एडीएम राकेश कुमार ने बताया कि जो चिकित्सक संघ के दबाव में सामुहिक अवकाश पर हैं वे यदि कार्यभार ग्रहण करते हैं तो उन्हे सुरक्षा प्रदान की जाएगी। इसके अलावा जो चिकित्सक ज्वाइनिंग नहीं करेंगे उनके खिलाफ रेसमा के तहत कार्रवाई की जाएगी। सरकार की ओर से हड़ताल करने वाले चिकित्सकों पर कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं। इसके लिए पुलिस को निर्देश दे दिए गए हैं। वहीं डीबीएच में रेजीडेंट डाक्टर राहुल कस्वा के कार्यभार ग्रहण करने की चर्चा चल रही थी लेकिन रात दस बजे अधीक्षक डा. जेेएन खत्री ने बताया कि किसी डाक्टर ने ज्वाइनिंग नहीं की।
भरतिया में अस्थि रोग के डाक्टर नहीं रेजिडेंटों के हड़ताल पर जाने से भरतिया अस्पताल में भी अस्थि रोग के मरीजों की मुश्किलें बढ़ गई। एक्सीडेंटल गंभीर मरीजों को रेफर करना पड़ेगा। वहीं भर्ती मरीजों की सर्जरी के डाक्टर देख-रेख कर रहे हैं। पांच दिन पहले ट्रोमा वार्ड में मरीजों के लिए बेड कम पड़ रहे थे वहीं आज कई बेड खाली पड़े हैं।
3 व 4 हजार प्रतिदिन पर भी नहीं मिले डाक्टर सरकार हड़ताल तुड़वाने की बजाय आए दिन नए-नए हथकंडे अपना रही है लेकिन एक प्रतिशत भी सफलता हाथ नहीं लगी। तीन से चार हजार रुपए प्रतिदिन व रात ड्यूटी देने पर ७०० रुपए अतिरिक्त देने पर भी कोई चिकित्सक नहीं आए। जिला कलक्टर ललित कुमार गुप्ता ने बताया कि शुक्रवार शाम तक कोई भी चिकित्सक उक्त स्कीम में नहीं आया।
पेंशनरों के लिए निकाली यह तरकीब पेंशनरों की समस्याओं के समाधान के लिए सेवानिवृत्त चिकित्सकों व निजी चिकित्सकों को इस अवधि के दौरान अधिकृत किया गया है। कलक्टर गुप्ता ने बताया कि अवकाश अवधि के दौरान पेंशनर्स उक्त चिकित्सकों से निजी परामर्श लेकर अपनी पेेंशनर्स डायरी में जैनेरिक दवाएं लिखवाकर कानफेड की दुकान से दवाएं प्राप्त कर सकते हैं।
बिना डाक्टर के प्रसूताओं को कर रहे भर्ती वहीं भरतिया अस्पताल की गढ़ इकाई में बिना डाक्टर के ही प्रसूताओं को भर्ती कर
प्रसव कराया जा रहा है। लेकिन डेढ़ किमी दूर भरतिया अस्पताल में उन्हे नहीं भेजा जा रहा है। नर्सिंग स्टाफ की मनमानी कभी भी प्रसूताओं पर भारी पड़ सकती है। इस अनदेखी पर अस्पताल प्रशासन भी गंभीर नहीं दिख रहा है। अधीक्षक डा. जेएन खत्री ने बताया कि जानकारी होने पर पता लगाया गया तो वहां भर्ती प्रसूताओं ने कहा कि उन्हे कोई दिक्कत नहीं है। इसलिए उन्हे मुख्य अस्पताल में नहीं लाया गया।
सीएचसी में लगी मरीजों की कतार
राजलदेसर. राजकीय सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में पांचवें दिन भी रोगियों को परेशानी झेलनी पड़ी। केन्द्र खुलते ही एक घंटे में १७० रोगियों ने पर्चियां कटवाई। केन्द्र में रोगियों की लम्बी कतार लग गई। दो आयुष चिकित्सक सेवाएं दे रहे हैं लेकिन मरीजों को राहत नहीं है।
