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यहां हो गया दो माह में 70 करोड़ रुपए का नुकसान

locationचुरूPublished: May 26, 2020 09:54:22 am

Submitted by:

Brijesh Singh

जिले में चूरू, सरदारशहर व रतनगढ़ में फर्नीचर की छोटी-बड़ी मिलाकर करीब 400 फैक्ट्रियां है, जिसमें करीब 1000 से अधिक लोग काम कर रहे थे।

यहां हो गया दो माह में 70 करोड़ रुपए का नुकसान

यहां हो गया दो माह में 70 करोड़ रुपए का नुकसान

चूरू. नोटबंदी के बाद टूटा बाजार कुछ संभला था, लेकिन कोरोना वायरस संक्रमण ने पूरी कमर तोड़कर रख दी है। जिले में फर्नीचर उद्योग साइलेंट मोड पर चला गया है। नए ऑर्डर मिल नहीं रहे, पुराना माल अटका हुआ है। जिन्होंने ऑर्डर दिए थे वो भी लेने को तैयार नहीं है। इन हालातों में फर्नीचर उद्योग को संभलने में कम से कम छह माह का वक्त लग जाएगा। विश्वकर्मा उद्योग संघ शाखा के सचिव अजीत भागोला ने बताया कि जिले में चूरू, सरदारशहर व रतनगढ़ में फर्नीचर की छोटी-बड़ी मिलाकर करीब 400 फैक्ट्रियां है, जिसमें करीब 1000 से अधिक लोग काम कर रहे थे। लॉकडाउन से पहले काम रोटेशन से चल रहा था, लेकिन कोरोना संक्रमण के बाद काम धंधे बिल्कुल ठप पड़े हुए हैं। फिलहाल इस उद्योग की स्थिति ठीक नहीं है। उन्होंने बताया कि फैक्ट्रियों में काम करने वाली लेबर बिहार, बंगाल व कुछ स्थानीय भी थे। लेकिन संक्रमण की आशंका को देखते हुए सभी लोग अपने घरों को लौट चुके हैं।
स्थानीय मजदूर अच्छी बारिश की संभावना को देखते हुए खेती-बाड़ी में लग गए हैं। भागौला ने बताया कि जिले में बनने वाले फर्नीचर की मुम्बई, हैदराबाद सहित एशिया की सबसे बड़ी मंडी दिल्ली स्थित कीर्ति नगर, घिटोरनी में काफी मांग रहती है। इसके अलावा शोरूम व मॉल्स में भी काफी डिमांड रहती है। लेकिन लॉकडाउन के कारण शोरूम व मॉल्स बंद रहे। परिवहन के साधन भी ठप रहने से माल नहीं जा पाया। उन्होंने बताया कि दो माह में व्यवसाय से जुड़े लोगों को करीब 70 करोड़ रुपए का घाटा हुआ है, जिसकी भरपाई करना इस दौर में बड़ा मुश्किल साबित होगा।
डिपो में खड़े हैं कंटेनर
उन्होंने बताया कि लॉकडाउन से तैयार फर्नीचर के कंटेनर डिपो में खड़े हुए हैं, जिन व्यापारियों ने ऑर्डर दिया था। अब वे माल लेने से इंकार कर रहे हैं। ऐसे में दोहरी मार झेलनी पड़ रही है। भगौला ने बताया कि फर्नीचर के लिए कच्चा माल हरियाणा, यूपी व पंजाब से आता है, लेकिन उधारी चुकता नहीं करने से अब माल नहीं भेजा जा रहा है। शादियों के सीजन में काफी डिमांड रहती है, लेकिन सावों पर ब्रेक लगने से छोटे उद्यमियों को नुकसान हुआ है।
केवल घोषणा गाइड लाइन नहीं
विश्वकर्मा उद्योग संघ शाखा के संरक्षक लीलाधर जांगिड़ ने बताया कि सरकार की ओर से पैकेज की घोषणा की गई, लेकिन कोई गाइड लाइन तैयार नहीं की गई। उन्होंने बताया कि बैंकों ने तीन माह तक किस्त नहीं लेने की बात कही, इसके बावजूद किस्तों के लिए लगातार फोन आने से रुपए जमा करवाने पड़े। व्यापारियों को किसी तरह की रियायत नहीं दी गई। उन्होंने बताया कि विद्युत निगम की ओर से मोबाइल पर एवरेज बिल के मैसेज भेजकर जमा कराने की हिदायत दी जा रही है, बिल जमा नहीं करवाने की स्थिति में कनेक्शन काटने का संदेश भेजा जा रहा है। लॉकडाउन के कारण फर्नीचर उद्योग बुरी तरह से प्रभावित हुआ है।
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