scriptशुक्र है… इन गलियों ने सिर्फ सुना है दिल्ली अग्निकांड का मंजर | Delhi Fire Case: Narrow Streets Of Churu Bazaar At The Edge Of Fire | Patrika News

शुक्र है… इन गलियों ने सिर्फ सुना है दिल्ली अग्निकांड का मंजर

locationचुरूPublished: Dec 12, 2019 11:44:13 am

Submitted by:

Brijesh Singh

Delhi Fire Case: चूरू बाजार की कुछ गलियां तो इतनी तंग हैं कि इनमें मुख्य मार्ग से किसी कोई गाड़ी सीधे टर्न हो ही नहीं सकती।

शुक्र है... इन गलियों ने सिर्फ सुना है दिल्ली अग्निकांड का मंजर

शुक्र है… इन गलियों ने सिर्फ सुना है दिल्ली अग्निकांड का मंजर

चूरू. सर्दी हो, गर्मी हो या बरसात। तीनों मौसमों में चूरू का मुख्य बाजार (गढ़ से लेकर सुभाष चौक तक ) सुबह से ही गुलजार हो उठता है। सुबह दस बजे के आसपास से शुरू होने वाली चहल-पहल शाम सात बजे तक लाखों-करोड़ों का कारोबार करने के बाद ही थमती है। लेकिन इस छोटी सी व्यस्त दुनिया का एक भयावह सच भी है, जिसको सोचते ही यहां का व्यापारी और आम मानस सिहर उठता है। वह सच किसी अनहोनी की स्थिति में बचाव के उपायों को लेकर है। पिछले दिनों दिल्ली के एक बाजार में एक व्यावसायिक इमारत में चल रही फैक्ट्री की आग ( delhi fire case ) में चार दर्जन से भी अधिक जिंदगियों के हताहत होने की खबर यहां के बाजारों में भी लोगों की जुबां पर है। उनकी यह चिंता तब बढ़ जाती है, जब वे अपने आसपास की तंग गलियों को देखते हैं। क्योंकि यहां के बाजार किसी अनहोनी ( fire in narrow streets ) की स्थिति में संभाल पाने की स्थिति में नहीं है।

वह तंग गलियां, जो बढ़ाती हैं शिकन
चूरू के इस सबसे पुराने बाजार ( churu market ) में नीम की गली, सत्यनारायण मंदिर के पास वाली गली, बागला की गली, सफेद घंटाघर के पास सब्जी मंडी वाली गली, सेवा समिति की गली, शरारा चौक से एसबीआई वाली गली जैसी कुछ गलियां तो इतनी तंग हैं कि इनमें मुख्य मार्ग से किसी कोई गाड़ी सीधे टर्न हो ही नहीं सकती। काबिलेगौर है कि यह वह इलाका है, जो पूरे चूरू में सबसे व्यस्त बाजारों में से एक माना जाता है।

खुद ही करनी होगी पहल
रवि कुमार कहते हैं कि गलियों की जो तंगहाल है, उससे तो एक ही बात समझ में आती है कि सभी व्यापारियों को अपनी दुकानों की हिफाजत के लिए खुद ही यत्न करना होगा। आग लगने ( fire in churu ) की स्थिति में जल्दी काबू में आ जाए, इसके लिए उन्हें दुकानों के अंदर या बाहर ऐसा इंतजाम करना होगा कि तुरंत ही अग्निकांड पर काबू पाने में इस्तेमाल किया जा सके। रवि के मुताबिक, जहां तक दमकल की बात है, तो फोन करने के चंद मिनट के अंदर ही मौके पर गाड़ी पहुंचने का रिकॉर्ड रहा है, लेकिन यह भी सत्य है कि गाड़ी आ भी जाएगी, तो कर
क्या पाएगी। क्योंकि उन्हें अंदर तक जाने का रास्ता कहां से मिलेगा। पाइप से भी महज कुछ मीटर तक ही आग पर काबू पाया जा सकता है।

क्या होगा अगर कोई हादसा हुआ तो…
नीम की गली के पास चावल के होलसेल व्यवसाई हरि बंसल ने दिल्ली अग्निकांड का जिक्र करते हुए बताया कि अनहोनी की आशंका तो हमेशा रहती है और अगर बात अग्निकांड जैसी स्थितियों की हो, तो यह तो साफ है कि चाहे नीम की गली हो, बागला की गली या उसके पास वाली गली, किसी में भी दमकल की गाड़ी अंदर नहीं घुस सकती। अगर किसी गली में आगे-पीछे करके घुस भी गई, तो 100-150 मीटर आगे जाकर फंस जाएगी। जबकि दुकानें काफी अंदर तक बनी हुई हैं। व्यवसायी सुभाष बांठिया भी ऐसी ही आशंका जताते हैं।

वाहन मोड़ पाना भी मुश्किल
बात चाहे लोहिया मार्केट की हो, लेडीज मार्केट की अथवा डाक्टर बाजोरिया के घर के पास रेडीमेड गारमेंट्स की। सब्जी मंडी वाली गली में किराने की हो या नीम की गली में लाख-शीशे से बनी चूडिय़ों की दुकाने हों अथवा रेडीमेड गारमेंट्स की। सब जगह हालात तकरीबन एक जैसे ही हैं। यहां गलियों में अंदर घुसते जाने पर यह इतनी संकरी होती जाती हैं कि कई जगह तो दोपहिया वाहन को मोड़ पाना भी मुश्किल साबित होता है। रही बात चौपहिया वाहनों की, तो इन तंग गलियों में अगर वह किसी तरह घुस गया, तो वापस मुड़ ही नहीं सकता। उसे बैक करके ही आना पड़ता है।

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