Acharya Mahashraman- सभी को सदात्मा बनने का प्रयास करना चाहिए: आचार्य महाश्रमण
चूरू. सरदारशहर. वर्ष 2013 में तेरापंथ धर्मसंघ के दशमाधिशास्ता के समाधि स्थल अध्यात्म का शांतिपीठ से आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त कर पूरी दुनिया को शांति का संदेश देने, गुरुओं की वाणी को देश-विदेश में फैलाने, मानवता के कल्याण के लिए गतिमान हुए जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशास्ता सोमवार को पुन: अपने परंपर पट्टधर की समाधि स्थल पहुंचे।
चुरू
Published: April 26, 2022 12:25:42 pm
शास्त्र में चार प्रकार की आत्माओं का वर्णन किया गया है
चूरू. सरदारशहर. वर्ष 2013 में तेरापंथ धर्मसंघ के दशमाधिशास्ता के समाधि स्थल अध्यात्म का शांतिपीठ से आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त कर पूरी दुनिया को शांति का संदेश देने, गुरुओं की वाणी को देश-विदेश में फैलाने, मानवता के कल्याण के लिए गतिमान हुए जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशास्ता सोमवार को पुन: अपने परंपर पट्टधर की समाधि स्थल पहुंचे। उन्हें निहारने को श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। वातावरण जय-जय ज्योतिचरण, जय-जय महाश्रमण का जयघोष। मेगा हाइवे पर बने तेरापंथ धर्मसंघ के दशमाधिशास्ता आचार्य महाप्रज्ञ की समाधि अध्यात्म का शांतिपीठ पर नौ वर्षों तक गुरु आज्ञानुसार देश-विदेश में तेरापंथ की धर्मध्वजा को फहराने निकले आचार्य महाश्रमण हरपालसर से अध्यात्म का शांतिपीठ की ओर गतिमान हुए। तत्पश्चात आचार्य महाश्रमण अपने गुरु के समाधि स्थल की ओर चल पडे। लगभग तेरह किलोमीटर का विहार कर आचार्य सरदारशहर के बाहरी भाग में स्थित अध्यात्म का शांतिपीठ पर पधारे। परिसर में पधारते ही आचार्य सबसे पहले आचार्य महाप्रज्ञ की समाधिस्थल पर पंहुचे। आचार्य समाधि स्थल के पास ही नीचे विराजमान होकर ध्यानस्थ हो गए। ध्यान के उपरान्त आचार्य ने साधु-साध्वियों, समणियों सहित श्रद्धालुओं की अभिवंदना को स्वीकार करते हुए कहा कि वर्षों बाद गुरुदेव के समाधि स्थल पर आना हुआ है।
समाधिस्थल से आचार्य प्रवास स्थल पहुंचे, जहां उन्होंने कहा कि दुनिया में मित्र बनाए जाते हैं तो शुत्र भी बन जाते हैं। अध्यात्म की ²ष्टि से सबसे बड़ी शत्रु दुरात्मा बनी आत्मा होती है। शास्त्र में चार प्रकार की आत्माओं का वर्णन किया गया है। आचार्य ने कहा कि परम पूज्य आचार्य महाप्रज्ञ की दीक्षा परम पूज्य कालूगणी के उपपात में सरदारशहर में हुई थी। लगभग 90 वर्ष की अवस्था में वे वर्ष 2010 में अपने चतुर्मासकाल के लिए सरदारशहर पधारे थे, किन्तु आकस्मिक रूप में उनका महाप्रयाण हो गया। जाना एक दुनिया का नियम है। जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा द्वारा यह समाधि स्थल का स्थान आता है। हालांकि शांति तो स्वयं के भीतर होती है, थोड़ा निमित्त स्थान का भी हो सकता है। उन्होंने कहा कि हम जैसे शिष्यों को उनके चरणों में रहने और सीखने का अवसर प्राप्त हुआ। इस अवसर पर आचार्यश्री ने बर्हिविहार से समागत साध्वियों को भी मंगल आशीर्वाद प्रदान किया। इस दौरान जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा के अध्यक्ष मनसुखलाल सेठिया, महासभा के उपाध्यक्ष नरेन्द्र नखत, आचार्य महाश्रमण प्रवास व्यवस्था समिति-सरदारशहर के अध्यक्ष बाबूलाल बोथरा, वरिष्ठ श्रावक सुमतिचन्द गोठी, तेरापंथ सभा के अध्यक्ष सिद्धार्थ चण्डालिया, अशोक पींचा ने अपनी आस्थासिक्त अभिव्यक्ति दी। तेरापंथ महिला मण्डल ने स्वागत गीत का संगान किया। इस अवसर पर समिति की महामंत्री सूरज देवी बरडिया, उपाध्यक्ष अशोक नाहटा, संजय बोथरा, उपाध्यक्ष राजीव दुगड़, मंत्री पारस बुच्चा सह मंत्री वर्धमान सेठिया, सह मंत्री विकास बोथरा, संगठन प्रचार प्रसार मंत्री विकास सुराणा, राजेंद्र बोथरा, सभा मंत्री मांगीलाल बरमेचा, युवक परिषद अध्यक्ष राजीव दुगड़, मंत्री ऋषभ दूगड़, कोषाध्यक्ष निरंजन ङ्क्षसघी, प्रकाश बच्छावत, श्रीचन्द नौलखा सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे।

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