साम्प्रदायिक सौहार्द की मिसाल यदि देखनी है तो आप चले आएं चूरू तहसील के गांव घंटेल। जहां पर हिंदू समाज के लोग 500 वर्ष पुरानी दरगाह में पीर की दरगाह में शिद्दत के साथ इबादत करते हैं।
चुरू•Jun 16, 2021 / 10:39 am•
Madhusudan Sharma
यहां हिंदू करते हैं दरगाह की इबादत
चूरू. साम्प्रदायिक सौहार्द की मिसाल यदि देखनी है तो आप चले आएं चूरू तहसील के गांव घंटेल। जहां पर हिंदू समाज के लोग 500 वर्ष पुरानी दरगाह में पीर की दरगाह में शिद्दत के साथ इबादत करते हैं। कुछ ऐसा ही आलम गंगा-जमुनी तहजीब को सहेज रहे चूरू जिले के गांव घंटेल का है। जिला मु यालय करीब छह किमी दूर स्थित इस गांव में हिन्दू लोगों में पीर के प्रति मुस्लिमजनों के समान आस्था है। यहां पर हर शुक्रवार को लगने वाले मेले में हिन्दू-मुस्लिम यहां आकर मन्नत मांगते हैं। दरगाह की देखरेख करने वाले गांव के ही महाब्राह्मण बताते हैं कि करीब 70 फीट से अधिक ऊंचे टीले पर स्थित दरगाह के नीचे सड़क के बराबर पीर की मजार थी।
पुरानी मजार नीचे दबती चली गई
कालांतर में पुरानी मजार नीचे दबती चली गई। इस पर एक के ऊपर एक पीर की मजारें बनती चली गईं। गांव के ही लोग आपस में राशि एकत्रित कर दरगाह की चारदीवारी व अन्य निर्माण कार्य भी करवाया है।
गांव में जिस साल बारिश नहीं होती है तो गांव के लोग दरगाह के पास हाथ से मिट्टी खोदते हैं। तो कुछ ही दिनों में बारिश हो जाती है। पीर के बारे में मान्यता है कि गांव वालों को पीर का नाम तो नहीं पता, मगर यहां के बुजुर्ग बताते हैं कि एक हजार से अधिक वर्ष पहले हुए किसी युद्ध के दौरान पांच योद्धा लड़ते हुए जोधपुर से रवाना हुए।
चूरू जिले के गांव घंटेल आकर एक योद्धा युद्ध में काम आ गए। जिनकी ये मजार दरगाह के रूप में आज यहां स्थापित है। एक पीर की मजार झुंझुनूं जिले के नरहड़ में है। गांव घंटेल के पीर नरहड़ के पीर के बड़े भाई थे।
गांव के नरेन्द्र सिह राठौड़ ने बताया कि यह गांव 500 साल पुराना गांव है। इस गांव में एक भी मुस्लिम परिवार नहीं है। गांव में वर्षों पुराना एक ठाकुरजी महाराज का पुराना मन्दिर है।
जिसमें गांव के लोग रोजाना पूजा पाठ करने जाते है। गांव में शिक्षा के नाम पर राउमावि व रामावि तक की स्कूल है। गांव प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र है। गांव के सांवरमल चौहान बताते हैं कि पीर बाबा की अंग्रेजों से युद्ध में लड़ते समय उनकी गर्दन कटकर गांव में आकर गिरी। तब गांववासियों ने मिलकर पीर बाबा की मजार गांव के बाहर बना दी। गांव में स्थिति मोहल्लों पर अंग्रेजी सेना ने आक्रमण किया था तो पीर बाबा ने अंग्रेजी सेना को भगा दिया।
अंग्रेजी सेना के सिपाही गांव में हथियार व जूते झोड़ चले गए थे। गांव घंटेल के नामकरण के बारे में लोगों की मान्यता है कि करीब 1700 वर्ष पहले यहां मोयल चौहान आकर बसे थे। उस समय यहां सात बास (मोहल्ले) होते थे। किसी प्राकृतिक आपदा के कारण तीन मोहल्ले खत्म हो गए और चार बास रह गए। जो आज भी हैं। बास घटने पर गांव का नाम घंटेल पड़ा। इसके अलावा लोगों का कहना है कि यहां घंटेलिया ब्राह्मण आकर बसे थे। उसके बाद घिंटाला प्रजापत जाति के लोग आकर बसे। जिस पर गांव का नाम घंटेल पड़ा।