रतनगढ़. राजकीय सामान्य चिकित्सालय में चिकित्सक पांचवें दिन भी अनुपस्थित रहे। अस्पताल व वार्ड खाली रहे। २७ चिकित्सकों में से २४ कार्यरत थे जो अनुपस्थित रहे। आपातकालीन सेवा में आयुष चिकित्सक कार्य कर रहे हैं। ओपीडी में १३४ रोगी देखे गए और आपातकालीन में २९ रोगी देखे गए। एसडीएम संजू पारीक ने अस्पताल की स्थिति का जायजा लिया। भामाशाह कार्डधारी निजी गंगाराम अस्पताल में नि:शुल्क उपचार करवा सकते हैं।
बीदासर. राजकीय सीएचसी में हड़ताल के कारण चिकित्सा व्यवस्था चरमरा गई है। सीएचसी में दो आयुष व एक यूनानी चिकित्सक हैं लेकिन रोगियों को फायदा नहीं मिल रहा। डा. के कमरों के आगे व निवास पर ताले लगे हैं। मरीज भटकते नजर आए।
गिरफ्तारी के डर से दो डाक्टर काम पर लौटे सादुलपुर. सेवारत चिकित्सकों की हड़ताल को लेकर रेसमा के तहत शुरू हुई गिरफ्तारी के डर से पुलिस के सामने दो डाक्टरों ने कार्यभार ग्रहण कर लिया। थानाधिकारी भगवान सहाय मीणा ने बताया कि शाम को डॉ.सज्जन रोहीवाला व डा. अनिल कुमार को कार से जाते समय पुलिस ने रोक लिया तो दोनों ने गिरफ्तारी के डर से कार्यभार ग्रहण अस्पातल में लौट आए। वहीं दिन में सरकारी अस्पताल में मात्र ३७ मरीजों की ओपीडी रही। मरीजों को कहना है कि आयुष चिकित्सक बाहर की आयुर्वेदिक दवा लिखते हैं। जिसके कारण सरकारी योजनाओं का फायदा नहीं मिल पा रहा है।
गंभीर घायलों को बीकानेर किया रैफर सरदारशहर. राजकीय महाविद्यालय के आगे शुक्रवार सुबह मेगा हाइवे पर एक डंफर ट्रक से टकराने के बाद दीवार से टकरा गया। इससे डंफर चालक गंभीर रूप से घायल हो गया। घायल डंफर चालक को एम्बुलेंस 108 से कस्बे के राजकीय अस्पताल पहुंचाया गया। लेकिन चिकित्सकों के हड़ताल पर होने के कारण काफी देर तक चालक तडफ़ता रहा। कम्पाउंडरों ने प्राथमिक उपचार कर कारण बीकानेर रैफर कर दिया। जानकारी के अनुसार ढाणी पांचेरा निवासी डंफर चालक लालचन्द जाट (30) का डंफर दूसरे ट्रक से टकराकर दीवार से टकरा गया। इससे डंफर के आगे का हिस्स क्षतिग्रस्त हो गया। चालक लालचन्द बुरी तरह फंस गया। करीब दो घंटे की मशक्त के बाद चालक को निकाला गया। पुलिस मौके पर पहुंचकर जाम को हटवाया गया। अस्पताल में दिन फर मरीज परेशान होते रहे।
सरकार ने की वादाखिलाफी
छह साल पहले सेवारत चिकित्सकों की हड़ताल के दौरान वर्तमान सरकार व संघ के बीच जो समझौता हुआ था उसे आज तक लागू नहीं किया गया। चिकित्सक तीन माह से सरकार के सामने अपनी बात रख रहे हैं लेकिन सरकार नहीं मान रही। यह हठधर्मिता है, जबकि वर्तमान सरकार ने भी समझौते को लागू करने का वादा किया था। जनता की परेशानी को देखते हुए आपसी सहमति बनाकर हड़ताल को शीघ्र समाप्त करवाना चाहिए। एक लेक्चरर के बराबर सेवारत चिकित्सकों को भी वेतन मिलना चाहिए। गिरफ्तारी करना गलत है। इससे समस्या और बढ़ेगी। बहरहाल, मरीजों की परेशानी को देखते हुए सहयोग किया जा रहा है।
डा. मुमताज अली, सचिव, इंडियन मेडिकल एशोसिएसन इकाई, चूरू