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संस्कारयुक्त शिक्षा होती है अत्यधिक फलदायी: आचार्य महाश्रमण

locationचुरूPublished: Jan 20, 2022 11:06:20 pm

Submitted by:

Vijay

चूरू (लाडनूं). जैन विश्वभारती संस्थान के अनुशास्ता आचार्य महाश्रमण एक लम्बे अन्तराल के बाद कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ के निवेदन पर संस्थान में आए। एनसीसी की छात्राओं ने गार्ड ऑफ ऑनर प्रदान किया। आचार्य ने महाविद्यालय के स्मार्ट क्लासरूम, मेडिकल रूम, रोजगार परामर्श केन्द्र, प्रार्थना प्रशाल, प्रेक्षाध्यान-कक्ष, प्राचार्य-कक्ष एवं कार्यालय आदि का अवलोकन के साथ-साथ, जोधपुर के सुप्रसिद्ध समाजशास्त्री प्रो. केएन व्यास के लाइव व्याख्यान का अवलोकन भी किया।

संस्कारयुक्त शिक्षा होती है अत्यधिक फलदायी: आचार्य महाश्रमण

लाडनूं. जैन विश्वभारती विश्वविद्यालय में अवलोकन करने के बाद बातचीत करते आचार्य महाश्रमण।

चूरू (लाडनूं). जैन विश्वभारती संस्थान के अनुशास्ता आचार्य महाश्रमण एक लम्बे अन्तराल के बाद कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ के निवेदन पर संस्थान में आए। एनसीसी की छात्राओं ने गार्ड ऑफ ऑनर प्रदान किया। आचार्य ने महाविद्यालय के स्मार्ट क्लासरूम, मेडिकल रूम, रोजगार परामर्श केन्द्र, प्रार्थना प्रशाल, प्रेक्षाध्यान-कक्ष, प्राचार्य-कक्ष एवं कार्यालय आदि का अवलोकन के साथ-साथ, जोधपुर के सुप्रसिद्ध समाजशास्त्री प्रो. केएन व्यास के लाइव व्याख्यान का अवलोकन भी किया।
संस्थान के शिक्षा विभाग में बी.एड., एम.एड के साथ-साथ बी.ए.-बी.एड. एवं बी.एस.सी.-बी.एड़. पाठ्यक्रम की जानकारी ली। आई.सी.टी. कक्ष में छात्राध्यापिकाओं को एवं आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय की छात्राओं को सम्बोधित किया। आचार्य ने कहा कि यूं तो शिक्षा महत्वपूर्ण है किन्तु संस्कारयुक्त शिक्षा अत्यधिक फलदायी है। शिक्षा के साथ-साथ संस्कारों का होना जरूरी है। यहां पर छात्राध्यापिकाओं द्वारा अनुपयोगी सामग्री के उपयोगी सामग्री के रूप में परिवर्तित किये जाने वाले सृजनात्मक कार्यों को देखकर आचार्यश्री ने अत्यन्त प्रसन्नता व्यक्त की। संस्थान की शारीरिक व्यायामशाला (जिम) का भी अवलोकन किया। प्रशासनिक खण्ड में उन्होंने संस्थापन शाखा, उपकुलसचिव कार्यालय, कुलसचिव कार्यालय, वित्ताधिकारी कार्यालय, सहायक कुलसचिव कार्यालय पर अवलोकन कर कुलपति कक्ष में गए। कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ एवं कुलाधिपति सावित्री जिन्दल ने नई शिक्षा नीति-2020 पर आधारित जैन विश्वभारती संस्थान की निर्मित की योजना का दस्तावेज भेंट किया।
सेवाभाव एवं निष्ठा से कार्य करें कर्मचारी
आचार्य महाश्रमण ने कहा कि संस्थान के कर्मचारी सेवाभाव एवं निष्ठा से कार्य करते रहें, इससे संस्थान निरन्तर विकास की ओर अग्रसर होगा। इसके बाद दूरस्थ शिक्षा निदेशालय का गुरूदेव ने अवलोकन किया जिसमें प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने प्रवेश सम्बन्धी, पाठ्यसामग्री सम्बन्धी, सत्रीय कार्य सम्बन्धी एवं परीक्षा सम्बन्धी कार्यों की जानकारी दी। संस्थान में स्थित अन्तर्राष्ट्रीय कार्यालय का भी अवलोकन किया। आचार्य ने संस्थान में कार्यरत समणियों की उपयोगिता का भी उल्लेख किया तथा कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ की कार्यशैली से प्रभावित होकर उन्हें आशीर्वाद भी दिया। इस अवसर पर जैन विश्व भारती के पूर्व अध्यक्ष धर्मचन्द लूंकड़, रमेश बोहरा एवं वर्तमान अध्यक्ष मनोज लूनिया, मंत्री प्रमोद बैद, संयुक्त मंत्री जीवनमल मालू, आचार्य महाश्रमण प्रवास व्यवस्था समिति के अध्यक्ष शान्तिलाल बरमेचा, संयोजक भागचन्द बरडिय़ा, कोषाध्यक्ष प्रकाश बैद आदि उपस्थित थे।
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