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सरकारें बदलीं, पर नहीं बदली इनकी बदकिस्मती

locationचुरूPublished: Feb 25, 2020 11:58:43 am

Submitted by:

Brijesh Singh

मसला, 2013 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार के समय का ही है, जब राज्य में आयुष नर्सों के 1605 पदों पर भर्तियों के लिए रिक्तियां निकाली गई थीं।

सरकारें बदलीं, पर नहीं बदली इनकी बदकिस्मती

सरकारें बदलीं, पर नहीं बदली इनकी बदकिस्मती

चूरू. इसे इन बेरोजगार युवाओं की बदकिस्मती कहें या कुछ और कि राज्य में सत्ता-दर-सत्ता बदली, लेकिन इनकी किस्मत नहीं बदली। वह भी तब, जब कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेता राहुल गांधी बेरोजगारी को लेकर पिछले 6 साल से बेहद मुखर हैं। मसला, 2013 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार के समय का ही है, जब राज्य में आयुष नर्सों (Ayush Nurses) के 1605 पदों पर भर्तियों के लिए रिक्तियां निकाली गई थीं। साल के अंत में सत्ता बदली और भाजपानीत सरकार सत्ता में आ गई। साल 2016 में इन 1605 पदों में से 600 पदों पर तो भर्तियां कर ली गईं, लेकिन बाकी रह गए 1005 अभ्यर्थी 2016 से लेकर अब तक खुद की किस्मत खुलने की आशा में नित आयुष निदेशालय, मंत्री, कलेक्ट्रेट में तलवे घिस रहे हैं, लेकिन उन्हें हर जगह से सिर्फ आश्वासन के सिवाय और कुछहासिल नहीं हो रहा है।

क्या है मामला
मामला आयुष नर्सेज की भर्ती का है। साल 2013 के जून के महीने से लेकर करीब पांच बार अलग-अलग तरीके से 1605 आयुष नर्सेज की भर्ती के लिए आवेदन मांगे गए। जानकारी के मुताबिक, करीब दो गुने अभ्यर्थियों को छंटनी के बाद वैरीफिकेशन के लिए बुला लिया गया। अजमेर स्थित आयुर्वेद निदेशालय में उनका वैरीफिकेशन भी हो गया। इसके बाद चुनाव आचार संहिता लगी और भर्ती प्रक्रिया पूरी होने से पहले ही चुनाव आ गए। चुनाव हुआ सत्ता परिवर्तन हो गया और कांग्रेस की अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली सरकार सत्तायुच्च हो गई। नई सरकार ने वसुंधरा राजे के नेतृत्व में कमान संभाली।
विभाग यह कहता है
अभ्यर्थियों ने जब भी निदेशालय का रुख किया, उन्हें बताया गया कि जो 1005 भर्तियां हटाई गई हैं, वे सब एनआरएचएम के अधीन थीं। इनमें आयुर्वेद की 665, होमियोपैथी की 160 व यूनानी कंपाउंडरों/जूनियर ग्रेड नर्स की 180 भर्तियां शामिल हैं।

बीच में खुली चंद संविदाकर्मियों की किस्मत
इसी दौरान एनआरएचएम के जरिए संविदा पर लगे 18 8 कंपाउंडरों को बोनस अंकों के आधार पर भर्तियां निकलने पर स्थायी रूप से नियुक्ति दे दी गई।

इसी महीने लगी 397 कंपाउंडरों की लॉटरी
साल 2018 में भाजपा शासनकाल में फिर से 400 कंपाउंडरों की भर्तियां निकाली गईं। खास बात यह है कि इनमें से 397 को इसी महीने में नियुक्ति मिल गई। लेकिन इन सबके बीच उन 1005 पदों को लेकर अब भी यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि इन पदों के लिए जिनके वैरिफि केशन आदि करवा कर उम्मीदें बंधा दी गई थीं, उनका क्या होगा।

यूं दोबारा बंधी अभ्यर्थियों को उम्मीद
दरअसल, चुनाव से पहले सचिन पायलट के बयान कि कांग्रेस के सत्ता में लौटने पर 2013 में निकाली गई भर्तियों पर नए सिरे से विचार करके नियुक्ति देने की प्रक्रिया की जाएगी और चुनाव के बाद कांग्रेस सरकार के एक साल पूरा होने पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की घोषणा ने अभ्यर्थियों में एक नई उम्मीद जगा दी। दरअसल, गहलोत ने एक कमेटी बनाई, जिसके अध्यक्ष बीडी कल्ला को बनाया गया।

जानकारी के मुताबिक कमेटी ने जीएनएम और एएनएम स्तर की रिक्तियों में भाजपा सरकार के समय की गई कटौती को अमान्य करते हुए फिर से उन पदों को सृजित कर भर्ती की सिफारिश की है। इसी आधार पर इन नर्सिंग कर्मियों की सरकार से अपेक्षा है कि वे आयुष नर्सिंग के 1005 पदों की कटौती को भी नए सिरे से पद सृजन करके पूरी कर दें।

यहां से बिगड़ने लगा मामला
बेरोजगार नर्सों की उम्मीदों को पहला झटका तो सरकार परिवर्तन से ही लगा, क्योंकि उन्हें लगने लगा था कि सरकार बदलने के बाद से कहीं भर्तियों को लेकर कोई संकट ना आ जाए। उनकी आशंका सही साबित हुई और भर्तियां अटकी ही रहीं। साल 2016 में सरकार ने 6 00 भर्तियों को तो हरी झंडी दे दी, लेकिन बाकी के 1005 पदों को अटका दिया। इन 600 पदों में 315 कंपाउंडरों को आयुर्वेद में, 158 को होमियोपैथ में और 127 को यूनानी में नियुक्ति मिल गई। रह गए 1005 पदों को लेकर जब अभ्यर्थी बार-बार निदेशालय पूछताछ करने को गए, तो उन्हें यह तो बताया गया कि फंड की कमी की वजह से इन पदों पर भर्तियां स्थगित कर दी गई हैं, लेकिन यह स्थगन कब तक हटेगा, इसको लेकर कोई स्पष्ट जवाब निदेशालय की ओर से नहीं गया।

33 जिलों में एक साथ दिया कलक्टर को ज्ञापन
सोमवार को चूरू समेत पूरे प्रदेश के 33 जिलों में बेरोजगार आयुष नर्सेज ने एक साथजिला कलक्टर को ज्ञापन देकर मांग की है कि बीडी कल्ला कमेटी और सरकार तक उनकी यह मांग पहुंचाई जाए, ताकि कटौती किए गए 1005 पदों पर आयुष नर्सेज की भर्ती की जा सके।

इनका कहा है
विज्ञापन में जरूर निकला था, लेकिन ये 1005 पद विभाग के रिक्त पदों में शामिल नहीं हैं। अब भी नहीं हैं। हालांकि बहुत सारे कंपाउंडर अब भी एनआरएचएम के जरिए सेवाएं दे रहे हैं। आगे क्या होगा पता नहीं, लेकिन फिलहाल ये पद स्थगित हैं। इन्हें रद्द कहना सही नहीं होगा। – आनंद शर्मा, अति. निदेशक, आयुष निदेशालय

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