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Shortage Of Doctors In Hospital- एक तरफ कोरोना का कहर, अस्पताल में चिकित्सकों की कमी

locationचुरूPublished: Apr 02, 2020 06:00:31 pm

Submitted by:

Vijay

एक तरफ कोरोना वायरस की महामारी के चलते समूचा प्रदेश चिकित्सा सेवाओं के लिए जूझ रहा है। दूसरी तरफ स्थानीय सरकारी अस्पताल में चिकित्सकों की कमी के कारण बैड खाली पड़े नजर आ रहे हैं। कोरोना वायरस को लेकर विभाग की ओर से शहर के सात सार्वजनिक स्थानों को चिन्हित कर आइसोलेशन वार्ड बनाया गया हैै।

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नए संक्रामक बीमारी चिकित्सालय का प्रस्ताव

सिधमुख के अस्पताल में बोर्ड पर नाम ही नहीं
सादुलपुर (चूरू). एक तरफ कोरोना वायरस की महामारी के चलते समूचा प्रदेश चिकित्सा सेवाओं के लिए जूझ रहा है। दूसरी तरफ स्थानीय सरकारी अस्पताल में चिकित्सकों की कमी के कारण बैड खाली पड़े नजर आ रहे हैं। कोरोना वायरस को लेकर विभाग की ओर से शहर के सात सार्वजनिक स्थानों को चिन्हित कर आइसोलेशन वार्ड बनाया गया हैै।
जबकि सरकारी अस्पताल में रोगियों के अभाव में बैड खाली नजर आते हैं। जिसका प्रमुख कारण अस्पताल में आवश्यक व्यवस्था एवं चिकित्सकों की कमी होना है। अस्पताल में सिर्फ डिलीवरी वार्ड में महिलाओं की भर्ती होती है। जबकि गंभीर रोगियों को रैफर किया जाता है, वार्ड अधिकांश खाली रहते हैं। लोगों का कहना है कि अस्पताल में पर्याप्त चिकित्सकों की कमी एवं व्यवस्थाओं के अभाव में मरीज निजी अस्पतालों में महंगा इलाज लेने को मजबूर है। सरकारी अस्पताल में मात्र साधारण रोगी ही आते हैं एवं गंभीर रोगियों को रफैर कर दिया जाता है। प्रसूताओं को भर्ती किया जाता है। इस संबंध में अस्पताल प्रभारी डा.उम्मेद पूनिया ने बताया कि गंभीर रोगियों को रैफर किया जाता है। जबकि वर्तमान में सर्दी, जुकाम, वायरल से संबंधित रोगियों का ज्यादा आना है। उन्होंने बताया कि अस्पताल में कुल 11 पद स्वीकृत हैं। जिनमें कनिष्ठ विशेषज्ञ मेडिसिन के स्वीकृत एक पद पर चिकित्सक कार्यरत हैं। कनिष्ठ विशेषज्ञ निश्चेतन का स्वीकृत एक पद रिक्त है। सर्जन का एक पद स्वीकृत है, जो रिक्त है। शिशुरोग विशेषज्ञ का एक पद स्वीकृत है तथा वर्तमान में चिकित्सक कार्यरत है। गायनी का स्वीकृत एक पद रिक्त है। मेडिकल ऑफिसर के पांच पद स्वीकृत हैं। जिनमें से चार पद रिक्त हैं। दंत चिकित्सक के स्वीकृत एक पद पर चिकित्सक कार्यरत है। जिसके चलते प्राथमिक उपचार के बाद रोगी को रैफर करने के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं है।
बेड हैं खाली, एक भी मरीज नहीं
सरकारी अस्पताल में बुधवार को बैड खाली रहे तथा एक भी मरीज अस्पताल में भर्ती नहीं था। कोरोना वायरस के चलते सर्दी-जुकाम से पीडि़त लोगों को चिकित्सकों की ओर से उपचार देकर घरों में भेज दिया जाता है। जबकि गंभीर रोगियों को रैफर के अलावा कोई और विकल्प नहीं है। अस्पताल में मात्र तीन प्रसूता महिला भर्ती हैं। जबकि कोरोना वायरस से संबंधी बाहर से आए कुल 11 लोग आइसोलेशन वार्ड में भर्ती है। इधर, कोरोना वायरस के चलते प्रशासन ने आपातकालीन स्थिति में सरकार के आदेशानुसार बैड लगाने के लिए आपातकालीन स्थिति में धर्मशालाओं के भवनों में बैड आदि लगाने की व्यवस्था की गई है।
बोर्ड पर नहीं है नाम, नम्बर
सिधमुख. कस्बे में स्थित राजकीय प्राथमिक स्वास्थय केन्द्र पर लॉक डाउन के चलते केन्द्र पर की जाने वाली 14 जाचें बंद पड़ी हैं। केवल आपातकालीन इकाई में आने वाले मरीजों की जांच हो रही है। संक्रमण से बचाव के लिए केन्द्र के बाहर ताला लगाकर मरीजों को दवा दी जा रही है। हालात ये कि स्टाफ की ओर से प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का मुख्य गेट बंद रखा जा रहा है तथा रोगियों को गेट के बाहर से ही बीमारी के बारे में जानकारी ली जा रही है तथा नाम व पता पूछकर दवाएं दे रहे हैं। वही केन्द्र पर लगे बोर्ड पर कर्मचारियों के पद नाम एवं मोबाइल नम्बर नहीं लिखे हुए। चिकित्सा प्रभारी डॉ. योगेश ने बताया कि संक्रमण के खतरे से बचाव के लिए सोशल डिस्टेंस का ध्यान रखा जा रहा है। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए गोल घेरे भी बनाए गए हंै।
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