उन्होंने बताया कि लॉकडाउन से तैयार फर्नीचर के कंटेनर डिपो में खड़े हुए हैं, जिन व्यापारियों ने ऑर्डर दिया था। अब वे माल लेने से इंकार कर रहे हैं। ऐसे में दोहरी मार झेलनी पड़ रही है। भगौला ने बताया कि फर्नीचर के लिए कच्चा माल हरियाणा, यूपी व पंजाब से आता है, लेकिन उधारी चुकता नहीं करने से अब माल नहीं भेजा जा रहा है। शादियों के सीजन में काफी डिमांड रहती है, लेकिन सावों पर ब्रेक लगने से छोटे उद्यमियों को नुकसान हुआ है।
विश्वकर्मा उद्योग संघ शाखा के संरक्षक लीलाधर जांगिड़ ने बताया कि सरकार की ओर से पैकेज की घोषणा की गई, लेकिन कोई गाइड लाइन तैयार नहीं की गई। उन्होंने बताया कि बैंकों ने तीन माह तक किस्त नहीं लेने की बात कही, इसके बावजूद किस्तों के लिए लगातार फोन आने से रुपए जमा करवाने पड़े। व्यापारियों को किसी तरह की रियायत नहीं दी गई। उन्होंने बताया कि विद्युत निगम की ओर से मोबाइल पर एवरेज बिल के मैसेज भेजकर जमा कराने की हिदायत दी जा रही है, बिल जमा नहीं करवाने की स्थिति में कनेक्शन काटने का संदेश भेजा जा रहा है। लॉकडाउन के कारण फर्नीचर उद्योग बुरी तरह से प्रभावित हुआ है।