चुरूPublished: Mar 08, 2021 02:23:34 pm
Madhusudan Sharma
यदि कोई अपने सपनों को हकीकत में बदलने के लिए पीछे लग जाए तो वे सपने अपने हो जाते हैं। कड़ी मेहनत और लगन के कारण ही ऐसा हो पाता है।
पहले वॉलीबाल और अब तीरंदाजी में ला रही पदक
चूरू. यदि कोई अपने सपनों को हकीकत में बदलने के लिए पीछे लग जाए तो वे सपने अपने हो जाते हैं। कड़ी मेहनत और लगन के कारण ही ऐसा हो पाता है। ग्रामीण परिवेश में सुविधाओं के अभाव के बावजूद देश में अपने नाम का डंका बजाने वाली स्वाति दूधवाल भी उनमें से एक है। जिसने खेल के क्षेत्र को चुना। मेहनत के बल पर ऐसा मुकाम हासिल किया है कि आज वह किसी परिचय की मोहताज नहीं है। जी हां, स्वाति दूधवाल सुजानगढ़ तहसील के गांव धां की बेटी है। स्वाति तीरंदाजी से पहले वॉलीबाल खेला करती थी। वॉलीबाल में भी उन्होंने कई पदक प्राप्त कर खुद को साबित किया। लेकिन बाद में इनके मन में तीरंदाजी प्रतियोगिता में भाग लेने की इच्छा जाग्रत हुई। स्वाति का जन्म वर्ष 1995 में हुआ। कम उम्र में वह कई मैच खेल चुकी है। इंटरनेशनल लेवल पर आधा दर्जन से ज्यादा देशों में हुई प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया, वहीं नेशनल लेवल पर केरल, यूपी, दिल्ली, झारखण्ड, आंध्रप्रदेश, असम, कर्नाटक, तमिलनाड़ू, हरियाणा, राजस्थान व पंजाब राज्यों में खेलकर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चुकी है। नेशनल लेवल पर 9 बार तीरंदाजी व 11 बार वॉलीबाल के मैच खेले। वहीं 3 बार यूनिवर्सिटी लेवल के मुकाबलों में भी वह भाग ले चुकी है। स्वाति का हाल ही में वल्र्ड कप की बी टीम में भी चयन हुआ है। वह इसमें भाग लेकर भारत के लिए खेलेगी।
इस तरह की तैयारी, यूं बदला खेल
पिता गिरधारी लाल बताते हैं कि खेल के प्रति इतनी लगन थी कि वह सुबह पांच बजे उठकर साइकिल लेकर वॉलीबाल खेलने निकल जाती थी। कक्षा छह से 12 वीं तक स्वाति वॉलीबाल खिलाड़ी रही। नौ बार वॉलीबाल की नेशनल स्तर की प्रतियोगिताओं में भी हिस्सा लिया। स्वाति ने कक्षा छह से दस तक की पढ़ाई सुजानगढ़ के आदर्श विद्या मंदिर स्कूल से की। इसके बाद 11वीं व 12वीं सीकर के ग्रामीण शिक्षण संस्थान से उत्तीर्ण की। प्रथम वर्ष की पढ़ाई के लिए जयपुर के महारानी कॉलेज में दाखिला लिया। उस वक्त स्वाति जयपुर के एसएमएस स्टेडियम में वॉलीबाल खेलने जाती थी। तब तय किया कि वॉलीबाल की बजाय किसी एक व्यक्ति खेल में मेहनत की जाए और वॉलीबाल छोड़ तीरंदाजी की राह चुनी। बांसवाड़ा निवासी कोच धनेश्वर ने तीरंदाजी में स्वाति की प्रतिभा को निखारा। आज स्वाति तीरंदाजी में कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। स्वाति के पिता गिरधारी लाल दूधवाल राजस्थान पुलिस में कार्यरत हैं। माता ललिता गृहणि हैं। स्वाति की छोटी बहन का नाम सारिका व भाई का नाम सिद्धार्थ है।
अब तक इन देशों में जीते पदक
– वर्ष 2019 में अंटालिया टर्की में मई में तीरंदाजी वल्र्ड कप में भाग लिया।
