्पसंख्यक कहां गुम हो गए।
आकड़ो के हवाले से घेरा
राठौड़ ने कहा कि 1971 में 80 हजार लोगों ने एक साथ राजस्थान की सीमाओं से लगते पाकिस्तानी इलाके से प्रवेश किया। तब अटल-भैरोसिंह शेखावत-विजयाराजे सिंधिया की त्रिमूर्ति ने बड़ा आंदोलन भी चलाया था। आज भी राजस्थान में 18 हजार लोग ऐसे हैं, जो नागरिकता की प्रतीक्षा में हैं। राठौड़ के मुताबिक, जिन लोगों को इस विधेयक से लाभ मिलने वाला है, उनमें अधिकतर अनुसूचित जाति से आते हैं। उन्होंने अफसोस जताया कि कांग्रेस और उसके मुख्यमंत्री इस तथ्य को जानते हुए भी इसका विरोध कर रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस खासतौर से मुसलमानों को बरगलाने का प्रयास कर रही है। यह कानून नागरिकता देने का है, किसी की नागरिकता छीनने का नहीं। भाजपा इसी तथ्य को समझाने के लिए जनजागरण कर रही है।
यह लोग रहे मौजूद
राजेंद्र राठौड़ के अलावा जिला प्रमुख हरलाल सहारण, भाजपा नेता वासुदेव चावला, बसंत शर्मा, चंद्राराम गुरी, नरेंद्र काछवाल, सुरेश सारस्वत, मेघराज, नारायण बेनीवाल, विक्रम कोटवाद, सुनील ढाका, सत्तार खान मौजूद थे।