इनके अलावा कई सन्त व साध्वियां देश के विभिन्न हिस्सों में प्रवास पर चातुर्मासरत है। आचार्य महाश्रमण की धवल सेना पर शिक्षावार नजर डालें तो तेरापंथ धर्मसंघ का प्रचार व आत्म कल्याण का मार्ग अपनाएं हुए संत, साध्वियां में दो संत व सात साध्वियां एमबीए है। तेरापंथ परिचायिका देखें तो पता चलता है कि धर्मसंघ में दो साध्वियां बीटेक डिग्रीधारक व एक मुनि व दो साध्वियां सीए किए हुए है। वहीं 200 से अधिक संत, साध्वियां व समणी स्नातक व स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त है। इन्होंने बीए, बीकॉम, एमए, एमफिल, बीबीएम जैसी डिग्री प्राप्त भी शामिल है।
गृहस्थ जीवन के दौरान आठवीं, दसवीं-बारहवीं तक की शिक्षा प्राप्त करने के बाद दीक्षा लेने और फिर आगे की पढ़ाई करने के का क्रम जारी रहता है इसके कई उदाहरण भी है कईयों ने जैन दीक्षा लेने के बाद संत, साध्वी व समणीयों ने प्रोफेशनल डिग्री प्राप्त की है। वर्तमान में भी कई संत, साध्वियां व समणी उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे है। सबसे बड़ी बात यह है कि चालीस प्रतिशत संत, साध्वियां और समणी की आयु 40 साल से भी कम है। दीक्षा के उपरांत भी मुनि,साध्वियां और समणी अपनी पढ़ाई जारी रखते है। पीएचडी डिग्री धारक 65 संत साध्वियां और समणी तेरापंथ धर्मसंघ में सेवाकार्य कर रहे है। तेरापंथ परिचायिक के अनुसार इनमें 12 मुनि, 35 साध्वियां और 18 समणी है, जिन्होंने पीएचडी की उपाधियां प्राप्त की है।