-वर्ष 2019 में बर्लिन में जुलाई में तीरंदाजी वल्र्ड कप में भाग लिया।
-वर्ष 2019 में कटक उडि़सा में 39वीं एनटीपीसी सीनियर नेशनल चैम्पियनशिप में कांस्य पदक जीता।
– वर्ष 2019 में राजस्थान राज्य तीरंदाजी चैम्पियनशिप बीकानेर में स्वर्ण पदक जीता।
– वर्ष 2018 में अजमेर में राजस्थान राज्य तीरंदाजी चैम्पियनशिप अजमेर में रजत पदक जीता।
– वर्ष 2018 में पुणे में 14वीं सीनियर राष्ट्रीय तीरंदाजी चैम्पियनशिप में भाग लिया।
– वर्ष 2015 में केरला में 35वें नेशनल गेम्स में मिक्स टीम में स्वर्ण पदक जीता।
– वर्ष 2015 में 36वीं सीनियर नेशनल तीरंदाजी चैम्पियनशिप मेरठ में व्यक्तिगत व टीम वर्ग में रजत पदक जीते।
– वर्ष 2015 में राजस्थान राज्य तीरंदाजी चैम्पियनशिप अजमेर में स्वर्ण पदक
– वर्ष 2016 में अंटालिया टर्की में जुलाई में तीरंदाजी वल्र्ड कप में भाग लिया।
– वर्ष 2016 में वल्र्ड यूनिवर्सिटी चैम्पियनशिप मंगोलिया में टीम प्रतिस्पद्र्धा में स्वर्ण पदक जीत।
– वर्ष 2016 में साउथ एशियन गेम्स में मेघालय में भाग लिया।
-वर्ष 2015 में एशियन चैम्पियनशिप बैंकाक में टीम का रजत पदक जीता।
– अगस्त 2015 में एशियन थाइपेई ऑपन टूर्नामेंट में कांस्य पदक जीता।
-वर्ष 2014 में राजस्थान राज्य तीरंदाजी चैम्पियनशिप नागौर में स्वर्ण पदक।
– वर्ष 2014 में 11वीं राष्ट्रीय तीरंदाजी चैम्पियनशिप नई दिल्ली में मिक्स टीम में स्वर्ण पदक जीता।
-वर्ष 2014 में विजयवाड़ा आंधप्रदेश में 37वीं जूनियर नेशनल तीरंदाजी चैम्पियनशिप में कांस्य पदक जीता।
– वर्ष 2013 में राजस्थान राज्य तीरंदाजी चैम्पियनशिप धौलपुर में स्वर्ण पदक जीता।
– वर्ष 2013 में 36वीं जूनियर नेशनल तीरंदाजी चैम्पियनशिप कोकराजहर आसाम में स्वर्ण पदक व टीम ने स्वर्ण पदक जीता।
– वर्ष 2013 में 33वीं सब जूनियर नेशनल तीरंदाजी चैम्पियनशिप कर्नाटक में मिक्स टीम कांस्य पदक जीता।
– वर्ष 2013 में जमशेदपुर में 34वीं सीनियर राष्ट्रीय तीरंदाजी चैम्पयनशिप में मिक्स टीम में रजत पदक जीता।
– वर्ष 2013 में विश्व यूथ तिरंदाजी चैम्पियनशिप में टीम प्रतिस्पद्र्धा में कांस्य पदक जीता।
– अगस्त 2013 में द्वितीय एशियन तीरंदाजी ग्रांड प्रिक्स मंगोलिया में टीम का कांस्य पदक जीता।
– वर्ष 2012 में राजस्थान राज्य तीरंदाजी चैम्पियनशिप श्रीगंगानगर में स्वर्ण पदक जीता।
– जुलाई 2015 में समर यूनिवर्सेड कोरिया में टीम सातवें नंबर पर रही।
– 2014 व 2015 में इंटरनेशनल इस्तांबुल,मेडलिन, थाईपेई में भाग लिया।
– वर्ष
स्वाति वर्ष 2015 में थाइलैण्ड में एक नवम्बर से 9 नवम्बर तक हुई 19वीं एशियन तीरंदाजी प्रतियोगिता में रजत पदक जीता।
8-16 अगस्त तक चीन में हुई एशियन तीरंदाजी प्रतियोगिता में कांस्य
2013 में 11-21 सितम्बर तक चीन में आयोजित यूथ वल्र्ड तीरंदाजी प्रतियोगिता में कांस्य और 2013 में ही मंगोलिया में हुई द्वितीय एशियन ग्रांड प्री तीरंदाजी में भी कांस्य जीता।