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सरपंचों के छीने वित्तीय अधिकार, पटवार भवनों पर लटके ताले

locationचुरूPublished: Jan 22, 2021 10:49:59 am

Submitted by:

Madhusudan Sharma

राज्य सरकार ने सरपंचों के वित्तीय अधिकारों में बड़ी कटौती की है। विकास कार्यों के लिए आने वाला पैसा अब सीधे पंचायतों के खातों में नहीं जाकर वित्त विभाग के पास जमा होगा।

सरपंचों के छीने वित्तीय अधिकार, पटवार भवनों पर लटके ताले

सरपंचों के छीने वित्तीय अधिकार, पटवार भवनों पर लटके ताले

चूरू. राज्य सरकार ने सरपंचों के वित्तीय अधिकारों में बड़ी कटौती की है। विकास कार्यों के लिए आने वाला पैसा अब सीधे पंचायतों के खातों में नहीं जाकर वित्त विभाग के पास जमा होगा। वहां पंचायतों के पीडी खाते खोले जाएंगे। सरपंचों को अब वित्त विभाग के पीडी खाते से पैसा लेना पड़ेगा। सरकार के इस फैसले के विरोध स्वरूप प्रदेशभर के सरपंच लामबंद हैं। जानकारों के अनुसार अब तक केन्द्र सरकार की योजनाओं का पैसा स्टेट फाइनेंस कमीशन के जरिए सीधे पंचायतों के खातों में आता था। इसकी निकासी का जिम्मा सरपंच व सचिव के पास होता था। जो अपने हिसाब से विकास कार्यों पर पैसा खर्च करते थे। सरकार का मानना था कि इसमें पंचायतों में अनियमितताएं पनपती थी। सरपंच लाखों रुपए एडवांस उठा लेते थे। इन्हें वापस वसूल कर पाना टेढ़ी खीर होता था। पंचायतों के वित्तीय कार्यों पर कोई निगरानी नहीं हो पाती थी। नई व्यवस्था से इन सब पर लगाम लग सकेगी।
अब वित्त विभाग देगा विकास का पैसा
अब सरपंचों को पंचायतों के विकास कार्यों के लिए पैसा खर्च करने का अधिकार नहीं होगा। अब पंचायतों के पैसों का हिसाब किताब वित्त विभाग के पास होगा। वित्त विभाग सभी पंचायतों के लिए पीडी अकाउंट खोल रहा है। सरपंचों को सीधे राशि निकालने की बजाय वित्त विभाग के पीडी खाते से निकालनी होगी। अग्रिम राशि एठाने से पहले पुरानी राशि का हिसाब भी देना होगा। पहले पंचायतों के खाते में ट्रांसफर होता था पैसा। सरकार विकास कार्यों के लिए प्रत्येक पंचायत में स्टेट फाइनेंस कमीशन के जरिये पंचायतों के खातों में पैसा ट्रांसफर करती थी। वह राशि साल में दो किश्त में पंचायतों के खातों में दी जाती थी। मध्यम पंचायतो में 10-10 लाख रुपए औेर बड़ी पंचायतों के लिए 15-15 लाख की दो किश्त में पैसा दिया जाता था। पंचायत में विकास कार्यो के लिए सरपंच पंचायत के बैंक अकाउंट से पैसा खर्च करते थे, लेकिन अब ये व्यवस्था बंद कर दी है।
सरपंच के कार्य
सरपंच एक पंचायत का मुखिया होता है। सरपंच सीधे अपनी पंचायत के भीतर चुने जाते हैं। सरपंच या मुखिया का काम ग्राम सभा की बैठक बुलाना औेर उसकी अध्यक्षता करना होता है। ग्राम पंचायत का रेकॉर्ड रखना, वित्तीय और प्रशासनिक व्यवस्था की देखभाल करना तथा ग्राम पंचायत के कर्मचारियों, अधिकारियों (जो पंचायत से जुड़े काम में लगे हैं) के कामो पर प्रशासनिक नियंत्रण रखना भी सरपंच के काम में आता है। पुरानी व्यवस्था के तहत सीधे पंचायत के खाते में पैसा जमा होता था। उस पर सरकार कोई नियंत्रण नहीं होता था।
नई व्यवस्था से लाभ व हानि
पंचायतों के लिए वित्तीय विभाग में पीडी खाते की व्यवस्था होने से सरपंचों द्वारा गड़बड़ी की सम्भावना कम हो जाएगी। पहले सरपंच ग्राम पंचायत के खाते से पैसा निकालकर कई बार व्यक्तिगत कार्यो पर खर्च कर देते थे। बाद में उनसे वसूली नहीं हो पाती थी। नई व्यवस्था से इस पर काफी हद तक लगाम लग सकेगी। सरपंचों का कहना है कि नई व्यवस्था का खामियाजा क्षेत्र की जनता को भुगतना पड़ेगा। उनके पास विकास कार्यो के लिए पैसा नहीं होगा। सरकार पंचायतों के पैसे का कहीं और उपयोग कर लेगी जो कि गलत है।
पटवार भवनों पर लगाए ताले
पीडी खातों को लेकर जिले के सरपंचों ने जिले की ग्राम पंचायत भवनों के ताले लगाए। उन्होंने इस दौरान सरकार के इस निर्णय का विरोध किया। उन्होंने गुरुवार को होने वाली पाक्षिक बैठक का भी बहिष्कार किया।
इनका कहना है

& पीडी खाता खुलने से सरपंच के अधिकारों का सीध हनन होगा। ग्रामीण स्तर पर कराए जाने वाले सर्वसम्मति से छोटे-मोटे कार्य अब नहीं कराए जा सकेंगे। इससे गांवों की सामान्य समस्याओं का समय पर समाधान नहीं हो पाएगा।
संतोष गोदारा, सरपंच चरला (सुजानगढ़)
& गांव में आवारा पशु मरने पर उसे उठाने के लिए पंचायत 2-4 सौ रुपए खर्च नहीं कर सकती है। पीडी खाते के लिए पहले प्रस्ताव भेजें, फिर अनुमति लेनी होगी। टेण्डर निकालो, फिर राशि खर्च करो, बाद में भुगतान होगा। यह प्रक्रिया लम्बी है। ऐसे छोटे कार्य तुरन्त करके समाधान करना होता है जो अब नहीं हो सकेंगे।
सुरेन्द्रसिंह राठौड़, सरपंच बालेरा (बीदासर)।
& पीडी खाते सम्बन्धी नई समस्या का समाधान जल्द होगा, क्योंकि सरपंच संघ ने गोविन्द डोटासरा को परेशानी बता दी है। उन्होंने समाधान निकालने का भरोसा दिलाया है। आशा है जल्द विवाद समाप्त होगा।
सविता राठी, सरपंच गोपालपुरा (सुजानगढ़)।
& सरकार के नए आदेश से पंचायती राज की स्थानीय संस्थाएं ग्रामीण क्षेत्रों में अब 10-20 हजार रुपए के छोटे-मोटे कार्य भी जनकल्याण के नहीं करा सकेगी। सरकार के हाथ पैर बांधने जैसा कार्य किया है। मैं इसके खिलाफ जिला परिषद में आवाज उठाऊंगा।
नौरंगलाल सीलू, जिप सदस्य, लोढ़सर

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