Acharya Mahashraman- अत्याधुनिक तकनीक से अध्यात्म की अच्छी जानकारी देने का अच्छा प्रयोग- आचार्य महाश्रमण
चूरू (सरदारशहर). जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के दसमाधिशास्ता, महात्मा महाप्रज्ञ के समाधिस्थल अध्यात्म का शांतिपीठ के परिसर में रविवार को महाप्रज्ञ दर्शन म्यूजियम का मंगल शुभारम्भ तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अनुशास्ता आचार्य महाश्रमण के महामंगल मंत्रोच्चार से हुआ। अपने आध्यात्मिक गुरु के समाधिस्थल पर ऐसे अनूठे म्यूजियम के शुभारम्भ के प्रत्येक प्रकल्प का अवलोकन किया।
चुरू
Published: May 09, 2022 12:06:14 pm
चूरू (सरदारशहर). जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के दसमाधिशास्ता, महात्मा महाप्रज्ञ के समाधिस्थल अध्यात्म का शांतिपीठ के परिसर में रविवार को महाप्रज्ञ दर्शन म्यूजियम का मंगल शुभारम्भ तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अनुशास्ता आचार्य महाश्रमण के महामंगल मंत्रोच्चार से हुआ। अपने आध्यात्मिक गुरु के समाधिस्थल पर ऐसे अनूठे म्यूजियम के शुभारम्भ के प्रत्येक प्रकल्प का अवलोकन किया। अद्भुत अनूठे और अत्याधुनिक तकनीक से सुसज्जित इस म्यूजियम को जिसने भी देखा सराहना की। रविवार को आचार्य महाश्रमण सरदारशहर नगर स्थित तेरापंथ भवन से प्रस्थित हुए। इसके बाद आचार्य महाश्रम अपने आध्यात्मिक गुरु की समाधिस्थल की ओर चल पडे। लगभग छह किलोमीटर का विहार कर आचार्य समाधिस्थल परिसर पहुंचे। जहां जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के दसमाधिशास्ता आचार्य महाप्रज्ञ के समाधिस्थल अध्यात्म का शांतिपीठ जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा द्वारा निर्मित विश्वस्तरीय महाप्रज्ञ दर्शन म्यूजियम के समक्ष आचार्य ने मंगल महामंत्रोच्चार कर महासभा के पदाधिकारियों को आशीर्वाद प्रदान किया । अपने अध्यात्मिक गुरु, अपने उत्तराधिकार प्रदाता के आध्यात्मिक जीवन का अत्याधुनिक तकनीक विधि से जीवंत दर्शन करने के लिए आचार्य कमल पुष्प के आकार के बने सेंसर पर हाथ लगाते ही आचार्य महाप्रज्ञ की वाणी में नमस्कार महामंत्र का उच्चारण आरम्भ हो गया। जिसमें आचार्य महाप्रज्ञ के आध्यात्मिक कर्तृत्वों का अत्याधुनिक तकनीक से जीवंत प्रदर्शन का क्रम जो क्रमश: महाप्रज्ञ जीवन दर्शन, तेरापंथ दर्शन व जीवन यात्रा, 180 डिग्री फिल्म, आगम एवं साहित्य, सुनहरा बचपन, अङ्क्षहसा यात्रा फ्लिपबुक, कालचक्र, मंत्र समाधान आदि का प्रदर्शन हुआ। जीवन विज्ञान प्रकल्प से होते हुए आचार्य महाप्रज्ञ रोबोटिक्स प्रकल्प में पहुंचे। आचार्य ने रोबोट तकनीक से आचार्य महाप्रज्ञ के जीवनकाल के विभिन्न संदर्भों का अवलोकन किया। आचार्य महाश्रमण ऑडिटोरियम से होते हुए सभागार, महाश्रमण गैलरी, प्रज्ञा गीत व प्रज्ञा पुस्तकालय पहुंचे।
जनमेदिनी को महातपस्वी महाश्रमण से मिला मंगल पाथेय
आचार्य महाश्रमण मंचस्थल पहुंचे व नमस्कार महामंत्रोच्चार करते हुए कार्यक्रम का शुभारम्भ करते हुए कहा कि आगम वाङ्यम में चार प्रकार की समाधि बताई गई है। विनय, श्रुत, तप: व आचार समाधि, शांति व समाधि प्राप्ति के लिए आदमी को विनय का प्रयोग करने का प्रयास करना चाहिए। किसी समस्या से उत्पन्न मानसिक अशांति की जिज्ञासा का समाधान हो जाए अर्थात् सुनने का अवसर मिल जाए तो शांति की प्राप्ति हो सकती है। उन्होंने कहा कि आचार्य महाप्रज्ञ तेरापंथ के दसवें आचार्य थे। सबसे बड़ी उम्र में आचार्य बने, आचार्य परंपरा में सबसे लम्बा संयम पर्याय रहा और सबसे लम्बा जीवनकाल भी रहा। आचार्य ने महाप्रज्ञ दर्शन म्यूजियम के संदर्भ में कहा कि आधुनिक विधाओं का उपयोग किया गया है। अंत में मंजूदेवी दूगड़ ने 31 की तपस्या का प्रत्याख्यान किया। इस दौरान आचार्य के समक्ष साध्वी कल्पलता द्वारा लिखित पुस्तक तेरापंथ का यशस्वी साध्वीसमाज भाग 4-5 तथा साध्वी राजुलप्रभा की थीसीस ईस्ट वर्सेज वेस्ट ओनैरोक्रिटिका लोकार्पित की गई। इस दौरान महासभा के पदाधिकारियों द्वारा इस म्यूजियम के अनुदानदाताओं, सहयोगकर्ताओं को सम्मानित भी किया गया।

सरदारशहर के अध्यात्म का शांतिपीठ में म्यूजियम का अवलोकन करते आचार्य महाश्रमण.
पत्रिका डेली न्यूज़लेटर
अपने इनबॉक्स में दिन की सबसे महत्वपूर्ण समाचार / पोस्ट प्राप्त करें
अगली खबर
