हालांकि सावन माह के प्रारंभ होने के साथ ही क्षेत्र में हल्की बारिश हुई थी। लेकिन फसलों को पर्याप्त पानी नहीं मिलने के कारण खराब होने लगी हैं। अनेक किसानों ने बताया कि चिंता इस बात है कि सावन माह में तेज गर्मी का अहसास हो रहा है। किसानों ने बताया कि अच्छी फसल की उम्मीद में कर्ज लेकर फसलों की बिजाई की थी। लेकिन बारिश नहीं होने के कारण फसलें मुरझाने लगी हैं तथा लगता है कि कर्ज भी नहीं चुका पाएंगे।
क्षेत्र के गांव ढाणा, मांगला, किशनपुरा, ढाणी, लुटाणा, इंदासर, ग्वालीसर, लसेड़ी, गोठ्यां बड़ी, गोठ्यां छोटी, भटौड़, श्योपुरा आदि में खड़ी बाजरा, मंूग, मोठ, ग्वार की फसलें खराब होने लगी हैं।किसानों का कहना है कि अगले दो-चार दिनों में बारिश नहीं हुई तो फसलें नष्ट हो जाएंगी एवं किसानों की उम्मीदों पर पानी फिर जाएगा। वहीं इस संबंध में देहात भाजपा अध्यक्ष सतवीर पूनिया ने बताया कि खरीफ की फसलें मानसून की बारिश पर ही आधारित हैं तथा खेतों में खड़ी फसलें बारिश के अभाव में नष्ट होने लगी हैं। इससे किसान वर्ग के माथे पर चिंता की लकीरें खिंचने लगी हैं।
बरसात का इंतजार, सूख रही फसलें, पूजा-अर्चना में जुटे किसान घांघू. बादलों के रूठने से घांघू व आस-पास क्षेत्र के किसानों के चेहरों पर चिंता की रेखाएं नजर आने लगी हंै। बरसात के अभाव में फसलें मुरझाने लगी हैं। बाजरा इस बार इतना कमजोर है कि 40 से 45 दिन का बाजरा अभी भी एक फीट लम्बा हो पाया है। सिंचाई के अभाव में अब पीला पड़ गया है। बरसात नहीं होने से मूंग और ग्वार की फसल भी नष्ट होने लगी है। घांघू के किसान कुनणमल रेवाड़ ने बताया कि यदि जल्द बरसात नहीं हुई तो किसान की लागत भी नहीं मिलेगी। किसान मोतीलाल जांगिड़ श्यामदानपुरा के बजरंगलाल गेट ने बताया कि अगर चार-पांच दिन में बरसात नहीं हुई तो फसलें चौपट हो जाएंगी।ड्ड