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देवेन्द्र पैरा ओलंपिक में फेंकेगा भाला

locationचुरूPublished: Jul 01, 2021 04:31:26 pm

Submitted by:

Madhusudan Sharma

एथेंस और रियो पैरा-ओलंपिक खेलों में देश के लिए दो स्वर्ण पदक जीतने वाले एक मात्र खिलाड़ी राजीव गांधी खेल रत्न अवार्डी देवेंद्र झाझडिय़ा ने टोक्यो में अगले महीने हो रहे पैरा ओलंपिक के लिए मंगलवार को क्वालीफाई कर लिया।

देवेन्द्र पैरा ओलंपिक में फेंकेगा भाला

देवेन्द्र पैरा ओलंपिक में फेंकेगा भाला

चूरू.एथेंस और रियो पैरा-ओलंपिक खेलों में देश के लिए दो स्वर्ण पदक जीतने वाले एक मात्र खिलाड़ी राजीव गांधी खेल रत्न अवार्डी देवेंद्र झाझडिय़ा ने टोक्यो में अगले महीने हो रहे पैरा ओलंपिक के लिए मंगलवार को क्वालीफाई कर लिया। झाझडिय़ा ने नई दिल्ली स्थित जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में अपने ही रिकॉर्ड 6 3.97 मीटर को तोड़कर 6 5.71 मीटर भाला फेंकते हुए ओलंपिक कोटा हासिल किया। इस प्रदर्शन के बाद झाझडिय़ा ने कहा कि वे बहुत खुश हैं तथा इससे उनका आत्मविश्वास और मजबूत होगा। देवेंद्र ने बताया, दो साल से कोविड से संघर्ष सबकी तरह उनके लिए भी एक चुनौती था। इसके बीच ट्रेनिंग भी एक चैलेंज रहा। यहां तक कि लॉक डाऊन में एक कमरे में ट्रेनिंग करनी पड़ी। इस ट्रायल से पहले काफी चैलेंज आए। 23 अक्टूबर को पिताजी का देहांत मेरे लिए बहुत बड़ा झटका था। हिंदू रीति रिवाज से 12 दिन के लोकाचार पूरे करते ही मां ने कहा, तेरा काम देश के लिए खेलना है। तू ट्रेनिंग पर जा। ऐसे हालात में मम्मी को छोडऩा मेरे लिए मुश्किल था, लेकिन देश को प्राथमिकता दी। उसके बाद सात महीने हो गए, किसी से नहीं मिला। लगातार गांधी नगर ट्रेनिंग कैंपस में रहा। रात को नौ बजे बस एक बार परिवार से बात होती है। छह साल का बेटा यह सब नहीं समझता, वह रोज कहता है कि आप कल ही आ जाओ। बेटी समझदार है, वह जिद नहीं करती। चालीस साल की उम्र में विश्व रिकॉर्ड करना खुद मेरे लिए भी बहुत खुशी का विषय है। इस प्रदर्शन में निस्संदेह मेरे कोच सुनील तंवर और फिटनेस ट्रेनर लक्ष्य बत्रा का बड़ा योगदान है। इस खुशी के अवसर पर अपने पिता को याद करता हूं, जिन्हें मुझे अंगुली पकड़कर चलना सिखाया, खेलने का हौसला दिया। आज परफोरमेंस अच्छी रही। टोक्यो ओलंपिक में इससे बढिया परफोरमेंस दूंगा, यह सोचता हूं।
करंट के कारण हाथ खो चुके थे देवेन्द्र
उल्लेखनीय है कि चूरू जिले के गांव झाझडिय़ों की ढाणी में 198 1 में जन्मे देवेंद्र झाझडिय़ा का हाथ आठ साल की उम्र में पेड़ पर चढ़ते समय करंट आने से हुए हादसे के कारण काटना पड़ा। इसके बावजूद उनका हौसला कम नहीं हुआ।
ये रही देवेन्द्र की उपलब्धियां
2002 में कोरिया में हुए खेलों में स्वर्ण पदक जीता।
2004 में एथेंस पैराओलिंपिक के लिए क्वालीफाई किया और स्वर्ण पदक जीता और 6 2.15 मीटर जेवलिन फेंककर नया वल्र्ड रिकॉर्ड कायम किया।
2004 में अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किया गया।
मार्च 2012 में उन्हें राष्ट्रपति द्वारा भारत के प्रतिष्ठित पद्मश्री अवार्ड से भी सम्मानित किया गया। यह सम्मान प्राप्त करने वाले वह पहले पैराओलिंपियन हैं।
उन्होंने 2016 में रियो ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीता, जिसके बाद उन्हें सर्वोच्च खेल पुरस्कार खेल रत्न अवार्ड दिया गया।

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