जिसकी परिणति मंगलवार को छापर कस्बे में भी देखने को मिली। यहां पांच माह के कन्या भ्रूण को मौत के घाट उतारकर नाले में फेंक दिया गया। पांच माह तक पेट में पालने वाली मां का दिल जरा भी नहीं पसीजा और हैवान बनकर दुनिया में आने से पहले ही अपने जिगर के टुकड़े का कत्ल कर दिया। भ्रूण दिखने के बाद कस्बे में तेजी से चर्चा फैल गई।
पुलिस के मुताबिक बस स्टेशन से रेलवे स्टेशन रोड स्थित नाले के एक खुले चैंबर में दोपहर को एक भ्रूण मिला। थानाधिकारी रामनारायण चायल ने बताया कि पालिका सफाईकर्मी सज्जन कुमार ने इसकी रिपोर्ट दी। उसने बताया कि दोपहर करीब दो बजे वह सफाई कर रहा था कि उसे नाले के चैंबर में मृत कन्या भ्रूण दिखाई दिया। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर भ्रूण निकलवाया और राजकीय चिकित्सालय की मोर्चरी में रखवाया।
मृत भ्रूण का वजन 300 ग्राम पोस्टमार्टम के बाद पता चला की भ्रूण करीब पांच माह का है। समय के मुताबिक सभी अंग विकसित हो चुके थे। भ्रूण का वजन 300 ग्राम व लम्बाई 25 सेंटीमीटर बताई जा रही है। पोस्टमार्टम के बाद भ्रूण को पुलिस के सहयोग से दफना दिया गया।
पहले भी जिले में कई बार मिल चुके हैं कन्या भ्रूण व नवजात बेटियां – 21 सितंबर 2013 को जिला मुख्यालय पर गर्भस्थ शिशु संरक्षण समिति के राज्यस्तरीय सम्मेलन से एक दिन पहले स्टेशन पर खड़ी ट्रेन में नवजात बच्ची मिली। जिसे बाद में समिति के सहयोग से प्रशासन ने एक परिवार को गोद दे दिया।
– 12 जून 2014 को साहवा-धीरवास बड़ा के बीच नवजात बच्ची को अज्ञात लोग डिब्बे में बंद कर पेड़ पर लटकाकर छोड़ गए। मामला दर्ज हुआ, लेकिन परिजनों का खुलासा नहीं हुआ। – अगस्त 2014 में एक मां-बेटी नवजात बच्ची को चूरू शहर में चूरू-जयपुर पैसेंजर ट्रेन में छोड़ कर चली गई। पुलिस ने दोनों मां-बेटी को ढूंढकर उन्हें बच्ची सौंप दी। मां के मना करने पर उसे बाल कल्याण समिति को सौंप दिया गया।
– बीदासर के गांव दूंकर में 23 अप्रेल 2015 की रात सड़क किनारे ईंटों के ढेर पर नवजात कन्या मिली। उसे अस्पताल में भर्ती करवाया गया है। लेकिन आज तक परिजनों का पता नहीं लग पाया।
– 13 नवंबर 2017 को चूरू शहर के वार्ड 39 स्थित रामदेव मंदिर के पास कचरे की ढेर पर सीमेंट के कट्टे में लिपटी एक नवजात बच्ची मिली थी। मोहल्ले के युवाओं ने नवजात को राजकीय डेडराज भरतिया अस्पताल पहुंचाया। बच्ची अब किसी को गोद दी जा चुकी है।