कोरोना से कैसे निपटें गर्भवती महिलाएं, बता रही हैं मेडिकल कॉलेज की विशेषज्ञ डॉक्टर
दीनदयाल उपाध्याय मेडिकल कॉलेज की स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ और सहायक आचार्य डॉ. अनीता पूनिया सहारण का एक परामर्शी वीडियो जारी किया गया है।

चूरू. कोरोना महामारी के इस दौर में जब गर्भवती महिलाएं रेगुलेर चेकअप के लिए अस्पताल नहीं जा पा रही हैं। उनका टीकाकरण आदि नहीं हो पा रहा है। डॉक्टरों की सलाह मिलने में भी दिक्कत है। ऐसे में जिला प्रजनन एवं शिशु स्वास्थ्य अधिकारी (आरसीएचओ) डॉ. सुनील जांदू ने उन्हें वीडियो के माध्यम से विशेषज्ञ चिकित्सीय सलाह से रूबरू करवाने की पहल की है। इसी कड़ी में कोरोना महामारी के संदर्भ में गर्भवती महिलाओं पर पडऩे वाले असर व उन्हें इस दौरान क्या करना और क्या नहीं करना चाहिए, इसको लेकर दीनदयाल उपाध्याय मेडिकल कॉलेज की स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ और सहायक आचार्य डॉ. अनीता पूनिया सहारण का एक परामर्शी वीडियो जारी किया गया है।
वीजियो के जरिए डॉ. पूनिया का कहना है कि गर्भवती महिलाओं को यूं तो घबराने की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि गर्भवती महिलाओं और उनके गर्भ में पल रहे शिशु को कोरोना संक्रमण से घातक खतरे की अब तक कोई तय थ्योरी सामने नहीं आई है। लेकिन फिर भी उन्हें सावधान और ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है, क्योंकि गर्भवती महिलाएं किसी भी संक्रमण के लिए ज्यादा संवेदनशील होती हैं।
डॉ. जांदू ने यह वीडियो सभी सोशल मीडिया प्लेटफार्म और यू ट्यूब पर भी जारी करवाया है, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों तक यह पहुंच सके। डॉ. अनीता बताती हैं कि रुटीन लाइफ में ध्यान रखना होगा कि हमारे आसपास के लोग संक्रमण से बचें। इसके लिए सरकार की ओर से गाइड लाइन की पालना करें। घर में रहें सुरक्षित रहें। अगर बहुत जरूरी है, तो ही घर से बाहर निकलें। हाथों को बार-बार साफ करते रहें। घर से बाहर निकलने पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें। मास्क धारण करें। उसे बार-बार हाथों से न छूएं।
दवाएं खत्म हो जाएं, तो एएनएम-आशा से मंगवा सकती हैं
गर्भ के दौरान जो रेगुलर मेडिसिन आपको डॉक्टर की ओर से दी गई हैं, उसको नियमित तौर पर खाते रहें। तीसरे महीने तक फोलिक एसिड की टैबलेट चलती है। चौथे महीने से आयरन-कैल्शियम की टैबलेट का इस्तेमाल करना होता है। इसको डॉक्टर के बताए अनुसार समय से ही लें। अगर आपकी टैबलेट खत्म हो गई हो, तो आशा-एएनएम को बता कर आप अपनी टैबलेट मंगवा सकते हैं। यह दोनों टैबलेट डिलिवरी तक चलेंगी। रुटीन सप्लीमेंट्स जो डॉक्टर ने बताए हों, वह लेती रहें।
कब करना है डॉक्टर से संपर्क
अगर शुरू के तीन महीने में आपको रक्तस्राव हो रहा हो अथवा पेट में दर्द हो, तो डॉक्टर से जरूर संपर्क करें। तीन महीने के बाद भी अगर आपको पैरों में दर्द है, सूजन है, सिर दर्द, उल्टी-दस्त, बुखार-खांसी, पानी चूकना, बच्चे के मूवमेंट में कमी आदि है, तो डॉक्टर से जरूर संपर्क करें। इसके अलावा अगर आपकी डिलिवरी नजदीक आ रही हो। खासतौर से साढ़े आठ महीने से ज्यादा हो रहे हों, तो आप अपने डॉक्टर से जरूर संपर्क करें, ताकि आपकी डिलिवरी का समय निर्धारित किया जा सके।
शुरू के तीन महीने ऐसे रखें ध्यान
शुरू के तीन महीने में महिला का टीकाकरण कार्ड बनता है। ग्रामीण क्षेत्र की महिला अपने यहां की एएनएम-आशा से संपर्क कर अपना पंजीकरण करवा सकती हैं। शहरी क्षेत्र में भी महिला अपने आसपास के अस्पताल में जाकर अपनी टीकाकरण कार्ड बनवा सकती हैं।
रेगुलेर चेकअप के लिए अस्पताल न आएं, अगर...
गर्भ के दौरान अगर आपको कोई दिक्कत नहीं है, तो रेगुलर चेकअप के लिए भी लॉकडाउन के दौरान आपको हॉस्पिटल आने की जरूरत नहीं है। अपना खानपान का, साफ-सफाई का ध्यान रखें। दूध-दही, शाक-सब्जी खाएं। आपको गर्भ के दौरान अस्पताल जाने पर डॉक्टर की ओर से या घर पर एएनएम-आशा की ओर से तमाम साहित्य दिए जाते हैं। उनक पुस्तिकाओं आदि को पढ़ें।खतरे के लक्षण आदि उसमें भी दिए जाते हैं। क्या खान-पान रखना है। वह सब भी बताया जाता है।
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